Nipah Virus क्या है, कहां से आया, पहली बार किसे हुआ, इसके लक्षण और इलाज
निपाह वायरस को लेकर केरल में हाहाकार मचा हुआ है. केंद्र की एक टीम कोझिकोड़ जाकर मामले के बारे में जानकारी ले रही है. जानिए निपाह वायरस क्या है? जानिए इसके लक्षण, कारण और इलाज.
Nipah Virus के आउटब्रेक से केरल में हालात खराब होते जा रहे हैं. लगातार सामने आ रहे मामलों की वजह से राज्य में कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं. कोझिकोड़ में दो दिन तक स्कूल बंद रखने का फैसला किया गया है और दुकानों के खुलने-बंद करने का भी समय तय कर दिया गया है. इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक टीम भी कोझिकोड़ पहुंच गई है. यह टीम कोझिकोड़ के जिला प्रशासन के साथ Nipah Virus Outbreak पर जानकारी लेगी और आगे की कार्रवाई करेगी. Nipah Virus का डर एक बार फिर से फैलने लगा है. ऐसे में यह समझ लेना जरूरी है कि Nipah Virus असल में क्या है? कहां से आया और इसके संक्रमितों में कैसे लक्षण नजर आते हैं?
कहां से आया Nipah Virus?
Nipah Virus एक जूनोटिक वायरस है. मतलब यह वायरस जानवरों से इंसानों में आया है. यह चमगादड़ और सूअर जैसे जानवरों से इंसानों में आता है. यह वायरस संक्रमित भोजन और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है. संक्रमित व्यक्ति को यह वायरस कई तरह परेशान करता है. कई ऐसे अवसर भी होते हैं, जब इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति में कोई लक्षण नजर नहीं आते. जबकि कुछ लोगों में सांस लेने में गंभीर समस्या और इंसेफ्लाइटिस (दिमागी सूजन) जैसे लक्षण भी नजर आते हैं. Nipah Virus के कारण सूअर जैसे जानवरों में भी गंभीर बीमारी हो सकती है.
संक्रमित में Nipah Virus के लक्षण कब दिखते हैं?
निपाह वायरस से संक्रमित व्यक्ति को यदि सही समय पर उचित इलाज नहीं मिलता है तो व्यक्ति की मौत भी हो जाती है. Nipah Virus के संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति में संक्रमित होने के 4-14 दिन के भीतर लक्षण नजर आने लगते हैं. संक्रमित व्यक्ति में 3-14 दिन तक लक्षण रहते हैं. इस दौरान यह व्यक्ति को सही इलाज मिल जाता है तो उसकी जान बच सकती है, अन्यथा मौत भी हो सकती है.
Nipah Virus इंफेक्शन के लक्षण
निपाह वायरस से संक्रमित व्यक्ति में कई तरह के लक्षण नजर आते हैं. उनमें से कुछ हम यहां बता रहे हैं –
- बुखार
- सिरदर्द
- खांसी
- गले में खरा
- सांस लेने में दिक्कत
- उल्टी आना
गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति में Nipah Virus के निम्न लक्षण दिखते हैं –
- भ्रम की स्थिति, उनींदापन या भटकाव (Disorientation, Drowsiness or Confusion)
- दौरे पड़ना (Seizures)
- कोमा में जाना
- मस्तिष्क में सूजन (Encephalitis)
गंभीर रूप से बीमार होने की स्थिति में 40-75 फीसद तक मरीजों की मौत हो जाती है. जो व्यक्ति Nipah Virus से संक्रमित होने के बाद बच जाते हैं, उनमें भी लंबे समय तक इसके साइड इफेक्ट्स रह सकते हैं. लगातार ऐंठन और व्यक्तित्व में बदलाव ऐसे प्रमुख साइड इफेक्ट हैं. कई बार तो Nipah Virus से संक्रमित व्यक्ति की काफी लंबे समय बाद यानी महीनों और सालभर बाद भी मौत हो जाती है.
पहली बार कब सामने आया निपाह वायरस
निपाह वायरस की पहचान पहली बार साल 1999 में हुई. पहली बार मलेशिया में सूअर पालने वाले किसानों में यह सामने आया. साल 2001 में बांग्लादेश में भी निपाह वायरस के मामले सामने आए. पूर्वी भारत में भी समय-समय पर निपाह वायरस के मामले सामने आते रहते हैं. साल 2018, 2021, 2022 में भी निपाह वायरस के मामले सामने आ चुके हैं. इसके अलावा भी कई अफ्रीकी और मिडल ईस्ट के देशों में निपाह वायरस के मामले समय-समय पर आते रहे हैं.
Nipah Virus का निदान
निपाह वायरस संक्रमण की पहचान आमतौर पर इसके लक्षणों से ही की जाती है. लेकिन इसकी पुष्टि के लिए RT-PCR टेस्ट किया जाता है. जिसमें शरीर के तरल की जांच की जाती है. ELISA टेस्ट के जरिए भी निपाह वायरस का निदान किया जाता है.
निपाह वायरस का इलाज
निपाह वायरस के खिलाफ अभी तक कोई भी वैक्सीन या दवा सर्वमान्य तौर पर उपलब्ध नहीं है. WHO के अनुसार इस वायरस से संक्रमित होने पर सपोर्टिव केयर ही एकमात्र उपाय है. इसके लिए पीड़ित को ज्यादा से ज्यादा आराम करने, पानी आदि तरल पीने की सलाह दी जाती है. इसके अलावा लक्षणों का इलाज किया जाता है, ताकि मरीज को लक्षणों से निजात मिल सके.