महाशिवरात्रि पर जरूर करें दर्शन,भगवान शिव के 3 प्राचीन मंदिरों से जुड़ी है पौराणिक कथा

महाशिवरात्रि पर आप वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन कर सकते हैं-Image-Canva

Best Temples to Visit on Shivratri : महाशिवरात्रि के मौके पर लोग भगवान शिव के मंदिरों में दर्शन के लिए जाते हैं.

शिवरात्रि के दिन गोला गोकर्णनाथ मंदिर के दर्शन भक्तों के लिए यादगार हो सकते हैं.
शिवरात्रि पर आप उत्तराखंड में स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर का भी रुख कर सकते हैं.

Best Temples to Visit on Shivratri: भगवान शिव के भक्तों को महाशिवरात्रि के पर्व का बेहद बेसब्री से इंतजार रहता है. ऐसे में कुछ लोग शिवरात्रि का उपवास रखते हैं. तो कई लोग मंदिर में भगवान शिव की अराधना करना पसंद करते हैं. हालांकि महाशिवरात्रि पर अगर आप भोलेनाथ के दर्शन करना चाहते हैं तो देश के इन प्राचीन मंदिरों का रुख करना आपके लिए बेस्ट ऑप्शन साबित हो सकता है.

वैसे तो देश के हर कोने में महादेव का मंदिर मौजूद है. मगर आज हम आपको बताने जा रहे हैं उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में मौजूद भगवान शिव के सबसे प्राचीन मंदिरों के नाम. जहां शिवरात्रि के मौके पर भोलेनाथ के दर्शन करके आपका दिन काफी खास और यादगार बन सकता है.

काशी विश्वनाथ मंदिर (उत्तर प्रदेश)
भगवान शिव का काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. उत्तर प्रदेश के सबसे प्राचीन शहर वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर को सातवां ज्योतिर्लिंग भी माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वाराणसी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिका है. ऐसे में ये माना जाता है कि शिवरात्रि के महापर्व पर इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने से लोगों के सारे पाप मिट जाते हैं. साथ ही काशी को माता पार्वती के पंसदीदा स्थलों में भी गिना जाता है.

गोला गोकर्णनाथ, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में स्थित गोला गोकर्णनाथ मंदिर को मिनी काशी भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं की मानें तो सतयुग में रावण के घोर तपस्या करने के बाद भगवान शिव को लंका ले जाने के लिए मना लिया था. हालांकि रास्ते में लघुशंका लगने के कारण रावण को शिवलिंग जमीन पर रखना पड़ा था. मगर बाद में काफी कोशिशों के बाद भी रावण उस शिवलिंग को उठा नहीं पाया था. ऐसे में भगवान शिव की वही शिवलिंग आज भी गोला गोकर्णनाथ मंदिर में मौजूद है.

नीलकंठ महादेव, उत्तराखंड
नीलकंठ महादेव मंदिर उत्तराखंड के फेमस टूरिस्ट स्पॉट ऋषिकेश से महज 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. पौराणिक मान्यता की मानें तो देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया था.

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इस दौरान सागर में से विष भी निकला था. जिस विष को महादेव ने इसी जगह पर अपने कंठ में ग्रहण किया था और इसे पीने से उनका गला नीला पड़ गया था. इसीलिए भगवान शिव के इस प्राचीन मंदिर को नीलकंठ महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है .शिवरात्रि के अवसर पर आप नीलकंठ मंदिर के दर्शन कर सकते हैं .

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