दिल्ली सरकार पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, केजरीवाल की बड़ी जीत/LG नहीं कर पाएंगे अपनी मनमर्जी
- सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को अरविंद केजरीवाल सरकार की बड़ी जीत बताया जा रहा है
- अब बदल जाएगी दिल्ली की राजनीति, केजरीवाल के कामों में नहीं लगाया जा सकेगा अड़ंगा
- SC का बड़ा फैसला: कहा- ट्रांसफर, पोस्टिंग का अधिकार सरकार के पास, प्रशासन के कामों में एलजी सलाह मानें
Delhi Govt vs LG in Supreme Court: केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद पर आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने फुल स्टॉप लगा दिया।
- दिल्ली: केजरीवाल सरकार के पक्ष में आया फैसला
- सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल को मिली बड़ी जीत
पांच जजों की पीठ ने शक्तियों के बंटवारे पर कहा :
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जो बातें विधायी क्षेत्र से बाहर हैं, उनके अलावा सभी सेवाओं पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण होना चाहिए।
केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर लंबे समय चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने अपना फैसला सुना दिया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह सर्वसम्मति का फैसला है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यह व्यवस्था दी कि जमीन, पुलिस और कानून-व्यवस्था को छोड़कर राष्ट्रीय राजधानी की बाकी प्रशासनिक सेवाओं पर दिल्ली सरकार का ही नियंत्रण है। उपराज्यपाल इन तीन मुद्दों को छोड़कर दिल्ली सरकार के बाकी फैसले मानने के लिए बाध्य हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इसी के साथ यह भी जोड़ा कि इसके ये मायने नहीं हैं कि उपराज्यपाल का पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र पर प्रशासनिक नियंत्रण है। अगर पूरा प्रशासन उन्हें दे दिया गया तो दिल्ली के अंदर पृथक निर्वाचित व्यवस्था के कोई मायने नहीं रह जाएंगे।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा तय प्रशासनिक भूमिका के तहत आने वाले अधिकारों का उपराज्यपाल इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि, विधायिका के दायरे के बाहर आने वाले मुद्दों को वे कार्यकारी रूप से चला सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि लोकतांत्रित रूप से निर्वाचित सरकार को अधिकारियों को नियंत्रित करने की इजाजत नहीं दी गई तो विधायिका और जनता के प्रति उस सरकार की जवाबदेही कमजोर हो जाएगी। दिल्ली का केंद्र शासित क्षेत्र अन्य केंद्र शासित प्रदेशों जैसा नहीं है। यह अपने आप में अलग है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर अधिकारियों ने मंत्रियों को रिपोर्ट करना बंद कर दिया या उन्होंने मंत्रियों के निर्देश नहीं माने तो सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत पर असर पड़ेगा।
माना जा रहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के इस स्पष्ट निर्णय के बाद दिल्ली की राजनीति पूरी तरह बदल जाएगी और अब दिल्ली सरकार के कामकाज में अनावश्यक ‘अड़ंगा’ नहीं लगाया जा सकेगा।
सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के मुताबिक महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों (IAS) पर भी दिल्ली सरकार का नियंत्रण रहेगा, भले ही वे उसकी तरफ से नियुक्त न किए गए हों।
केजरीवाल के लिए कितनी बड़ी जीत
दिल्ली में अभी तक केंद्र सरकार की सलाह पर उपराज्यपाल अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का आदेश जारी करते थे। अब सुप्रीम कोर्ट ने ये अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिया है। मतलब अफसर अब पूरी तरह से दिल्ली सरकार के अधीन हो जाएंगे। सियासी और प्रशासनिक तौर पर ये केजरीवाल सरकार की बड़ी जीत है। इससे दिल्ली सरकार के अधिकार में काफी इजाफा हो जाएगा।’
राजनितिक विशेज्ञों के अनुसार दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार भले ही केंद्र सरकार से छिन लिया गया हो, लेकिन अभी भी काफी मामलों में केंद्र के पास अधिकार होंगे। दिल्ली में कानून व्यवस्था और जमीन के मामले में अधिकार अभी भी पूरी तरह से केंद्र सरकार के हाथ में है। दिल्ली की पुलिस व्यवस्था भी केंद्र सरकार के पास रहेगी।