बेमौसम बरसात से रीवा में कश्मीर जैसा नजाराकई जगह जमीन पर गिरे ओलेकिसानों की फसल हुई तबाहअन्नदाता को सरकार से मदद की दरकाररबी (गेहूं,चना,राई) की फसल हुई चौपटजिले के हर विधानसभा में रहा बेमौसम बारिश का असरगौरतलब है की रीवा जिले के कई इलाकों में भारी ओलावृष्टि हुई जहां आंवले के आकार के पत्थर खेतों में गिरे और किसानों को भारी नुकसान हुआ।


रीवा : जिले में अचानक से मौसम के मिजाज में आए परिवर्तन के साथ तेज बारिश हुई और इस बारिश में ओले भी गिरे , जिसके कारण किसानों की फसल बर्बाद हो गई है तथा रीवा जिले के कई किसान अब परेशान हो रहे हैं और मुआवजे की आस लगाए बैठ गए हैं .कहते है न कि पानी ही जिलाए और पानी ही मारे , ये बारिश का पानी किसानो की अच्छी फसल की आस को मारने वाला रहा । बेमौसम बारिश ने तो तैयार फसल को नष्ट किया ही , पर कुछ जगहों पर ओले का गिरना किसी कहर से कम नहीं है।जमीन पर गिरा पानी अब अन्नदाता के आंसू की शक्ल ले चुका हैं । किसानों को सूझ नही रहा कि अब क्या करे , इस प्राकृतिक आपदा का सामना वह कैसे करे । कौन उसकी मदद करेगा ।किसानों के सर पर कर्ज का बोझ है ,जिसे उसने कल तक सोच रखा था की इस बार फसल बढ़िया होगी और वो अपना कर्जा ,स्वाभिमान के साथ उतार देगा और परिवार के भरण पोषण के लिए भी कुछ धन जोड़ लेगा ,परंतु यह बेमौसम की बारिश और ओले ने खड़ी फसल को तबाह कर दिया और तबाह हो गई है अन्नदाता की सारी उम्मीद ।फसल की सिंचाई आदि के लिए जो बिजली मुहैया थी , उस बिजली के बिल जो कि सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता ही रहता है ,वह भी अब अन्नदाता के गले की फांस की तरह है।अब अन्नदाता कैसे भरेगा बिजली का बिल ।कहा से आएगा धन।क्युकी किसानो का बिजली विभाग के साथ कोई बहुत अच्छा अनुभव कभी नही रहा।कभी कभी तो ये बिजली विभाग वाले बिल वसूलने की खातिर पुलिस से भी ज्यादा क्रूरता करने वाले सिद्ध होते है ।


कुल मिलाकर अन्नदाता अब चातक की तरह सरकार से आस लगाए बैठा है कि सरकार ही उसकी सुध ले ,कुछ राहत दे,मुआवजा दे,बिजली का बिल माफ आदि करे ,तो शायद किसान की चिंता की लकीरों में कुछ कमी हो ,अन्यथा अन्नदाता के पास कोई विकल्प रह नही जाता ।सरकार को चाहिए अन्नदाता को राहत देने वाले कुछ फैसले तुरंत ले ,और राहत भरे उन फैसलो को तुरंत अमल में लाए ,अन्यथा किसान अब टूट ही जाएगा ,ऐसे में उसके पास एक ही विकल्प रह जाता है …आत्महत्या!उल्लेखनीय है की इसके पहले की फसल (धान आदि) भी किसान की उम्मीद तोड़ने वाली ही रही थी । उस समय भी प्रकृति ने रूष्ट होकर उस पर वज्रपात ही किया था ।सरकार की तरफ से जो राहत,मुआवजा अन्नदाता को मिला था वह ऊट के मुंह में जीरे के समान या दाल में नमक के समान ही था।परंतु इस बार किसान सरकार से बड़ी राहत की उम्मीद कर रहा है ।बहरहाल सरकार किसानो की उम्मीदों पर कितना खरा उतरती है , यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।फिलहाल तो उसकी कमर टूट चुकी है ।

अन्नदाता के कंधे झुके हुए है , मन चिंताग्रस्त है और आंखों में आंसू भरे है ।रीवा जिले के मनगवा, मऊगंज और त्यौंथर सहित कई क्षेत्रों में अचानक मौसम बदलने के साथ तेज बारिश हुई इस दौरान ग्रामीण इलाकों में पत्थर की साइज के ओले भी गिरने शुरू हो गए जिससे किसानों की विभिन्न फसलों का भी भारी नुकसान हुआ है।उल्लेखनीय है कि आज मौसम ने ऐसे बदली मारी कि किसानों में हाहाकार मच गया और फसल नष्ट होने के कारण अब वह मुआवजे की दरकार लगाएं बैठे हैं।किसान सरकार से गुहार लगा रहे है कि उनकी मदद की जाए । गौरतलब है कि देर शाम से मौसम बदलने के कारण जिले के कई हिस्सों में भारी बारिश हुई तो वहीं कुछ विशेष हिस्सों में ओले भी पड़े , जिसके कारण किसानों के अरहर, चना, गेंहू, मसूर और राई जैसी अन्य कई फसलें बर्बाद हो गई हैं , और अब किसान अपनी फसलों के नुकसान की भरपाई कराने को लेकर सरकार से मदद की आस लिए बैठे हुए हैं…
by Umesh Shukla @ ‘VIRAT24’ news