चीन ने नए नक़्शे पर भारत की आपत्ति का दिया जवाब, ताइवान ने भी किया आगाह
अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन को चीनी सीमा में दिखाने वाले नए नक़्शे पर भारत की आपत्ति का अब चीन ने जवाब दिया है.
इस नक़्शे पर ताइवान के विदेश मंत्री की भी प्रतिक्रिया आई है.
28 अगस्त को चीन ने एक नया नक़्शा जारी किया था. इसे चीन ने ‘स्टैंडर्ड मैप’ बताया था.
इस नक़्शे में एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को चीनी सीमा में दिखाया गया था.
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में इस नक़्शे पर कहा था कि बेतुके दावे करने से दूसरे का क्षेत्र आपका नहीं हो जाता है.
अब चीन के विदेश मंत्रालय ने एक सवाल के जवाब में भारत के विरोध का जवाब दिया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, ”28 अगस्त को प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय ने 2023 का स्टैंडर्ड मैप जारी किया. चीन में क़ानून के मुताबिक़ संप्रभुता की प्रक्रिया के तहत ये एक नियमित प्रथा है. हम उम्मीद करते हैं कि संबंधित पक्ष इस मुद्दे पर वस्तुनिष्ठ रहेगा और शांति से काम लेगा. संबंधित पक्ष इस मुद्दे की ज़रूरत से ज़्यादा व्याख्या करने से बचे.”
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ताइवान के विदेश मंत्री ने भी चीन को लेकर किया आगाह
चीन के नए नक़्शे में किए दावे का ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने भी विरोध किया है.
जोसेफ वू ने बुधवार को कहा, ”ताइवान को डराने, धमकाने के लिए चीन अपनी सैन्य ताक़त बढ़ा रहा है.”
जोसेफ वू बोले, ”चीन का विस्तारवाद ताइवान तक नहीं रुकता. पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर में चीन ‘ग्रे ज़ोन एक्टिविटी’ के ज़रिए अपनी शक्ति का विस्तार और अपने आक्रामक क्षेत्रीय दावों को भी साबित करना चाहता है. चीन बंदरगाहों को सुरक्षित कर रहा है ताकि भविष्य में हिंद महासागर में सेना का इस्तेमाल किया जा सके.”
ग्रे ज़ोन एक्टिविटी ऐसी गतिविधियां मानी जाती हैं, जिसे एक तरह का छोटा युद्ध कह सकते हैं या फिर ऐसी हरकतें जिससे युद्ध शुरू हो सकता है.
चीन ताइवान को अपने से अलग हुआ एक प्रांत मानता है और उसे लगता है कि वो एक न एक दिन चीन के नियंत्रण में आ जाएगा.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग कह चुके हैं कि ताइवान का “एकीकरण” पूरा होकर रहेगा. चीन अपने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए ताक़त के इस्तेमाल की बात भी करता रहा है.
मगर ताइवान ख़ुद को एक स्वतंत्र देश मानता है, जिसका अपना संविधान और अपने चुने हुए नेताओं की सरकार है.
हाल ही में ब्रिटिश संसद की विदेश मामलों की एक कमिटी ने ताइवान को आज़ाद मुल्क कहा था. इस बारे में चीनी विदेश मंत्रालय से भी बुधवार को सवाल किया गया.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बुधवार को पूछे इस सवाल के जवाब में कहा- ”ताइवान चीन का अभिन्न अंग है. ब्रिटिश संसद की संबंधित रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित नहीं है और गुमराह करने वाली है. वन चाइना पॉलिसी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है. हम ब्रिटिश संसद की कमेटी से ये कहेंगे कि अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों और वन चाइना पॉलिसी का सम्मान करें.”