फेयर स्किन पर सन डैमेज का असर सबसे अधिक देखने को मिलता है.
सन एक्सपोजर की वजह से ऑयल प्रोडक्शन और भी बढ़ जाता है.
Skin Damage Due To Sun UV Rays: शरीर के लिए विटामिन डी (Vitamin D) काफी जरूरी है. विटामिन डी का सबसे बड़ा सोर्स सूरज की रोशनी को माना जाता है. विटामिन डी स्किन के टिश्यू को अंदर से हेल्दी बनाने में मदद करता है और शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाता है. धूप हमारे लिए जरूरी है, लेकिन दोपहर की धूप त्वचा के लिए हानिकारक साबित हो सकती है. सूरज की अल्ट्रावॉयलेट किरणों से स्किन को नुकसान पहुंचता है. यहां आपको बता रहे हैं कि अलग अलग त्वचा के टाइप के अनुसार स्किन किस तरह यूवी किरणों के संपर्क में आकर डैमेज हो सकती है.
अल्ट्रावॉयलेट किरणों की वजह से स्किन एजिंग, कैंसर, इन्फ्लेमेशन का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. यही नहीं, जिनके घर में कैंसर का इतिहास है, बॉडी पर कई मोल्स हैं, स्किन टोन फेयर है, आंखों का रंग ब्लू, ग्रीन, ब्राउन है या उनके बालों का रंग भूरा है, आदि पर यूवी किरणों का खतरा सबसे अधिक देखने को मिलता है.
त्वचा के हिसाब से जानें सन डैमेज का असर
फेयर स्किन टोन- गोरी त्वचा यानी फेयर स्किन वालों पर सन डैमेज का असर सबसे अधिक देखने को मिलता है. ये स्किन टाइप आसानी से जल सकती है और इन्हें सनबर्न, स्किन कैंसर, रिंकल, लाल होना जैसी समस्याओं से दोचार होना पड़ता है. ऐसी स्किन टाइप के लोगों को जरूर सनस्क्रीन का सेवन करना चाहिए.
मीडियम स्किन टोन- ऐसी स्किन गोरी त्वचा से थोड़ी सी गहरी होती है. ऐसी त्वचा जलती कम है लेकिन टैन आसानी से हो जाती है. हालांकि यूवी किरणों के संपर्क में आने से उन्हें भी स्किन कैंसर, रिंकल आदि का खतरा रहता है.
डार्क स्किन टोन- डार्क स्किन टोन के लोगों की त्वचा यूवी किरणों के संपर्क में आने से प्रोन होती है. ऐसी त्वचा पर धूप से स्किन कैंसर, एजिंग का खतरा ना के बराबर रहता है. हालांकि अध्ययनों से यह भी पता चला है कि गहरे रंग की त्वचा एक्रेल लेंटिजिनस मेलेनोमा के प्रति अधिक संवेदनशील होती है और नाखूनों के नीचे या पैरों के तलवों या हाथों की हथेलियों पर स्किन कैंसर का खतरानाक संकेत विकसित हो सकता है.
ऑयली स्किन- ऑयली स्किन के लोग अगर अधिक धूप में रहें तो त्वचा जल्दी खिंच जाती है हालांकि जलती नहीं है. सन एक्सपोजर की वजह से ऑयल प्रोडक्शन और भी बढ़ जाता है और ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स बढ़ जाते हैं.
ड्राई स्किन- ड्राई स्किन यूवी किरणों के संपर्क में आने से कुछ ही देर में रूखी और शुष्क हो जाती है और त्वचा पर रिंकल, लाइन्स आदि तेजी से आ सकते हैं.
सेंसिटिव स्किन- सबसे अधिक मुश्किल संवेदनशील त्वचा को झेलनी पड़ती है. सूर्य के संपर्क में आने पर त्वचा पर चकत्ते लाली, खुजली और इंफ्लामेशन आने लगते हैं. ऐसे लोगों को डॉक्टर की सलाह पर सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए.