G20 को लेकर दिख रहा कश्मीरियों का उत्साह पुरानी छवि से छुटकारा पाने की छटपटाहट भी है

G20 को लेकर दिख रहा कश्मीरियों का उत्साह पुरानी छवि से छुटकारा पाने की छटपटाहट भी है

कश्मीर को आतंकवाद की राह पर झोंकने वाले लोग सिर्फ कश्मीरी पंडितों के दुश्मन नहीं थे बल्कि वह सभी कश्मीरियों के दुश्मन थे क्योंकि 90 के दशक से कश्मीर की ऐसी छवि बना दी गयी कि वहां हमेशा कर्फ्यू लगा रहता है, टेलिफोन और इंटरनेट सेवाएं बंद रहती हैं, कश्मीरी युवाओं के हाथों में पत्थर और पड़ोसी मुल्क का झंडा होता है।

देखा जाये तो कश्मीर की इस प्रकार की जो छवि बनायी गयी थी उससे हर कश्मीरी का नुकसान हुआ क्योंकि पर्यटन जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है। कश्मीर की गलत छवि के कारण बहुत से देशों ने यहां के बारे में यात्रा परामर्श जारी किये जिससे विदेशी पर्यटक आना बंद हो गये और धीरे-धीरे घरेलू पर्यटकों ने भी आना बंद कर दिया था।

लेकिन हालात हमेशा एक जैसे नहीं रहते। हर रात के बाद सुबह होती ही है। 2014 के लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने अपनी रैलियों में कश्मीरी युवाओं से वादा किया था कि जैसे दिन आपके माता-पिता को देखने पड़े वैसे आपको नहीं देखने दूंगा। प्रधानमंत्री बनते ही मोदी अपने वादे पर खरे भी उतरे। जम्मू-कश्मीर को विकास की तमाम परियोजनाएं देकर वहां स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ाये गये, कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की दिशा में कदम उठाये गये, आतंकवाद के बड़े से बड़े आकाओं को जहन्नुम की सैर कराई गयी और अलगाववादियों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा गया। टैरर फंडिंग पर ऐसी चोट की गयी कि आतंकवाद की राह पर चलने वाले आज बिरयानी या ड्राई फ्रूट बेच रहे हैं।

कश्मीर में स्थानीय सरकार को तवज्जो देते हुए केंद्र सरकार ने पंचायत और डीडीसी चुनाव कराये जिसमें बड़ी संख्या में युवाओं ने भी भाग लिया और वह जनप्रतिनिधि बनकर अपने प्रदेश की सूरत बदलने में जुटे हुए हैं। इसके अलावा, अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर जिस राह पर आगे बढ़ा है उसे पूरी दुनिया देख रही है। अब यहां ऐसा कोई कैलेण्डर जारी नहीं होता कि सप्ताह के कौन-कौन-से दिनों में बाजार या कार्यालय बंद रहेंगे, यहां अब शुक्रवार की नमाज के बाद पत्थरबाजी नहीं होती क्योंकि युवाओं को समझ आ चुका है कि अब तक उन्हें बरगला कर अलगाववादियों और आतंकवादियों ने सिर्फ अपना ही हित साधा है। रोजगार मेलों और सेना भर्तियों तथा स्टार्टअप के साथ अपने हुनर को प्रदर्शित करते युवा आज देश के अन्य भागों के युवाओं की तरह ही अपने कौशल का प्रदर्शन कर रहे हैं।

आज केंद्र सरकार की हर कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देश के अन्य भागों की तरह कश्मीरियों को भी मिल रहा है जिससे कोई स्टार्टअप खोल रहा है तो कोई आत्मनिर्भर बनने के लिए किसी और योजना का सहारा ले रहा है। कश्मीर में देशी-विदेशी निवेश की शुरुआत भी हो चुकी है। यही नहीं, जिस तिरंगे को लहराना यहां कभी खतरे से खाली नहीं माना जाता था आज वह गली गली और हर मोहल्ले में शान से लहरा रहा है। स्मार्ट सिटी अभियान के तहत शहरों का कायाकल्प हो रहा है और गांवों में भी बुनियादी से लेकर आधुनिक सुविधाएं तक पहुँच रही हैं। इसके अलावा, अब सीमाई इलाकों में रहने वाले लोगों को अपने जानमाल की सुरक्षा के लिए बंकरों में नहीं भागना पड़ता क्योंकि भारत के कड़े रुख को देखते हुए पड़ोसी की बंदूकें और तोपें शांत हैं जिसके चलते सीमा से सटे इलाकों में लोग अपने खेतों में बेधड़क होकर खेती भी कर पा रहे हैं। यही नहीं, जिस कश्मीर की खूबसूरती को फिल्मी पर्दे पर दिखाया जाता है उस कश्मीर में पहला मल्टीप्लेक्स, एंटरटेनमेंट और गेमिंग जोन और वो सब सुविधाएं पहुँच चुकी हैं या पहुँच रही हैं जो देश के बड़े महानगरों में देखने को मिलती हैं। इसके साथ ही सड़कों, पुलों और टनलों का जाल इतनी तेजी से फैल रहा है कि आने वाले वर्षों में किसी भी मौसम में कश्मीर में कहीं भी आना जाना मुमकिन होगा। इसके अलावा विभिन्न धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण भी हो रहा है ताकि इस प्रदेश का सांस्कृतिक और आपसी सद्भाव वाला गौरव बहाल हो सके। कश्मीर में देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या के टूटते रिकॉर्ड और फिल्मों, धारावाहिकों, वेब सीरिजों और एड फिल्मों की शूटिंग के लिए लगती भीड़ दर्शा रही है कि हमारा कश्मीर वापस खुशहाल हो रहा है।

