मिशन इन्द्रधनुष का द्वितीय चरण 11 से 16 सितम्बर तक चलेगा
रीवा: मिशन इन्द्रधनुष 5.0 अभियान का द्वितीय चरण 11-16 सितम्बर तक जिले में आयोजित किया जा रहा है। डॉ. बी. एल. मिश्रा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने जानकारी देते हुये बताया कि 11-16 सितम्बर के समस्त टीकाकरण सत्रों को यू.बिन पोर्टल में आईएमआई के रूप में चिन्हित कर इनका प्रकाशन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि समस्त आशा कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्र के प्रत्येक घर का भ्रमण कर गर्भवती माताओं तथा 0-5 वर्ष तक के बच्चों का चिन्हांकन करके सत्र स्थल पर टीकाकरण कराने हेतु लायेगी। इस हेतु आगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका एवं स्थानीय व्यक्तियांे का सहयोग प्राप्त करें। टीकाकरण के दौरान एनाफाइलेकटिक किट एवं एड्रिनलिन का डोज चार्ट अनिवार्य रूप से सत्रों पर उपलब्ध रहें एब्हीडी के माध्यम से समस्त कोल्ड चैन हेण्डलर वैक्सीन अनिवार्य रूप से उपलब्ध करावेगंे। सभी टीकाकरण सत्रों का लिंकेज े ए.ई.एफ.आई. सेन्टर से किया जावें समस्त आर.बी.एस. की टीम आवश्यक दवाओं के साथ कार्य करेगी। समस्त डिलेवरी प्वाइंट पर जन्म लेेने वाले बच्चों की जानकारी, जन्म लेने के 24 घन्टे के अन्दर टीकाकरण हेपेटाइटिस बी, बीसीजी, ओपीब्ही, कर के यूबिन पोर्टल में इन्द्राज करने की जिम्मेदारी डिलेवरी प्वाइंज मेनेजर की होगी।
मिशन इन्द्रधनुष 5.0 की अवधि के पश्चात आयोजित किये जाने वाले समस्त नियमित टीकाकरण सत्रों का आयोजन भी यू बिन पोर्टल के माध्यम से किया जावेगा। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. बी. के. अग्निहोत्री द्वारा बताया गया कि सघन मिशन इंद्रधनुष अभियान कार्यक्रम के द्वितीय चरण की शुरूआत 11 सितम्बर से हो चुकी है। मऊगंज जिला के हनुमना विकासखण्ड अंतर्गत दिनांक 13 सितम्बर को आयोजित विशाल आयुष्मान स्वास्थ्य मेला होने के कारण 13 को मिशन इन्द्रधनुष आयोजित सत्र 17 सितम्बर को होगा।
डॉ. बी. एल. मिश्रा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला रीवा ने बताया कि टीकाकरण से छूटे हुये समस्त 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के सम्पूर्ण टीकाकरण करवाने के लिये पूरे जिले में 400 सौ से अधिक सत्र आयोजित किये जायेगें। बच्चों का अनिवार्य रूप से टीकाकरण करवाये ताकि 11 तरह की बीमारियों (टी.बी., हेपेटाइटिस बी, डिप्थीरिया, कुकुर खॉसी, टिटनस, पोलियो, निमोनिया, खसरा, रूबेला, नेत्र में होने वाली बीमारियॉ, हीमोफैलुयर इंफुन्जा बी, जापानीज इन्सिफलाइटिस) आदि से बच्चों में होने वाले जोखिम से बचाया जा सके।