विधायक के पी त्रिपाठी को कोर्ट का मिला बड़ा झटका
उल्लेखनीय है की सेमरिया विधायक के पी त्रिपाठी को न्यायालय से जोरदार झटका लगा है ,आपको बता दें कि विधायक पर कई गंभीर आरोप लगे ,लेकिन शासन-प्रशासन ने सत्ता के दबाव में कोई कार्यवाही नहीं किया , लेकिन कहते हैं न कि ऊपर वाले के घर देर है अंधेर नहीं , वही हुआ विधायक के पी त्रिपाठी के साथ और पीड़ितों को न्यायालय से न्याय मिला है और विधायक को फिर एक बार मुंह की खानी पड़ी है।
दरअसल पूरा मामला जमीन से जुड़ा हुआ है , सेमरिया विधायक के पी त्रिपाठी पर जमीनी मामलों में कई बार संगीन आरोप लग चुके हैं ,चाहे वह हर्रई निवासी राम कुमार पांडेय का पुश्तैनी आवास हड़पने का हो , जो अमहिया थाना क्षेत्र के पुरानी चन्द्रलोक होटल के पीछे स्थित है .
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गौरतलब है की रामकुमार पांडेय द्वारा विधायक पर जबरदस्ती कब्जा करने का आरोप लगाया है , तो वही तत्कालीन जनपद सीईओ सिरमौर पर अनावश्यक दबाव बनाकर धमकी दी गई थी . मारपीट हुई थी , जिसका मामला विशेष न्यायालय में विचाराधीन है , जिसमें स्थानीय न्यायालय ने दोषी पाया था और मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था .
उल्लेखनीय है की अब तीसरा बड़ा जोरदार झटका विधायक के.पी. त्रिपाठी को उस समय लगा है , जब सप्तम व्यवहार न्यायाधीश पद्मिनी सिंह की न्यायालय ने एक अहम फैसला सुना दिया है।
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एक कहावत है कि बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी , आप शासन सत्ता बाहुबल का उपयोग कर कुछ समय तक अपना साम्राज्य स्थापित कर सकते हैं , लेकिन ऊपर वाले के घर देर है अंधेर नहीं ,कानून के कितने लंबे हाथ है , यह एक दिन सबको एहसास हो जाता है , ठीक वहीं अब सेमरिया विधायक के पी त्रिपाठी के साथ हो रहा है .
न्यायालय में मामला जाने पर विधायक के.पी. त्रिपाठी को हर बार मुंह की खानी पड़ रही है .
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दरअसल पूरा मामला विधायक के पी त्रिपाठी के ग्रह ग्राम का है , जहां बम्होरी निवासी हरिप्रसाद तिवारी की 10 एकड़ जमीन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हथियाने की कोशिश की गई थी , उक्त जमीन विधायक केपी त्रिपाठी वर्तमान सेमरिया विधायक, इनके बालसखा सत्येंद्र सिंह उर्फ गुड्डा पटेल और इनके दाहिने हाथ कहे जाने वाले मनीष शुक्ला उर्फ सिद्धू के द्वारा साजिश रची गई थी , पूरे मामले में तीनों लोगों के द्वारा एक ऐसी विधवा महिला को मोहरा बनाया गया जो उक्त जमीन में एक बटे 7 की हिस्सेदारनी थी .
ऐसे समय में उसका गलत उपयोग किया गया जब अनिता गौतम के पति दीपक की मौत हो गई , जिस समय लोगों को अनिता गौतम की मदद करनी चाहिए था ,उस समय भूमाफिया सक्रिय होकर अपनी चालें चल रहा था और दीपक गौतम के छोटे भाई यानी अनीता गौतम के देवर रिंकू गौतम को मोहरा बनाकर मदद कराने के नाम पर झूठे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करा लिए .
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इस पूरे मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला कोई और नहीं बल्कि सेमरिया विधायक के पी त्रिपाठी के मौसिया (तत्कालीन पटवारी) थे , जो उस समय बम्होरी हल्का में पदस्थ थे , जिसने 6 हिस्सेदारों को दरकिनार कर हरिप्रसाद तिवारी की 10 एकड़ जमीन अकेले अनिता गौतम के नाम कर दी और अनिता गौतम से तीनों लोगो ने साजिश रच कर अपने नाम से रजिस्ट्री करा ली .
