रीवा आरटीओ उड़न दस्ता पूरी रात करता है वाहन चालकों से लूट, देर रात बीच शहर होती है वाहनों से उगाही, मौके पर ही मामला रफा दफा,वसूली जेब के अंदर, जिम्मेवार क्यों हैं मौन?
रीवा: आरटीओ उड़न दस्ता दिन और रात वसूली में व्यस्त है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस उड़न दस्ते में एक ही व्यक्ति होता है जो वर्दी में होता है। चाहे वह सिपाही हो या प्रधान आरक्षक, बाकी सभी सिविल ड्रेस में वसूली वाज तैनात रहते हैं, जिन्हें देखकर ना तो आप बता सकते कि यह किसी विभाग के हैं या गुंडे हैं।
हद तो यह है कि पूरी रात चोरहटा से रतहरा बाईपास और रतहरा से चोरहटा शहर के अंदर इनकी बोलेरो और अन्य वाहन फर्राटे मारते है। सबसे बड़ी बात यह है कि इनके द्वारा कोई केस नहीं बनाया जाता, ना ही गाड़ियां जप्त की जाती है। सिर्फ मौके पर ही पर गाड़ी मालिको से 1500 रु से लेकर 2 हजार, 5 हजार या और भी ज्यादा जो जैसे मुर्गा फंसा वसूली कर छोड़ दी जाती है। इनका मकसद सिर्फ वसूली करना होता है, जिसकी वजह से शासन को राजस्व की लम्बी चौड़ी हानि होती है।
लंबे समय से मिल रही शिकायत के बाद जब हमारी टीम बुधवार की रात सिरमौर चौराहे और पीके स्कूल के बीच पहुंची तो आधा दर्जन गाड़ियां खड़ी थी, जिनसे सौदेबाजी हो रही थी। जब हमारी टीम ने वाहन चालक से बात की तो उसने बताया कि आरटीओ उड़न दस्ता के द्वारा कागजात चेक किए जाते हैं। कागजात हो या न हो पर 1500 से लेकर 2 हजार, 5 हजार या और भी ज्यादा, जो जैसा वाहन मिला, उससे वसूले जाते हैं और छोड़ दिया जाता है।
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वही जब हमने वसूली कर रहे कर्मचारियों से बात की तो गाड़ी में बैठे साहब से मिलकर बात करने को कहा गया, गाड़ी में बैठने वाले साहब प्रधान आरक्षक थे ,जो उड़न दस्ता गाड़ी में ऐसे सवार थे ऐसा लग रहा था आरटीओ साहब ही जांच कर रहे हैं। इनकी इतनी सेटिंग या धौस है कि आरटीओ उड़न दस्ता की गाड़ी देखते ही वाहन चालक अपने मालिकों को फोन लगाते हैं और चंद मिनटों में ही मालिक या उनके दलाल हाजिर हो जाते हैं। मौके पर ही पैसा दिया और मामला रफा दफा।
आपको बता दें कि 10 मिनट के अंदर पीके स्कूल के सामने आधा दर्जन उत्तर प्रदेश पासिंग की (ट्रक) गाड़ियां रुकी और चंद मिनट में ही उनके मालिक, दलाल पहुंच गए। जब हमारी टीम ने बिना वर्दी धारी वसूली कर रहे ब्यक्ति और गाड़ी में बैठे साहब से पूछताछ की तो साहब ने कहा गाड़ियों को आगे ले चलो और सभी गाड़ी और उनके मालिक साहब की गाड़ी के पीछे-पीछे रतहरा की ओर चल दिए, जहां गाड़ी खड़ा कर मामला रफा दफा किया गया।
- सबसे बड़ी चौकाने वाली बात यह है कि, अगर उड़न दस्ता रात भर घूमता है तो वाहनों के चालान क्यों नहीं काटता?
- जो वसूली की जाती है वह किसके जेब में जाती है?
- क्या आरटीओ इस पूरे कारनामे से अनजान है या जिला प्रशासन अनजान है, या सब का हिस्सा बधा हुआ है? जो यातायात और आरटीओ की दिन-रात चल रही वसूली को नजर अंदाज कर रहा है।
अब देखने वाली बात यह है कि जिन गाड़ियों को पैसे लेकर छोड़ दिया गया था वह मामले तो रफ़ा दफा हो ही गए, लेकिन जिन गाड़ियों को उड़न दस्ता टीम रतहरा की ओर लेकर पहुंची थी उनके खिलाफ कार्यवाही हुई या नहीं?
यह आगे आपको जरूर बताएंगे, आप भी वीडियो में देखिए किस तरह से आरटीओ का उड़न दस्ता रात भर गस्त करता है और इस गस्त के नाम पर उड़न दस्ता अपना निजी खजाना भरता है। जो प्रदेश सरकार और विभाग की राजस्व हानि करता है, वही चोरहटा से रतहरा बाईपास में आए दिन सड़क दुर्घटनाएं होती हैं जिनकी वजह इनकी वसूली रहती है, जिन्हें देखकर चालक भागते हैं और निर्दोषों की जान चली जाती है।