BJP : टिकट की चर्चा के बीच फिक्रमंद थे कैलाश विजयवर्गीय-मेरे कारण बेटे आकाश का राजनीतिक अहित न हो
BJP Second List : कैलाश विजयवर्गीय ने कहा-बीजेपी दो तिहाई बहुमत से भी ज्यादा तीन चौथाई बहुमत से चुनाव जीत रही है. इंदौर के 9 में से 9 विधानसभा चुनाव हम जीत रहे हैं. कुशल राजनीतिकार अमित शाह का ये निर्णय है. मध्य प्रदेश के चुनाव में उतर जाओ और हम लोग उतर गए हैं. सोशल मीडिया पर नंबर वन पर मैं ट्रेंड कर रहा हूं. आसपास लगातार जश्न का माहौल है. कार्यकर्ताओं में उत्साह है. ये हमारी रणनीति का हिस्सा है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हम चुनाव लड़ रहे हैं.
इंदौर. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की दूसरी सूची ने सबको चौंका दिया है. केंद्रीय मंत्री, सांसदों और चुनाव की राजनीति से दूर नेताओं सबको पार्टी ने चुनाव मैदान में उतार दिया है. इनमें एक नाम पार्टी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय का भी है. टिकट मिलने पर वो हैरत में भी हैं और एक पिता के नाते मन में पहले कुछ हिचकिचाहट भी थी. चिंता ये कि कहीं उनकी वजह से बेटे आकाश का राजनीतिक अहित न हो जाए. लेकिन पार्टी का आदेश इस सबसे ऊपर. इसलिए कैलाश विजयवर्गीय पार्टी के सिपाही के तौर पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं.
भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर के विधानसभा क्षेत्र नंबर 1 से उम्मीदवार घोषित होने के बाद मीडिया से चर्चा की. उन्होंने कहा मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता था. लेकिन 2 दिन पहले ही मुझे संकेत मिल गए थे. अचानक से सूची में मेरा नाम आ गया जो मेरे लिए भी आश्चर्यजनक था. लेकिन मैं पार्टी का सिपाही हूं. पार्टी जो आदेश करेगी उसे निभाएंगे. चुनाव मैं नहीं लड़ता हूं कार्यकर्ता लड़ते हैं. बीजेपी के कार्यकर्ता दमदार हैं. राजनीति की बात की जाए तो मैने हमेशा से शालीनता विनम्रता और डेवलपमेंट की राजनीति की है. विधानसभा क्षेत्र नंबर 1 में विकास की अपार संभावनाएं हैं. अवैध कॉलोनी का एक बहुत बड़ा हिस्सा विधानसभा क्षेत्र नंबर एक में है.
मेरे कारण आकाश का राजनीतिक अहित न हो:
कैलाश के बेटे आकाश विजयवर्गीय वर्तमान में विधानसभा क्षेत्र नंबर 3 से विधायक हैं. पिता कैलाश को टिकट मिलने के बाद बेटे आकाश के टिकट की दावेदारी को लेकर उठ रहे सवाल के जवाब पर विजयवर्गीय ने कहा राजनीति में आपने चलना सीख लिया तो यह पार्टी ऐसी है जो कभी भी किसी को दौड़ा सकती है और यही काम आकाश को करना है. मेरे पास टीनू बैठे हुए हैं. ये विधानसभा क्षेत्र नंबर 1 से दावेदार थे. लेकिन मौका मुझे मिला. मुझे भी लगा आकाश और मुझे दोनों को पार्टी एक साथ टिकट नहीं देगी. मैंने सोचा मैं क्यों चुनाव लड़ूं. इस शहर में उसने अपनी जगह बनाई है. मेरे कारण उसका राजनीतिक अहित ना हो एक पिता की हैसियत से मेरे मन में ये सवाल जरूर था. लेकिन पार्टी का आदेश पार्टी का आदेश होता है.