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जैसे ही परिजनों को इसकी जानकारी हुई तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई . वह जानकारी भी तब हुई जब हरिप्रसाद तिवारी के पुत्र अंगद तिवारी और राम प्रसाद तिवारी के पुत्र उक्त जमीनों पर खेतीवाड़ी करने पहुंचे तो केपी त्रिपाठी- सत्येंद्र पटेल उर्फ गुड्डा -मनीष शुक्ला उर्फ सिद्धू ने उनके साथ मारपीट कर झूठे मामले दर्ज करा दिए और जानकारी हुई कि इस जमीन की बिक्री हो चुकी है । जिसके बाद मामला न्यायालय में पहुंचा और उक्त मामले की सुनवाई करते हुए सप्तम व्यवहार न्यायाधीश पद्मिनी सिंह ने उक्त रजिस्ट्री को शून्य घोषित कर दिया उक्त जमीन बमहौरि गांव में स्थित है।जिस पर राम प्रसाद तिवारी के वारिस ने फसल खड़ी कर रखी है।
हद तो तब हो गई जब न्यायालय का फैसला होने के बाद भी विधायक के पी त्रिपाठी के पिता गांव पहुंचे और उक्त फसल को काट लेने की धमकी दे डाली।
न्यायालय से न्याय पा चुके पीड़ितों ने ‘Virat 24 news’ को अपनी पूरी आप बीती बताई और मिल रही धमकी के सबन्ध में बताया कि विधायक द्वारा कई झूठे मामलों में फसाकर प्रताड़ित किया जा रहा है .
अब जब न्यायालय ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया तब भी विधायक के पिता अपने पुत्र के विधायक होने का नाजायज फायदा उठाते हुए फसल कटवा लेने की धमकी देते हैं ।
दरअसल पूरा खेल विधायक केपी त्रिपाठी , इनके रिश्तेदार पटवारी , बाल सखा सतेंद्र पटेल , दाहिना हाथ कहे जानेवाला और हाल ही में जनपद सीईओ सिरमौर के ऊपर हमला करने वाला 307 का आरोपी मनीष शुक्ला उर्फ सिद्धू था। जिन्हों ने मिल कर साजिस रची थी और सब नियम कायदों को दरकिनार कर अपनी पहुंच का फायदा उठाते हुए विधवा महिला का दुरुपयोग कर रजिस्ट्री करा ली और बाद में सत्येंद्र पटेल ने भी अपने हिस्से की जमीन विधायक के पी त्रिपाठी के नाम कर दिया .
सबसे अहम पहलू इस मामले में यह रहा कि पिता की जमीन जिसमें 1 बटा 7 के हिस्सेदारनी अनिता गौतम थी उनके पति की मौत का फायदा उठाते हुए दोषियों ने सीधे पिता और चाचा-चाची के नाम ना करा कर नातिन के नाम करा लिया और फर्जी तरीके से रजिस्ट्री करा कर अपना हक जताया था।
पूरे मामले को लेकर स्थानीय लोगों ने जहां विधायक के पी त्रिपाठी को भूमाफिया कहा है , वही अब धमकी दिए जाने पर फसाने की चिंता भी जाहिर की है। पीड़ितों को न्याय तो मिला लेकिन अभी भी उन्हें डर सता रहा है कि कहीं विधायक के पी त्रिपाठी सत्ता और पैसे का उपयोग कर कोई और चाल ना चले।
विधानसभा क्षेत्रों में किसी की मौत या संकट आने पर नेता हमदर्दी जताने पहुंचते हैं , फ़ोटो खिंचवाते है , लेकिन इसके पीछे भी उनकी गिद्ध दृष्टि लगी होती है . किस तरह से विधवा महिला की मदद करने की बजाय उसकी जमीन हड़पने का प्रयास किया गया . उसके हस्ताक्षर इस बहाने से लिए गए कि उसे आर्थिक मदद मिलेगी , लेकिन उसे क्या मालूम था कि उसकी पैतृक जमीन भी हड़प ली जाएगी , लेकिन आज उसे न्यायालय से न्याय मिला और एक बार फिर भू माफियाओं को मुंह की खानी पड़ी है .
अब देखनी वाली बात यह होगी कि न्यायलय का आदेश तो पीड़ित के पक्छ में आया है परन्तु चुकी विधायक और उनके मातहत अभी भी पीड़ितों को लगातार धमकी दिलवा रहे है , खड़ी फसल को काटने तक की बात कर रहे है। ऐसे में न्यायलय से मिली जमींन पर कब्ज़ा मिलने में अभी और कितनी दिक्कते पीड़ितों को आएगी यह तो आने वाल वक्त ही बताएगा , साथ ही देखनी वाली बात यह होगी की शासन प्रशासन इसमें क्या भूमिका अदा करता है .