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रीवा जिले में सूखे जैसे हालात निर्मित
जलसंकट को लेकर किसानों ने किया प्रदर्शन
पानी नहीं तो फिर वोट भी नहीं
855 करोड़ रुपए के माइक्रो इरिगेशन सूक्ष्म दबाब योजना में लेट लतीफी को लेकर नाराज किसान
क्षेत्रीय विधायकों और सांसद के निकम्मेपन पर नाराज थे ग्रामीण
2013-14 के नहर परियोजना के क्रियान्वयन न होने से प्रभावित हो रही है खेती किसानी
पेयजल संकट को लेकर भी ग्रामीणों ने सरकार को घेरा
रीवा जिले की सबसे महत्वाकांक्षी माइक्रो इरिगेशन सिंचाई परियोजना

सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के शिकायत पर ‘मध्य प्रदेश राज्य मानव अधिकार आयोग’ द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद , अधीक्षण यंत्री बाणसागर नहर मंडल द्वारा दिनांक 9 दिसंबर 2016 को मानवाधिकार आयोग को भेजे गए अपने एक प्रतिवेदन में उल्लेख किया गया था , की लगभग 855 करोड रुपए की लागत से रीवा जिले की 50 हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन को सिंचित करने के लिए मनगवां तहसील के 33 गांव , नईगढ़ी तहसील के 282 गांव, रायपुर कर्चुलियान तहसील के 33 गांव, गुढ़ तहसील के 30 गांव, मऊगंज तहसील के 205 गांव, त्यौंथर तहसील के 18 गांव एवं सिरमौर तहसील के 32 गांव के कृषकों की जमीन की सिंचाई , इस परियोजना के माध्यम से की जाएगी।
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इस परियोजना का नाम ‘माइक्रो इरिगेशन सूक्ष्म दबाव परियोजना’ रखा गया था , जहां ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पानी पहुंचाने के लिए इस नई तकनीक के रूप में समझा जा सकता है । लेकिन जो कार्य 2017-18 में पूर्ण किए जाने का लक्ष्य था वह आज 2023 में भी पूर्ण नहीं हो पाया है या यूं कहें कि उसका मात्र बड़े मुश्किल से 20 प्रतिशत कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है।
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ऐसे में स्वाभाविक तौर पर सरकारी योजनाओं से किसानों और ग्रामीणों को लाभान्वित करने की मंशा पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो जाता है क्युकी 855 करोड़ की 50 हजार हेक्टेयर से अधिक सिंचाई परियोजना खटाई में पड़ गयी है ।
किसानों का यह आरोप की यह सब योजनाएं घटिया राजनीति और मात्र किसानों को वोट बैंक हेतु लुभाने तक तो सीमित नहीं है , जो कि काफी हद तक जायज भी है।
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लालगांव-टेहरा क्षेत्र के किसानों ने सूखी अधूरी नहर के भीतर पैदल मार्च कर किया प्रदर्शन
गौरतलब है कि दिनांक 11 मार्च 2023 को रीवा जिले के सिरमौर तहसील अंतर्गत लालगांव सर्किल के आसपास सिसवा टेहरा और लालगांव के कई किसानों ने नवनिर्मित वेयर हाउस के पास सूखी पड़ी टेहरा-सिसवा की तरफ जाने वाली नहर के बीचों बीच पैदल मार्च कर प्रदर्शन किया।
उपस्थित किसान सुनील सिंह, लवकुश तिवारी, मोहन प्रसाद पांडेय, गिरिजा केवट, सुदर्शन नामदेव, सौखीलाल केवट, शांति भूषण पांडेय, अजय केवट, विकास त्रिपाठी, कान्हा पांडेय, सत्येंद्र पाठक, रंगलाल पटेल, सुदर्शन नामदेव, राकेश रतन पांडेय, मिठाईलाल प्रजापति, अरुण सिंह, चिकनी प्रजापति, मुन्नालाल प्रजापति ,युवा कार्यकर्ता अरुणेंद्र पटेल और वेद प्रकाश पांडेय सहित उपस्थित सैकड़ो किसानों ने सीधे सरकार पर आरोप लगाया की सरकार किसानों को ठगने का काम कर रही है और किसानों को मात्र वोट बैंक की राजनीति तक ही सीमित रखा है ।
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किसानों ने कहा की न तो यहां पर कोई विधायक सुनते हैं और न ही सांसद I विकास यात्रा के नाम पर मात्र हवा-हवाई बातें कर यहां से चले जाते हैं और जब नहर में पानी और किसानों की समस्याओं की बात की जाती है , तो उसकी अनदेखी की जाती है।
किसानों ने कहा कि अब यदि सरकार उनकी समस्याओं को नजरअंदाज करती है और नहर का कार्य पूर्ण कर पानी नहीं दिया जाता तो आगे और भी बड़े आंदोलन कर सकते हैं। अभी जो भी प्रदर्शन किया गया है वह मात्र क्षेत्र की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने के लिए और उन्हें कुंभकर्णी निद्रा से जगाने के लिए है ।
आगे यदि कार्यवाही नही होती तो समस्त जवाबदेही शासन प्रशासन की होगी। शांतिपूर्ण ढंग से किए गए इस प्रदर्शन में किसानों ने जमीन के घटते जल स्तर और पेयजल से लेकर बिजली कटौती और सिंचाई तक की समस्याओं का जिक्र किया और कहा कि अभी हाल ही में पिछले दिनों , ओले की वजह से भी उनकी फसलों को नुकसान हुआ है और किसानों की कमर टूट गई है । इसलिए फसल नुकसानी की भरपाई किए जाने की माग की है।
किसानों ने बेसहारा गोवंशों के लिए भी तत्काल शासकीय गौशालायें बनाने और उन्हें सुचारु रूप से व्यवस्थित किए जाने माग की है ।
इस बीच उपस्थित सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने कहा की , सरकार को तत्काल किसानों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए और नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन और सूक्ष्म दबाव परियोजना सहित बाणसागर नहर मंडल और गंगा कछार से जुड़ी हुई समस्त परियोजनाओं को तत्काल पूरा किया जाकर किसानों को जल उपलब्ध करवाया जाए I
जिससे न केवल फसलों की सिंचाई हो सकेगी अपितु भूजल स्तर में भी सुधार होगा I जिससे पेयजल संकट को भी लेकर जो समस्याएं प्रारंभ हो गईं हैं उनसे भी निजात मिलेगी।
उन्होंने कहा की नलजल और जल-जीवन मिशन से संबंधित योजना पर व्यापक स्तर का भ्रष्टाचार है , जिस पर सरकार ध्यान दें और जांच कराया जाकर घर-घर पानी उपलब्ध करवाया जाए . . .