आज का जीवन यांत्रिक जीवन बनता जा रहा है , ऐसे में हम ज्यादा से ज्यादा यंत्रो पर निर्भर हो रहे है , हमारे पास खुद और अपनों के लिए समय नहीं है। एक ही घर में रहते हुए भी लोग इतने व्यस्त है की कई दिनों आपस में मिल नहीं पाते , एक दूसरे के साथ में बात नहीं होती,परन्तु इन सब धमाचौकड़ी से हमारा व्यक्तिगत – पारिवारिक जीवन,हमारा स्वास्थय ,हमारे सांस्कृतिक मूल्य,हमारा समाज सब कुछ प्रभावित हो रहा है। इन सब पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में हम सुख शांति से दूर हो रहे है,भोग विलास के तमाम साधन होते हुए भी सुकून कोसो दूर है। प्रकृति से हम दूर हो गए है ,पर्यावरण तबाह हो रहा है। अगर मानव जाती अब भी न चेती तो परिणाम भयावह होंगे। इसी कड़ी में कुछ काम की बाते बता रहे है जिससे हमारा जीवन सुगम हो सके, प्राकृतिक संतुलन बन सके ,समाज सुधार हो सके , हमारी सेहत सही ट्रैक पर रह सके तभी तो हम खुशहाल हो सकेंगे —
- गांव से नाता जोड़ कर रखें , गांव की पैतृक सम्पत्ति और वहां के लोगों से नाता जोड़कर रखें I
- अपनी संतानों को अपने धर्म की शिक्षा अवश्य दें और उनके मानसिक व शारीरिक विकास पर अवश्य ध्यान दें I
- किसी बदमाश प्रवृत्ति के व्यक्ति से सामान लेने-देने , व्यवहार करने से यथासंभव बचें I
- घर में बागवानी करने की आदत डालें और यदि पर्याप्त जगह है , तो देशी गाय पालें।
- होली, दीपावली,विजयादशमी, नवरात्रि, मकर संक्रांति, जन्माष्टमी, राम नवमी, आदि जितने भी त्यौहार आयें, उन्हें आफिस/कार्य से छुट्टी लेकर सपरिवार मनाये।इससे परिवार में सामंजस्य बढ़ेगा साथ ही पारिवारिक एकता और मजबूत होगी।
- प्रत्येक दिन कुछ देर पैदल जरूर चलें , हो सके तो प्रतिदिन अन्यथा हफ्ते में कुछ दिन व्यायाम जरूर करें।दो किलोमीटर तक जाना हो, तो पैदल जाएं या साईकिल का प्रयोग करें I मकसद ये की कुछ देर पैदल अवश्य चला जाए ताकि शरीर चुस्त तंदुरुस्त रह सके।
- प्रात: काल 5-5:30 बजे उठ जाएं और रात्रि को 10 बजे तक सोने का नियम बनाएं , सोने से पहले आधा गिलास पानी (गुनगुना) अवश्य पिये (हार्ट अटैक की संभावना घटती है) I
- यदि आपकी कोई एक संतान पढ़ाई में असक्षम है , तो उसको कोई भी हुनर (Skill) वाला ज्ञान जरूर दें I जिससे की वह भविष्य में खुद और अपने परिवार का भरण पोषण कर सके।
- आपकी प्रत्येक संतान को कम से कम तीन फोन नंबर स्मरण होने चाहिए, और आपको भी I ताकि आपात स्तिथि में संपर्क हो सके।
- जब भी परिवार व समाज के किसी कार्यक्रम में जाएं , तो अपनी संतानों को भी ले जाएं , इससे उनका मानसिक विकास सशक्त होगा I
- परिवार के साथ मिल बैठकर भोजन करने का प्रयास करें, और भोजन करते समय मोबाइल फोन और टीवी बंद कर लें I
- अपनी संतानों को अधकचरा फिल्मों से बचाएं और प्रेरणादायक फिल्में दिखाएं I
- जंक फूड और फास्ट फूड से बचें Iइन फूड्स की वजह से अनेको बीमारिया होती है।
- सांयकाल के समय कम से कम 10 मिनट भक्ति संगीत सुने, बजाएं I
- दिखावे के चक्कर में पड़कर, व्यर्थ का खर्चा न करें Iघर का बजट बनाये ताकि आपात स्तिथि में धन की कमी न पड़े। कोरोना का उदहारण हम सबके सामने है।
- अपनी संतानों के मन में किसी भी प्रकार के नशे (गुटखा, तंबाखू, बीड़ी, सिगरेट, दारू…) के विरुद्ध चेतना उत्पन्न करें तथा उसे विकसित करें I
- सदैव सात्विक भोजन ग्रहण करें, अपने भोजन का ईश्वर को भोग लगा कर प्रसाद ग्रहण करें I
- अपने आंगन में तुलसी का पौधा अवश्य लगायें, व नित्य प्रति दिन पूजा, दीपदान अवश्य करें I
- घर में पुत्र का जन्म हो या कन्या का, खुशी बराबरी से मनाएँ I दोनों जरूरी है I अगर बेटियाँ नहीं होगी तो परिवार व समाज को आगे बढाने वाली बहुएँ कहाँ से आएगी और बेटे नहीं होंगे तो परिवार समाज व देश की रक्षा कौन करेगा I