कश्मीर में होने वाली जी-20 की बैठक को लेकर स्थानीय स्तर पर जो उत्साह देखने को मिल रहा है वह भी देखने लायक है क्योंकि हर कश्मीरी उस गलत छवि से छुटकारा पाने को छटपटा रहा है जो आतंकवाद के दौर में यहां की बना दी गयी थी। इसीलिए सिर्फ प्रशासन के स्तर पर ही नहीं, नागरिक अपने-अपने स्तर पर भी जागरूकता अभियान चला रहे हैं और जी-20 की बैठक से केंद्र शासित प्रदेश को होने वाले लाभों से अवगत करा रहे हैं। साथ ही वह दुनिया को यह जोरशोर से बता देना चाहते हैं कि यह नया कश्मीर आगे बढ़ने और सफलता पाने के लिए बेताब है।

कश्मीर में जी-20 मीटिंग से पाकिस्तान को लगी मिर्ची, अपनी मुसीबत भूल अलापने लगा राग

जम्मू-कश्मीर में जी-20 के टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की मीटिंग को लेकर पाकिस्तान बिफरा हुआ है। इस मामले में उसे चीन, सऊदी अरब और तुर्की का जैसे देशों का साथ मिला है, जो इसमें हिस्सा नहीं ले रहे हैं।

इस बीच पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने जी-20 के बहाने फिर से कश्मीर राग अलापा है। बिलावल ने कहा कि भारत की ओर से जम्मू-कश्मीर में जी-20 मीटिंग का आयोजन करना संयुक्त राष्ट्र में किए गए वादे का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों को खारिज करके भारत दुनिया में अहम भूमिका अदा नहीं कर सकता।

बिलावल भुट्टो के बयान से जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की हताशा साफ नजर आई। बिलावल भुट्टो का कहना है कि वह पाक के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के बाग जिले में एक रैली में भी हिस्सा लेंगे। यह रैली भारत के फैसले के खिलाफ ही की जा रही है। इससे पहले गोवा में एससीओ की मीटिंग के दौरान भी बिलावल भुट्टो जरदारी ने कश्मीर का राग अलापते हुए कहा था कि दोनों देशों के बीच रिश्ते उस वक्त से ही बिगड़े हैं, जब से भारत ने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लिया था।

हालांकि भारत ने बिलावल भुट्टो जरदारी की टिप्पणी को खारिज करते हुए कहा था कि वह आतंकवाद के प्रवक्ता के तौर पर भारत आए हैं। इससे पहले भी तुर्की ने कई बार जम्मू-कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान के ही सुर में सुर मिलाया था। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र में भी कई बार चेतावनी मिलने के बाद भी उसने जम्मू-कश्मीर का जिक्र किया था। गौरतलब है कि भारत ने इसके बाद भी तुर्की को भूकंप आने पर मदद की थी और ऑपरेशन दोस्त चलाकर बड़े पैमाने पर राहत सामग्री पहुंचाई है।

क्यों मुसीबत में भी कश्मीर का ही राग अलाप रहा पाकिस्तान

गौरतलब है कि पाकिस्तान इन दिनों भीषण राजनीतिक और आर्थिक संकट से गुजर रहा है। उसके पास महज 4 अरब डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार शेष है, लेकिन उसके बाद भी वह कश्मीर के मसले पर भारत को घेरने से बाज नहीं आ रहा है। दरअसल इसके पीछे वजह यह है कि पाकिस्तान की सेना और सरकारें किसी भी संकट में घिरने पर कश्मीर का राग शुरू कर देती हैं ताकि लोगों को अपने पक्ष में लाया जा सके।

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