Virat24news- एक कहावत है कि सैंया हुए कोतवाल तो डर काहे का ,इस कहावत को चरितार्थ कर रही है ताजवी कंसल्टेंसी जिसका संचालक रीवा जनपद पंचायत में पदस्थ संविदा कर्मी का भाई है।या यह कहे कि भाई के नाम से कागजो में फर्म चलाई जा रही है। पिछले 2 वर्षों में इस फर्म को करोड़ो का भुगतान रीवा जनपद और इसकी पंचायतों के। द्वारा किया गया है।इतना ही नही कोरोना महामारी में जब सम्पूर्ण लॉक डाउन था तब भी यह फर्म निर्माण सामग्री सप्लाई कर रही थी और इसके निर्माण कार्य चल रहे थे।यह विराट24 नही कह रहा वल्कि इस दौरान ताजवी कॉन्सटेंसी के द्वारा काटे गए विल चीख चीख कर कह रहे है। बिना ऑफिस कार्यालय और मटेरियल के जिस तरह से यह संस्था लॉकडाउन के दौरान भी लाखों कमाया है उससे बड़े पूंजीपतियों को चाहिए कि इसके संचालक से मिलकर व्यवसायिक ज्ञान प्राप्त करें। हालांकि इस के काले कारनामों को उजागर करने के लिए कुछ ग्रामीण युवक जिला पंचायत सीईओ से लेकर कलेक्टर तक शिकायत की ,लेकिन इसकी काली कमाई के सामने सभी नतमस्तक हो गए , यहां तक की जिला पंचायत सीईओ और कलेक्टर ने जनपद का निरीक्षण कर इसकी सेवा समाप्त करने से लेकर कई कार्यवाही करने का खोखला आश्वासन दिया था, लेकिन कार्यवाई के नाम पर उसे जनपद के अन्य कई महत्वपूर्ण विभागों का प्रभारी बना दिया गया है। जिससे समझा जा सकता है कि जिले के अधिकारियों तक इस फर्म संचालक और इसके रहनुमा की कितनी पहुंच है। जब जिला प्रशासन से कोई न्याय नहीं मिला तो शिकायतकर्ता अब न्यायालय की शरण में भी पहुंचे हैं। अब देखना यह होगा की दिन दूनी लॉक डाउन में 10गुनी तरक्की करने वाली फर्म जिसे हरीश्चन्द्र का वरदहस्त प्राप्त है उसकी जांच की जाती है या फिर इसीतरह जनता के पैसे को संतरी से लेकर मंत्री तक हजम करते रहेंगे और इसे विकाश बताएंगे।