Independence Day 2023: लाल किले से पीएम मोदी ने किया देश को सम्बोधित, कही बड़ी बातें
- महिलाएं उड़ाएंगी ड्रोन, तो कारीगरों के लिए नई योजना; तुष्टिकरण-परिवारवाद पर भी प्रहार
- मणिपुर हिंसा की निंदा की
- मेरे शब्द लिखकर रख लीजिए: प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से दो बार क्यों कही यह बात
- हजार साल का कालखंड का किया जिक्र
- ‘मैं लालकिले से आपकी मदद मांगने आया हूं’
- ‘अगली बार इसी लाल किले पर और अधिक आत्मविश्वास के साथ आऊंगा
- भारत के पास सपनों को पूरा करने वाली त्रिमूर्ति, डेमोग्राफी-डेमोक्रेसी हमारी ताकत
Independence Day 2023: देश आज अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। आज लाल किले से प्रधानमंत्री मोदी ने 10वीं बार देश को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देशवासियों को संबोधित किया। इसमें उन्होंने अपनी सरकार की तमाम उपलब्धियों पर बात की। इसके साथ ही पीएम ने मणिपुर हिंसा की भी निंदा की। उन्होंने एलान किया कि सरकार विश्वकर्मा जयंती पर विश्वकर्मा सम्मान योजना लॉन्च करेगी।
मणिपुर हिंसा की निंदा की :
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में मणिपुर का जिक्र किया और कहा कि देश मणिपुर के लोगों के साथ हैं। मेरे परिवारजनों पिछले कुछ सप्ताह में मणिपुर और हिंदुस्तान के कुछ भागों में हिंसा का दौर चला, कई लोगों को अपना जीवन खोना पड़ा। मां-बेटियों के सम्मान के साथ खिलवाड़ हुआ। कुछ दिनों से अब लगातार शांति की खबरें आ रही हैं। देश मणिपुर के लोगों के साथ है, पिछले कुछ दिनों से जो शांति बनाकर रखी है, मणिपुर के लोग उसे आगे बढ़ाएं। राज्य और केंद्र सरकार मिलकर समाधान के भरपूर प्रयास कर रही है।
पीएम मोदी ने लाल किले से यह भी कहा कि अगर हमारे शरीर का कोई अंग अविकसित, दुर्बल रहे तो स्वस्थ नहीं माना जाएगा। भारत माता का कोई हिस्सा अविकसित है तो हम उसे स्वस्थ नहीं मान सकते। अगर घटना मणिपुर में होती है तो पीड़ा महाराष्ट्र में होती है। अगर बाढ़ असम में आती है तो केरल बेचैन हो जाता है।
PM मोदी का 9 साल का बहीखाता :
‘मेरे शब्द लिखकर रख लीजिए…’: प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से दो बार क्यों कही यह बात?
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘इस कालखंड में हम जो करेंगे, जो कदम उठाएंगे, त्याग करेंगे, तपस्या करेंगे, आने वाले एक हजार साल का देश का स्वर्णिम इतिहास उससे अंकुरित होने वाला है।’
प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से दिए भाषण में देशवासियों को एकजुट होकर देश के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री आत्मविश्वास से सराबोर दिखाई दिए और कहा कि 2047 तक देश को विकसित बनाना है। इस दौरान पीएम मोदी ने अपने भाषण में दो बार मेरे शब्द लिखकर रख लीजिए…का इस्तेमाल किया।
आइए जानते हैं कि पीएम मोदी ने क्या कहा…
हजार साल का कालखंड :
बलिदान-तपस्या का व्यापक रूप आखिरकार 1947 में सफल हुआ, हजार साल की गुलामी में संजोए हुए सपने पूरे हुए। मैं हजार साल की बात इसलिए कर रहा हूं क्योंकि मैं देख रहा हूं कि फिर देश के सामने एक मौका आया है। हम ऐसे कालखंड में जी रहे हैं, हमारा सौभाग्य है कि भारत के अमृतकाल का यह पहला वर्ष है। या तो हम जवानी में जी रहे हैं या मां भारत की गोद में जन्म ले चुके हैं। मेरे शब्द लिखकर रख लीजिए, इस कालखंड में हम जो करेंगे, जो कदम उठाएंगे, त्याग करेंगे, तपस्या करेंगे, आने वाले एक हजार साल का देश का स्वर्णिम इतिहास उससे अंकुरित होने वाला है। इस कालखंड में होने वाली घटनाएं आगामी एक हजार साल के लिए प्रभाव पैदा करेंगी। देश पंच प्रण को समर्पित होकर एक नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है।
शिलान्यास से उद्घाटन का नसीब :
‘आज भारत पुरानी सोच को पीछे छोड़कर चल रहा है, जब मैं कहता हूं ना कि जिसका शिलान्यास हमारी सरकार करती है, उसका उद्घाटन भी हमारे ही कालखंड में होता है। इन दिनों जो मैं शिलान्यास कर रहा हूं, आप लिखकर रख लीजिए, उनका उद्घाटन भी आप सब ने मेरे नसीब में छोड़ा हुआ है।’
मैं लालकिले से आपकी मदद मांगने आया हूं :
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘सपने अनेक हैं, संकल्प साफ है, नीतियां स्पष्ट हैं, नीयत के सामने कोई सवालिया निशान नहीं है, लेकिन कुछ सच्चाइयों को हमें स्वीकार करना पड़ेगा। उसके समाधान के लिए मेरे प्रिय परिवारजनों, मैं आज लाल किले से आपकी मदद मांगने आया हूं। मैं लाल किले से आपका आशीर्वाद मांगने आया हूं। पिछले वर्षों में जो देश को मैंने समझा, परखा है, अनुभव के आधार पर मैं कह रहा हूं कि आज हमें गंभीरतापूर्वक उन्हें देखना होगा।’
बड़ा एलान: विश्वकर्मा दिवस पर पीएम मोदी लॉन्च करेंगे यह खास योजना, जानें किन्हें मिलने वाला है फायदा
PM Modi Vishwakarma Yojana: पीएम मोदी ने लाल किले से कहा कि सुनार, सुतार, राजमिस्त्री, बाल काटने वाले, औजारों-हाथों से काम करने वाले वर्ग को हम नई ताकत देने जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री बोले, ‘2047 में जब देश आजादी के सौ साल मनाएगा, उस समय दुनिया में भारत का तिरंगा, विकसित भारत का तिरंगा होना चाहिए। रत्ती भर भी हमें रुकना नहीं है, पीछे नहीं हटना है। इसके लिए शुचिता, पारदर्शिता, निष्पक्षता पहली जरूरत है। हम उस मजबूती को, जितना खाद-पानी संस्थाओं, परिवार, नागरिक के नाते दे सकें, हम दें। यह हमारा सामूहिक दायित्व होना चाहिए।’