- कमिश्नर ने संभागीय कार्यशाला का किया शुभारंभ
- घरेलू हिंसा से पीड़ित महिला के संरक्षण के उपायों का व्यापक प्रचार-प्रसार करें
- घरेलू हिंसा से बचाव के लिए महिलाओं को करें जागरूक
रीवा . महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा विन्ध्या रिट्रीट में एक दिवसीय संभागीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। घरेलू हिंसा से पीड़िता के लिए सहायता योजना एवं कानूनी प्रावधानों की जानकारी देने के लिए इसका आयोजन किया गया।
कार्यशाला का शुभारंभ कमिश्नर अनिल सुचारी ने किया। इस अवसर पर कमिश्नर ने कहा कि प्राचीन काल में परिवार और समाज में महिलाओं को श्रेष्ठ स्थान प्राप्त था। समय के साथ कई सामाजिक बुराईयों के कारण महिलाओं को परिवार और समाज में उचित स्थान मिलना कम हो गया। घरेलू हिंसा से पीड़ित महिला के संरक्षण के लिए 2005 में कानूनी प्रावधान बनाए गए। इस संबंध में शासन द्वारा 2006 में विस्तृत नियम लागू किए गए हैं। इसमें घरेलू हिंसा की व्यापक परिभाषा दी गई है।
मारपीट के अलावा मानसिक तथा आर्थिक रूप से प्रताड़ित करना भी घरेलू हिंसा के दायरे में होता है। महिला के साथ केवल पुरूष ही नहीं बल्कि परिवार का कोई भी वयस्क अथवा अवयस्क व्यक्ति अनुचित व्यवहार करता है तो वह इस एक्ट के दायरे में आएगा।
कमिश्नर ने कहा कि एक्ट के प्रावधानों तथा ऊषा किरण योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार करें। इस योजना से जुड़े अधिकारी भी प्रावधानों का भलीभांति अध्ययन करके घरेलू हिंसा की सूचना मिलने पर पीड़ित महिला के साथ संवेदनशीलता और जिम्मेदारी से कार्यवाही करें। आपका छोटा सा प्रयास किसी महिला को संकट से उबारकर राहत दे सकता है। संभाग के साथ-साथ प्रत्येक जिले और विकासखण्ड में एक्ट के प्रावधानों प्रचार-प्रसार के लिए कार्यशालाएं आयोजित करें। शासन महिलाओं के कल्याण के प्रति बहुत संवेदनशील है। शासन के निर्देशों के परिपालन की जिम्मेदारी आप सबकी है। यह कार्यशाला महिला सशक्तिकरण में मील का पत्थर साबित होगी। कार्यशाला में दी गई जानकारियों को आत्मसात करने के साथ-साथ अपनी शंकाओं का समाधान भी कर लें।
कार्यशाला में संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास श्रीमती ऊषा सिंह सोलंकी ने ऊषा किरण योजना के प्रावधानों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सभी परियोजना अधिकारियों को इस योजना के तहत संरक्षण अधिकारी बनाया गया है। योजना को लागू करने में वन स्टॉप सेंटर की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। घरेलू हिंसा के प्रकरणों में सभी अधिकारी संवेदनशीलता से कार्य करें।
कार्यशाला में जिला विधिक सहायता अधिकारी अभय मिश्रा ने एक्ट के प्रावधानों तथा प्रकरणों के निराकरण एवं पीड़ित महिला को राहत पहुंचाने की प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस एक्ट के अधीन सभी विवाहित और अविवाहित महिलाओं को सांझा चूल्हा परिवार में रह रहे किसी भी सदस्य द्वारा की गई शारीरिक अथवा मानसिक हिंसा से बचाव का प्रावधान है। घरेलू हिंसा से पीड़ित महिला को एफआईआर दर्ज कराने थाने जाने की आवश्यकता नहीं है।
संरक्षण अधिकारी अथवा पुलिस अधिकारी से शिकायत दर्ज कराकर वह समस्या का निदान पा सकती है। इसमें परिवार के सदस्यों की काउंसलिंग, पीड़िता को प्रतिकर देने, स्त्रीधन प्राप्त करने, परिवार और घर में रहने के अधिकार सहित सभी तरह के संरक्षण प्राप्त हैं।
कार्यशाला में सहायक संचालक सतना श्यामकिशोर द्विवेदी ने एक्ट के प्रावधानों तथा उन्हें लागू करने की प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी दी। थाना प्रभारी प्रियंका पाठक ने कार्यशाला में कहा कि एक्ट में पुलिस को थोड़ी सी भूमिका दी गई है लेकिन वह बहुत महत्वपूर्ण है।
हर थाने में महिला ऊर्जा डेस्क स्थापित किया गया है जिसमें कोई भी पीड़ित महिला स्वस्थ वातावरण में महिला पुलिस अधिकारी को अपनी समस्या बता सकती है। घरेलू हिंसा से पीड़िता की सहायता के लिए बनाए गए कानूनी प्रावधानों को लागू करने का पूरी तरह से प्रयास किया जाता है। पुलिस को महिलाओं से संबंधित प्रकरणों के निराकरण में कई तरह की चुनौतियाँ सामने आती हैं।
पुलिस अधिकारी इनका सामना करते हुए पीड़िता की सहायता का हर संभव प्रयास करते हैं। कार्यशाला में महिला एवं बाल विकास विभाग के श्रेष्ठ कार्य करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को सम्मानित किया गया।
कार्यशाला में कार्यक्रम अधिकारी सतना सौरभ सिंह, कार्यक्रम अधिकारी सिंगरौली राजेशराम गुप्ता, सहायक संचालक सिंगरौली प्रवेश मिश्रा, परियोजना अधिकारी रीवा शहरी जीवेन्द्र सिंह तथा संभाग के सभी जिलों के परियोजना अधिकारी एवं अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। कार्यशाला का संचालन सहायक संचालक आशीष द्विवेदी ने किया।