सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में किया गया पॉलीसाईथेमिआ का उपचार
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में पहली बार हुआ पॉलीसाईथेमिआ का इलाजडॉ. अंकित सिंह की टीम द्वारा पहली बार पॉलीसाईथेमिआ बीमारी का उपचार किया गया
पॉलीसाईथेमिआ बीमारी में शरीर में अधिक मात्रा में हीमोग्लॉबिन बनने लगता है
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रीवा . सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ. एलपी सिंह . डॉ. अंकित सिंह की टीम द्वारा पहली बार पॉलीसाईथेमिआ बीमारी का उपचार किया गया। उन्होंने बताया कि पॉलीसाईथेमिआ बीमारी में शरीर में अधिक मात्रा में हीमोग्लॉबिन बनने लगता है।
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सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के अधीक्षक Dr. अक्षय श्रीवास्तव ने बताया कि सिंगरौली जिले के 24 वर्षीय मरीज पॉलीसाईथेमिआ नामक बीमारी से ग्रसित थे। वे अपने बीमारी के इलाज के लिए विगत 5 वर्षों से कई शहरों में उपचार करा रहे थे। किन्तु उन्हें उपचार के दौरान उक्त बीमारी से कोई लाभ नही हुआ।
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चिकित्सकों द्वारा उपचार के दौरान प्रत्येक 6 माह में एक बार ब्लड निकाल कर आंशिक रूप से बीमारी का इलाज किया जाता था। परेशान मरीज अपनी बीमारी के उपचार के लिये सुपर स्पेशलिटी अस्पताल आया।
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अस्पताल में उसने डॉ.एल.पी. सिंह (सहायक प्राध्यापक) कार्डियोलॉजी विभाग को दिखाया। चिकित्सक ने प्रारंभिक जांच में पाया कि मरीज का आक्सीजन लेवल 88 प्रतिशत हैं। इस कारण से मरीज का हीमोग्लोबिन बहुत बढ़ा हुआ है ।
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डॉ. एल.पी. सिंह द्वारा मरीजे की सी. टी. पल्मोनरी एंजियोग्राफी कराने से पता चला की मरीज के फेंफड़े में एक बहुत बड़ा गुच्छा था। चिकित्सक द्वारा इसे बंद करने का निर्णय लिया गया ।
इस तरह की बीमारी लगभग 5 लाख लोगों में से एक व्यक्ति को होती है। पॉलीसाईथेमिआ बीमारी अत्यधिक हीमोग्लोबिन के कारण होती हैं। इसका इलाज करने से हीमाग्लोबिन सामान्य हो जाता है। इस बीमारी के मरीज में खांसी में खून , लकवा आदि की शिकायत बनी रहती है। इस बीमारी का पता लगाना कठिनतम कार्य था।
बड़े-बड़े शहरों में ही इस तरह की बीमारी का इलाज संभव हो पाता है । इस बीमारी का सफलतम इलाज विन्ध्य क्षेत्र एवं मध्यप्रदेश के शासकीय अस्पताल में होने वाला पहला प्रकरण है ।
by Umesh Shukla @ ‘VIRAT 24’ news