World Heart Day 2023: कम उम्र में क्यों बढ़ रहे हार्ट अटैक से मौत के आंकड़े?
World Heart Day 2023 कामकाज के बढ़ते बोझ की वजह से लोगों की जीवनशैली भी तेजी से बदलने लगती है। ऐसे में लाइफस्टाइल में बदलाव क असर लोगों की सेहत पर भी पड़ने लगा है। इन दिनों कई सारे लोग हार्ट से जुड़ी बीमारियों को शिकार हो रहे हैं। खासकर युवाओं में इन दिनों हार्ट अटैक के कई मामले देखने को मिल रहे हैं। डॉक्टर से जानते हैं इसकी वजह-
World Heart Day 2023: इन दिनों लोगों की लाइफस्टाइल में तेजी से बदलाव होने लगा है। खानपान की बदलती आदतें और काम के बढ़ते प्रेशर का असर अब हमारी सेहत पर भी पड़ने लगा है। इन दिनों छोटी उम्र में ही लोग कई तरह की बीमारियों और समस्याओं का शिकार हो रहे हैं। दिल से जुड़ी समस्याएं इन दिनों काफी आम हो चुकी हैं। सिर्फ बढ़ी उम्र ही नहीं, बल्कि आजकल छोटी उम्र के लोग भी हार्ट का अटैक का शिकार हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर अक्सर हार्ट अटैक से जुड़े वीडियो शेयर किए जाते हैं, जिसमें देखने को मिलता है कि किसी एक शख्स की अचानक मौत हो जाती है।
हाल ही में ऐसा ही एक वीडियो सामने आया था, जिसमें दिख रहा था कि एक लड़के की जिम में एक्सरसाइज करते समय अचानक दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। इससे पहले भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें कई लोगों की हार्ट अटैक की वजह से कम उम्र में मौत हो गई है। ऐसे में लगातार सामने आ रहे हार्ट अटैक के केस अब चिंता का विषय बन गए हैं। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर देश में युवाओं को ऐसा क्या हो गया कि उन्हें कम उम्र में अटैक का सामना करना पड़ा रहा है।
क्यों बढ़ रहें युवाओं में हार्ट अटैक के मामले?
ऐसे में देश में अचानक हार्ट से हो रही मौतों के बारे में जानने के लिए हमने अपोलो इंद्रप्रस्थ एऑर्टिक प्रोग्राम के सर्जिकल लीड, एऑर्टिक सर्जन और सीनियर कंसल्टेंट कार्डियोवस्कुलर निरंजन हीरमथ से बात की। युवाओं में बढ़ते हार्ट अटैक के मामलों पर डॉक्टर का कहना है कि हार्ट से जुड़ा ये मसला चिंताजन होता जा रहा है। उन्होंने बताया कि आज जो भी हम देख रहे हैं, वह लाइफस्टाइल, गलत जानकारी और लापरवाही की वजह से हो रहा है।
कोविड के बाद हुए बदलाव भी हैं कारण:
डॉक्टर निरंजन कहते है कि भारत में कोविड के बाद बढ़े वर्क फ्रॉम होम कल्चर भी इसका अहम कारण है। उन्होंने बताया कि कोविड ने हमारे काम करने की आदत में काफी बदलाव किया है, जिसकी वजह से हमारी लाइफस्टाइल में भी बदलाव आ गया है। यह बदलाव हमारे आपके हार्ट के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो रहा है। इसके साथ ही कई रिसर्च में भी कोविड और हार्ट संबंधी दिक्कतों के बीच कनेक्शन की बात सामने आ चुकी है। साथ ही यह कनेक्शन कम उम्र के लोगों में भी दिख रहा है। ऐसे में इससे बचने के लिए मेडिकल जांच, ब्लड टेस्ट, इको स्कैन और ट्रेडमिल टेस्ट आदि अच्छे विकल्प हैं।
लाइफस्टाइल और स्ट्रेस भी बन रहे वजह:
इन दिनों स्मोकिंग यानी धूम्रपान लोगों की लाइफस्टाइल का एक अहम हिस्सा बन चुका है। ऐसे में यह भी हार्ट की बीमारियों के अहम कारणों में से एक बना चुका है और फिर इसके साथ स्ट्रेस होना इस जोखिम को बढ़ाने का काम कर रहा है। युवाओं में स्ट्रेस और स्मोकिंग हार्ट संबंधी दिक्कतों की अहम वजह बन रहा है। डॉक्टर निरंजन कहते हैं कि ‘युवाओं में बिगड़ती लाइफस्टाइल और काम का स्ट्रेस दोनों मिलकर उनकी हेल्थ के लिए एक खतरनाक कॉम्बिनेशन का काम कर रहे हैं।
गलत जानकारी भी एक वजह:
खराब लाइफस्टाइल और स्ट्रेस के साथ ही सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रही गलत जानकारी भी अब कम उम्र में होने वाली मौतों की एक अहम वजह है। सोशल मीडिया पर मौजूद आधी-अधूरी जानकारी की मदद से लोग खुद से इलाज करने की कोशिश करने लगते हैं। हालांकि, इन प्लेटफॉर्म्स पर कई सही जानकारियां भी शेयर होती हैं, लेकिन इन्हें हेल्थकेयर प्रोफेशनल यानी डॉक्टर से रिप्लेस नहीं किया जा सकता है। ऐसे में सही इलाज और उससे जुड़ी पूरी जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
इन लक्षणों का रखें ध्यान:
सीने में दर्द, एकदम से पसीने आना, उल्टी आना, बाएं हाथ और जबड़े में दर्द होना हार्ट से जुड़ी दिक्कत के प्राथमिक लक्षण हैं, जिन पर मेडिकल ध्यान देने की जरुरत है। हालांकि, सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी जानकारी शेयर की जा रही है, जिसमें इन लक्षणों को इग्नोर करने और डॉक्टर्स से दूर रहने पर जोर दिया जा रहा है।
दूर करें एक्सरसाइज की जुड़े मिथक:
कई लोगों का मानना है कि एक्सरसाइज से हार्ट संबंधी दिक्कतों को बढ़ावा मिलता है, लेकिन डॉक्टर का कहना है कि ऐसा नहीं है और एक्सरसाइज हेल्थ के लिए फायदेमंद है। हालांकि, डॉक्टर ने ये भी बताया कि दिक्कत उस समय पैदा होती है, जब लोग एकदम से काफी ज्यादा वर्कआउट करने लगते हैं, जो आम तौर पर एक्सरसाइज को लेकर एक्टिव नहीं है। डॉ. निरंजन के अनुसार शारीरिक एक्सरसाइज में ज्यादा मेहनत के बजाय लगातार मेहनत का दृष्टिकोण होना चाहिए।
मेडिकल व्यवस्थाओं पर हो विश्वास:
अक्सर लोगों को भारत की मेडिकल व्यवस्था और प्रोफेशनल पर कम विश्वास होता है और उन्हें लेकर कई बाते शेयर की जाती हैं। हालांकि, भारत का मेडिकल सिस्टम विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है, जिसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ट्रेनिंग प्राप्त कर चुके डॉक्टर्स हैं। ऐसे में सही और समय पर इलाज के लिए उनपर विश्वास होना जरूरी है।