49 वें खजुराहो नृत्य समारोह का समापन नृत्यों से आनंद का पल्लवी और उमंग का तिल्लाना

49 वें खजुराहो नृत्य समारोह का समापन नृत्यों से आनंद का पल्लवी और उमंग का तिल्लाना

49 वें खजुराहो नृत्य समारोह में पत्थरों पर जिंदगी की दूब रोपी , हम सृजन का वेग हैं आकार हैं हम। खजुराहो में वाकई पत्थरों पर जीवंत शिल्प जिंन्दगी की रवानगी की मिसाल हैंकि उस पर नव गति नव लय और नए ताल छंद भरते नृत्य भारतीय कला संस्कृति को एक उदात्त रूप में सामने लाते हैं ।

खजुराहो नृत्य समारोह का या स्वरूप दिलो दिमाग में लेकर आज दुनिया भर से आये सैलानी भरे दिल से अपने गांव और शहरों के लिए रवाना हुए। आज आखिरी दिन भी उन्होंने इस उत्सव का भरपूर आनंद लिया।

गोपिका का मोहिनी अट्टम ,अरूपा और उनके साथियों की भरतनाट्यम ओडिसी और मोहिनीअट्टम की प्रस्तुति उनकी आंखों में समाई हुई थी तो पुष्पिता और उनके साथियों का नृत्य भी उनकी स्मृतियों से जाने वाला नही है।

आज आखिरी दिन नृत्य की शुरुआत गोपिका वर्मा के मोहिनीअट्टम से हुई। भारत की सांस्कृतिक दूत के रूप में विख्यात गोपिका ने गणेश स्तुति से अपने नृत्य की शुरुआत की। चित्रांगम् नाम की इस प्रस्तुति में उन्होंने नृत्यभावों से गणेश जी के स्वरूप को साकार किया ।

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