फूलेरा दूज पर पूरे दिन अबूझ मुहूर्त होता है
फूलेरा दूज शुभ दिनों में से एक होता है
यह दिन दोष रहित होता है
फूलेरा दूज यानि फाल्गुन शुक्ल द्वितीया तिथि पर फूलों का उत्सव. फूलेरा दूज का संबंध भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी के साथ होली से भी जुड़ा है. फूलेरा दूज के अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की पूजा की जाती है. इस दिन से भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों में होली की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. फूलेरा दूज मुख्यत: मथुरा, वृंदावन समेत उत्तर भारत के हिस्सों में मनाया जाता है. इस साल फूलेरा दूज 21 फरवरी दिन मंगलवार को है. इस दिन पांच शुभ योग बन रहे हैं. फूलेरा दूज पर पूरे दिन अबूझ मुहूर्त होता है.
श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी बताते हैं कि फूलेरा दूज शुभ दिनों में से एक होता है. यह दिन दोष रहित होता है और किसी प्रकार से हानिकारक नहीं होता है. पूरे दिन “अबूझ मुहूर्त” होने के कारण इस दिन लोग नए कार्य प्रारंभ करते हैं, विवाह भी किए जाते हैं. इस दिन शुभ या मांगलिक कार्यों को करने के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं पड़ती है
फूलेरा दूज 2023 तिथि
फूलेरा दूज हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाते हैं. पंचांग के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल द्वितीया तिथि 21 फरवरी को सुबह 09:04 एएम से शुरू होगी और 22 फरवरी को सुबह 05:57 एएम पर खत्म होगी. 21 फरवरी को फूलेरा दूज के दिन 5 शुभ योग बन रहे हैं.
5 शुभ योगों में फूलेरा दूज
शिव योग: प्रात:काल से लेकर प्रात: 06:57 एएम तक
सिद्ध योग: प्रात: 06:57 एएम से 22 फरवरी को 03:08 एएम तक
साध्य योग: 22 फरवरी, 03:08 एएम से पूरे दिन
सर्वार्थ सिद्धि योग: 21 फरवरी, प्रात: 06:38 एएम से 22 फरवरी 06:54 एएम तक.
त्रिपुष्कर योग: 21 फरवरी, 09:04 एएम से 22 फरवरी 05:57 एएम तक
कैसे हुई फूलेरा दूज की शुरूआत
पौराणिक कथाओं के अनुसार, काफी दिनों तक भगवान श्रीकृष्ण के न मिलने से राधारानी और गोपियां उदास हो गई थीं. उनकी इस हालत से वहां आसपास के फूल भी मुरझाए से दिखने लगे थे. तब भगवान श्रीकृष्ण फाल्गुन शुक्ल द्वितीया तिथि को राधारानी और गोपियों से मिलने पहुंचे. उन्हें देखकर राधाजी और गोपियां खुश हो गईं, जिससे फूल भी खिले खिले दिखने लगे और चारों ओर फिर से हरियाली छाने लगी.
उसी दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने एक फूल तोड़कर राधारानी पर फेंका. जवाब में राधारानी ने भी श्रीकृष्ण पर एक फूल फेंका. यह देखकर गोपियां भी फूल तोड़कर श्रीकृष्ण पर फेंकने लगीं. इस तरह से फूलों की होली शुरू हो गई. यह द्वितीया तिथि की घटना थी, इसलिए हर साल इस तिथि को फूलेरा दूज मनाया जाता है.