दुनिया का पहला आपदा अस्पताल बना भारत में, आम आदमी खुद कर सकेगा उपचार
भारत के वैज्ञानिकों ने प्रोजेक्ट भीष्म के तहत विश्व का पहला आपदा अस्पताल तैयार किया है जो पूरी तरह स्वदेशी है। कहीं भी आपदा होने पर इस अस्पताल को महज आठ मिनट में तैयार कर मरीजों का इलाज शुरू किया जा सकता है। अभी तक के अध्ययन बताते हैं कि किसी भी आपदा में करीब दो फीसदी लोगों को गंभीर चिकित्सा सेवा की तत्काल जरूरत पड़ती है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल भीष्म प्रोजेक्ट की घोषणा की थी। भारत दूसरे देशों को यह आपदा अस्पताल एक्सपोर्ट करेगा। तीन देशों को निशुल्क यह अस्पताल देनी की फिलहाल चर्चा है।
देश में दुनिया का पहला आपदा अस्पताल बनाया गया है, जहां पर मरीज को सिर्फ 8 मिनट में इलाज मिलेगा। प्रोजेक्ट भीष्म के तहत तैयार किए गए इस अस्पताल में किसी भी आपदा या इमरजेंसी की स्थिति में लोगों को इलाज देने में मदद मिलेगी। कहीं भी कोई आपदा या इमरजेंसी होगी तो अस्पताल तैयार कर लिया जाएगा और मरीज को महज 8 मिनट में इलाज मिलेगा। इसके लिए एक टास्क फोर्स तैयार की गई है, जो अस्पताल तैयार करने से लेकर मरीजों को इलाज मुहैया कराने तक की सभी जिम्मेदारियां निभाएगी।
आपको बता दें कि भारत के वैज्ञानिकों ने प्रोजेक्ट भीष्म के तहत विश्व का पहला आपदा अस्पताल तैयार किया है जो पूरी तरह स्वदेशी है। कहीं भी आपदा होने पर इस अस्पताल को महज आठ मिनट में तैयार कर मरीजों का इलाज शुरू किया जा सकता है।
720 किलो के 36 बॉक्स में इसका सारा सामान आ जाता है, जिसे हेलिकॉप्टर से नीचे फेंकने पर भी बॉक्स नहीं टूटते हैं और न ही पानी का असर होता है।
लागत :
एक अस्पताल को तैयार करने में करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत आती है। भारत तीन देशों को ये अस्पताल निशुल्क देगा। सरकार जल्द ही इसकी घोषणा कर सकती है।
अस्पताल की सरंचना :
- लोहे के तीन फ्रेम हैं, प्रत्येक फ्रेम में 12 छोटे बॉक्स हैं। यानी कुल 36 बॉक्स में सारा सामान है।
- तीनों फ्रेम के बीच में एक छोटा जेनरेटर लगा हुआ है।
- फ्रेम के ऊपर दो स्ट्रेचर भी हैं जो ऑपरेशन थियेटर में बिस्तर का काम कर सकते हैं।
- प्रत्येक बॉक्स के अंदर भारत निर्मित दवा, उपकरण और खाद्य सामग्री है।
- पेन एंटीबायोटिक किट, शॉक किट, चेस्ट इंजरी किट, एयरवे किट और ब्लीडिंग किट मौजूद।
खासियत: आम आदमी खुद ले सकेगा उपचार
इस आपदा अस्पताल की खासियत है कि एक आम इंसान भी देख सकेगा कि बॉक्स में क्या-क्या है। बॉक्स पर लगे क्यूआर कोड को गन कैमरा की मदद से खोलना होगा और इससे पता चल जाएगा कि बॉक्स में क्या-क्या है। इसके अलावा कब इसको तैयार किया गया और एक्सपायरी डेट क्या है इसकी भी जानकारी बॉक्स पर मौजूद होगी। उन्होंने कहा कि अगर कोई आपदा आती है तो डॉक्टर के पहुंचने से पहले एक आम आदमी भी कंटेनर को खोलकर उपचार ले सकता है।