रीवा: नेहरू नगर के राजीव गाँधी रोटरी पार्क में बिना अनुमति के काट दिए गए आधा दर्जन से ज्यादा हरे भरे पेड़, स्थानीय लोगो को साजिश की आशंका, अगर उचित कार्यवाही नहीं हुयी तो 2 अक्टूबर से करेंगे धरना प्रदर्शन
वार्ड क्र 13 नेहरू नगर के राजीव गांधी रोटरी पार्क मे जनभागीदारी से 25वर्ष पूर्व वृक्षारोपण किया गया था। जिसे मोहल्ले वालों ने सेवा कर पौधों की अपने सन्तान की तरह देखभाल किया, समय बीता और पौधे पेड़ बनकर छाया व शुद्ध वायु प्रदान करतें थें। परंतु गत दिवस यानी 21सितंबर को अज्ञात लोगों द्वारा वृक्षों को मशीनों के माध्यम से काटा जा रहा था और लगभग 10 हरे भरे पेड़ काटे गयें थे कि तभी मोहल्ले के सुरेंद्र सिंह गहरवार वहां पहुंचे और पेड़ काटने वालों से कारण पूंछा तो उन्होंने कहा कि संजय व भार्गव नाम के व्यक्ति ने पेड़ कटवाया है। तब सुरेंद्र सिंह नाराज होकर किसी तरह से पेड़ काटने वालों को वहा से हटाऐ और नगर निगम आयुक्त एवं महापौर को सूचित किया कि बिना किसी परमिशन के आखिर पेड़ क्यू काटे जा रहे हैं। वैसे भी पार्क में तो और पेड़ लगाए जाना चाहिए पर यहा तो हरे भरे पेड़ काटे जा रहें हैं।
आश्चर्य की बात है कि जहा एक तरफ शासन लाखों करोडों रूपए खर्च कर वृक्षारोपण अभियान चलाती है तो वही दूसरी तरफ खुलेआम बीच शहर पार्क में पेड़ काटने के घोर आपत्तिजनक कृत्य हो रहें हैं। आपको बता दें प्राप्त जानकारी अनुसार 10 हरे भरे पूर्ण रूपेण तैयार वृक्ष काटे गयें हैं, जिसमे कहा जा रहा है कि चंदन और शमी जैसे महत्वपूर्ण पेड़ भी शामिल हैं।
बाद में मामले की जानकारी होने पर नगर निगम आयुक्त संस्कृति जैन ने नगर निगम के कर्मचारी सफाई संरक्षक मोतीलाल विश्वकर्मा एवं स्थाईकर्मी संतोष/छकौड़ी लाल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। आपको बता दें कि नगर पालिक निगम रीवा क्षेत्रांतर्गत नेहरू नगर वार्ड 13 राजीव गॉधी पार्क में पेड़ो की छटाई हेतु नगर निगम के कर्मचारी सफाई संरक्षक मोतीलाल विश्वकर्मा एवं स्थाईकर्मी संतोष/छकौड़ी लाल को दायित्व सौपा गया था।
हालाकि यहां पर कई सवाल उठ खड़े हुए है कि आखिर जिन निगम कर्मियों के ऊपर वृक्षों को संभालने, सहेजने की जिम्मेवारी थी वो ही अचानक से कैसे उन वृक्षों के दुश्मन बन गए? क्या कर्मचारियों को पेड़ों को छाटने और पूरी तरह से काट के खत्म कर देने के बीच का अंतर नही पता था?क्या कर्मियों का दिमागी संतुलन सही था? अगर दिमागी संतुलन सही नही था तो फिर नगर निगम ने ऐसे विछिप्त कर्मियों को क्यू रखा था सेवा में? और अगर उक्त निगम कर्मी पूर्ण रूपेण सही मानसिक संतुलन वाले थे तो फिर ऐसा जघन्य कृत्य क्यू किया? किसके इशारे पर किया? अब तक तो उक्त कर्मी केवल पेड़ो की देखभाल और सिर्फ़ जरुरत पड़ने पर थोड़ी बहुत छटाई बस करते थे, अचानक से पेड़ो को पूर्ण रूपेण निपटाने पर कैसे उतारू हो गए और वो भी महज कुछ ही घंटो के अंदर एक दो नहीं बल्कि दसों पेड़ काट डाले? साथ ही सबसे अहम सवाल यह भी है कि कही इस मामले में बड़ी मछलियों को बचाने के लिए तो इन छोटे निगम कर्मियों को बलि का बकरा तो नही बनाया जा रहा है? आखिर इस मामले में क्या लीपापोती की जा रही है?आखिर किसके इशारे पर यह खेला किया गया?
सवाल यह भी कि स्थानीय निवासी सुरेंद्र सिंह ने जो आरोप लगाए हैं, क्या उन आरोपों की सत्यता की जांच की जाएगी या रसूखदारों के रसूख में आरोप रूपी सवालों को खत्म यानी रफा दफा कर दिया जाएगा? यह सब गभीर प्रश्न है जो जांच का विषय है। अतः स्थानीय निवासी सिर्फ प्यादों के निलंबन की कार्यवाही से संतुष्ट नही है, दूध का दूध और पानी का पानी करने की मांग कर रहे है। प्रशासन से मामले के तह तक जाने की गुहार लगा रहें हैं।
बहरहाल बीच शहर लगभग 10 पेड़ो की निर्दयता के साथ हत्या कर दी गई है। नेहरू नगर वासियों और प्रकृति प्रेमियों ने नगर निगम प्रशासन से जल्द से जल्द इस मामले की जांच करने और दोषियों को चिन्हित कर दंडनात्मक कार्यवाही की मांग की है।
उचित कार्यवाही न होने की स्तिथि में गांधी जयंती 2अक्टूबर से नेहरू नगर में धरना प्रारंभ किया जाऐगा जो तब तक चलेगा जब तक एफ आई आर दर्ज नहीं हो जाती और न्याय नहीं मिल जाता।