- दिल से पक्का हिंदुस्तानी,‘आराधना’ ने बदल दी जिंदगी
- अधूरी रह गईं टॉम अल्टर की ख्वाहिशें
- भारतीय सिनेमा के इतिहास में टॉम ऑल्टर का नाम बेहद सम्मान के साथ लिया जाता है
- बॉलीवुड एक्टर और थियेटर आर्टिस्ट
थिएटर, टेलीविजन और बॉलीवुड इंडस्ट्री के मशहूर कलाकार टॉम ऑल्टर (Tom Alter) का जन्म 22 जून, 1950 को मसूरी में हुआ था. सैकड़ों फिल्मों में काम करने वाले टॉम अपने अलहदा अभिनय और विदेशी नैन-नक्श के लिए जाने जाते थे. 1920 के दशक में उनके दादा-दादी अमेरिका के ओहायो स्टेट से भारत आ गए थे. इसके बाद उनका परिवार भारत में ही बस गया. टॉम अमेरिकी क्रिश्चियन मिशनरी परिवार से आते थे. पद्म श्री से सम्मानित टॉम ऑल्टर ऐतिहासिक किरदारों को पर्दे पर सहजता से निभाया है. भले ही उनका चेहरा विदेशी की तरह था लेकिन उनका दिल हिन्दुस्तान में ही बसता था.
अमेरिका गए पढ़ने लेकिन उल्टे पांव लौटे भारत
शतरंज के खिलाड़ी, देस-परदेस, क्रांति, गांधी, परिंदा, आशिकी, वीर-जारा, लोकनायक फिल्म में अपने अभिनय की छाप छोड़ने वाले टॉम को ज्यादातर विदेशी पुलिस अधिकारी या उसी तरह का किरदार निभाने का मौका मिला. टॉम अल्टर बचपन में अपने परिवार के साथ राजपुर में रहते थे. 18 साल की उम्र में उन्हें पढ़ने के लिए परिवार वालों ने अमेरिका भेजा लेकिन पढ़ाई में उनका मन नहीं लगा. महज 1 साल में ही वह लौटकर आ गए. इसके बाद उन्होंने स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया. कुछ दिनों बाद वह फिर अमेरिका लौटे और वहां अस्पताल में काम किया. इसके बाद उन्होंने दोबारा भारत वापसी की.
टॉम ऑल्टर का पर्दे पर करियर
टॉम ऑल्टर ने साल 1975 में मृग तुष्णा फिल्म से बॉलीवुड डेब्यू किया. इसके बाद उन्होंने ‘हम किससे कम नहीं’, ‘परवरिश’, ‘देश प्रदेश’, ‘क्रान्ति’, ‘कुदरत’, ‘गांधी’, ‘विधाता’, ‘स्वामी दादा’, ‘नास्तिक’, ‘राम तेरी गंगा मैली’, ‘कर्मा’, ‘ख़ून भरी मांग’, ‘त्रिदेव’, ‘सरदार’, ‘चैंपियन’, ‘भेजा फ़्राई’ जैसी सुपरिहट फिल्मों में काम किया. इसके अलावा वह ‘भारत एक खोज’, ‘शक्तिमान’, ‘कैप्टन व्योम’, ‘आहट’, ‘हातिम’, ‘संविधान’ जैसे लोकप्रिय टीवी सीरियल्स में काम किया. इस दौरान वह रंगमंच पर भी कई ऐतिहासिक भूमिकाएं निभाते रहे.
आराधना’ देख हुई राजेश खन्ना बनने की चाहत
टॉम ऑल्टर पहले क्रिकेट और उसके बाद सिनेमा देखने के बहुत शौकीन थे. साल 1970 में उन्होंने राजेश खन्ना की सुपर-डूपर हिट फिल्म आराधना देखी. इसके बाद वह राजेश खन्ना के एक्टिंग के इतने दीवाने हो गए कि उनकी तरह हीरो बनने की ठान ली. बाकायदा उन्होंने भारतीय फिल्म और टेलिविजन संस्थान (FTII), पुणे जाकर पढ़ाई की. साल 1972 से लेकर 1974 तक वह पुणे में ही रहे. उस दौरान नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी इनके जूनियर थे जबकि शबाना आजमी इनकी सीनियर. एफटीआईआई वह क्रिकेट टीम के कैप्टन भी रहे.
टॉम ऑल्टर की ये इच्छाएं रह गई अधूरी
टॉम ऑल्टर का बचपन देहरादून और मसूरी के बीच राजपुर नामक जगह पर बीता. यहां रहते हुए उन्होंने गढ़वाली भी सीख ली. उनकी हसरत आंचलिक फिल्मों में काम करने की थी. वह गढ़वाली फीचर फिल्मों में काम करना चाहते थे लेकिन हसरत अधूरी ही रह गई. टॉम को स्किन कैंसर जैसा असाध्य रोग था. वह बीमारी के दौरान रानीखेत के शांत आबोहवा में कुछ पल बिताना चाहते थे. लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था. इसके अलावा टॉम अपना आखिरी दिन जन्म भूमि मसूरी में बिताना चाहते थे. उनकी इच्छा वहीं दफ्न होनी की थी लेकिन ये चाहत भी अधूरी रह गई.