गणेश चतुर्थी पर करें इस एक स्तोत्र का पाठ करने से दूर होगी आर्थिक तंगी और मनोकामनाएं होगी पूर्ण

गणेश चतुर्थी पर करें इस एक स्तोत्र का पाठ करने से दूर होगी आर्थिक तंगी और मनोकामनाएं होगी पूर्ण

Ganesh Chaturthi 2023 : भगवान गणेश की पूजा करने से सुख-शांति, समृद्धि, धन और ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है। रोजाना नियमित रूप से गणेश स्रोत पाठ करने से आर्थिक तंगी दूर की जा सकती है।

हर साल भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन गणेश चतुर्थी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस साल ये त्यौहार 19 सितंबर के दिन मनाया जाने वाला है। गणेश चतुर्थी के त्योहार के चलते लोग काफी ज्यादा उपाय करते हैं ताकि उनके जीवन में आई परेशानियों को भगवान गणेश को प्रसन्न कर दूर किया जा सके।

कहा जाता है कि भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं। इतना ही नहीं आर्थिक तंगी भी दूर होती है, साथ ही उनके जीवन में खुशियों का आगमन होने लगता है। गणेश जी को गजानन, सुखकर्ता, लंबोदर, एकदंत, गणधिपति, सिद्धिविनायक, गजानन, गौरीनंदन, शंकरनंदन के साथ कई नामों से जाना जाता है।

जैसा की सभी जानते हैं हर शुभ कार्य के पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है ताकि किसी भी कार्य में विघ्न न आए और ना ही जीवन में कुछ भी गलत हो। इसलिए उन्हें उन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है। ठीक उसी तरह अगर कोई व्यक्ति आर्थिक तंगी से परेशान रहता है या उसके जीवन में लगातार परेशानी बनी रहती है तो भी भगवान श्री गणेश की ही पूजा अर्चना की जाती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश की पूजा करने से सुख-शांति, समृद्धि, धन और ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है। अगर आप भी आर्थिक तंगी से लगातार परेशान बने हुए हैं और अब तक इसके लिए कई उपाय कर चुके हैं तो आज हम आपको गणेश चतुर्थी पर किए जाने वाले एक स्रोत के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका पाठ करने से धन संबंधित परेशानियां दूर होती है।

स्तोत्र पाठ :
ॐ स्मरामि देवदेवेशं वक्रतुण्डं महाबलम्।

षडक्षरं कृपासिन्धुं नमामि ऋणमुक्तये॥१॥

महागणपतिं वन्दे महासेतुं महाबलम्।

एकमेवाद्वितीयं तु नमामि ऋणमुक्तये॥२॥

एकाक्षरं त्वेकदन्तमेकं ब्रह्म सनातनम्।

महाविघ्नहरं देवं नमामि ऋणमुक्तये॥३॥

शुक्लाम्बरं शुक्लवर्णं शुक्लगन्धानुलेपनम्।

सर्वशुक्लमयं देवं नमामि ऋणमुक्तये॥४॥

रक्ताम्बरं रक्तवर्णं रक्तगन्धानुलेपनम्।

रक्तपुष्पैः पूज्यमानं नमामि ऋणमुक्तये॥५॥

कृष्णाम्बरं कृष्णवर्णं कृष्णगन्धानुलेपनम्।

कृष्णयज्ञोपवीतं च नमामि ऋणमुक्तये॥६॥

पीताम्बरं पीतवर्ण पीतगन्धानुलेपनम्।

पीतपुष्पैः पूज्यमानं नमामि ऋणमुक्तये॥७॥

सर्वात्मकं सर्ववर्णं सर्वगन्धानुलेपनम्।।

सर्वपुष्पैः पूज्यमानं नमामि ऋणमुक्तये॥८॥

एतद् ऋणहरं स्तोत्रं त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः।

षण्मासाभ्यन्तरे तस्य ऋणच्छेदो न संशयः॥९॥

सहस्रदशकं कृत्वा ऋणमुक्तो धनी भवेत्॥

॥ इति रुद्रयामले ऋणमुक्ति श्री गणेशस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥

इस स्रोत पाठ को करने से जीवन की परेशानियां दूर होने लगती है साथ ही व्यक्ति के सिर पर हमेशा बप्पा का आशीर्वाद बना रहता है। वह अपने भक्त की हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं। साथ ही धन हानी भी नहीं होने देते।

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