Turkey-Syria Earthquake: क्या भारत में भी आ सकता है ऐसा खतरनाक भूकंप?

Turkey-Syria Earthquake:भारत-गंगा के मैदानी इलाकों में इस तरह के भूकंप से 1 करोड़ लोगों की जान जा सकती है.

कई वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालय में बहुत जल्द एक प्रचंड भूकंप (earthquake) आने वाला है. इन वैज्ञानिकों का अनुमान है कि वह भूकंप कम से कम 8.1 से 8.3 M की तीव्रता का रहेगा, हालांकि रिक्टर स्केल पर सात की तीव्रता वाले भूकंप ही काफी खतरनाक माने जाते हैं. अगर इतनी तीव्रता का विशाल भूकंप आता है तो इसके परिणामस्वरूप भारत-गंगा के मैदान (Indo-Gangetic Plain) में 10 मिलियन यानी एक करोड़ लोगों की जान जा सकती है. भारत में बड़े पैमाने पर भूकंप की संभावना को देखते हुए, जान-माल के नुकसान को कम करने के लिए देश में नीति निर्माताओं और जनता को जियोलॉजी, मिटिगेशन इंजीनियरिंग और आपदा प्रबंधन के मुद्दे पर सलाह देने के लिए विशेषज्ञों की टीम होनी चाहिए.

इस अभियान के जरिए वैज्ञानिकों को शुरुआती दौर में रिसर्च करने, रिव्यू करने, भूवैज्ञानिक और प्राकृतिक विशेषताओं से परिचित होने का मौका मिलेगा. यह अभियान भूकंप संभावित उत्तरी, दक्षिणी ईरान और तुर्की के कई क्षेत्रों जैसे संकरी टेथिस सागर की साइटों का भी दौरा करेगा.

भूकंप संभावित इलाकों की जियोलॉजी को नेविगेट करना

इस अभियान के दौरान रास्ते में, हमारे दल के साइंटिस्ट 30 विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के वैज्ञानिकों के साथ पिछले भूकंपों और वर्तमान भूकंपीयता ज्ञान का आदान-प्रदान करेंगे, जिससे भूकंप भूविज्ञान के बारे में उनकी समझ और बेहतर हो सकेगी. जैसा कि हमारा अभियान दल सीरिया से मोजाम्बिक तक ग्रेट रिफ्ट वैली के साथ-साथ सफर तय करेगा, ऐसे में इसके विकासवादी इतिहास को बेहतर ढंग से समझने के लिए रिफ्ट सिस्टम के ज्वालामुखीय चट्टानों के भू-रासायनिक क्रमिक विकास (geochemical evolution) को अध्ययन के लिए लिया जा सकता है.

ईरान में दक्षिण से उत्तर की ओर जाते हुए. हमारे अभियान के वाहन (स्कॉर्पियो) जाग्रोस माउंटेन के साथ लगे हुए हाइवे में चलते हैं. ये माउंटेन मुड़े हुए हैं और इन्हें ठीक नहीं किया जा सकता है. इस दौरान हम हरी, भूरी और धूसर चट्टानों के एक सीक्वेंस के साथ चलते रहे, जिनसे सफेद नमक के ग्लेशियर निकल रहे थे. चूंकि वैश्विक टेक्टोनिक्स अरब को एशिया की ओर ले जाता है, इसलिए यह क्षेत्र सक्रिय रूप से क्रस्टल शॉर्टिंग से गुजर रहा है.

इसके परिणाम स्वरूप तलछटी चट्टान की परतें उसी तरह से मुड़ी हुई हैं, जैसे किसी कालीन को धकेलने से वह मुड़ जाएगी. देश के अंदर मौजूद एक प्राचीन समुद्र के वाष्पीकरण द्वारा नमक जमा हुआ, जोकि तलछटी चट्टानों की इन परतों से दब गए थे. अधिकांश अन्य चट्टानों की तुलना में कम घनत्व होने के कारण नमक ग्लेशियर की तरह अलग होने से पहले वर्टिकल कॉलम्स में पृथ्वी की क्रस्ट के जरिए ऊपर की ओर पलायन करता है.

Jagros mountain

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *