ISRO चीफ़ सोमनाथ ने बताए चंद्रयान 3 के प्रमुख उद्देश्य
इसरो के बताए गए विवरण के मुताबिक, चंद्रयान-3 के लिए मुख्य रूप से तीन उद्देश्य निर्धारित हैं. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराना, चंद्रमा की सतह कही जाने वाली रेजोलिथ पर लैंडर को उतारना और घुमाना लैंडर और रोवर्स से चंद्रमा की सतह पर शोध कराना.
चंद्रयान 3 मिशन के निष्कर्ष चांद पर संभावित रूप से मौजूद बर्फ़ (पानी से बनी) के बारे में जानकारी को बढ़ा और विस्तारित कर सकते हैं, जो संभवतः चंद्रमा के सबसे मूल्यवान संसाधनों में से एक है.
नई दिल्ली: भारत के महत्वाकांक्षी मून मिशन चंद्रयान 3 ने बहुत-सी बाधाओं और दिक्कतों को पार करते हुए बुधवार शाम चंद्रमा की सतह पर सफल सॉफ़्ट लैंडिंग कर देश को दुनिया के विशिष्ट अंतरिक्ष क्लब में शामिल कर दिया है. इसी लैंडिंग के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास अंतरिक्ष यान उतारने वाला दुनिया के पहला देश बन गया है, क्योंकि इंजन में खराबी के चलते उसी क्षेत्र में चंद्रमा को छूने की रूसी कोशिश रविवार को नाकाम हो गई थी.
चंद्रयान 3 की उपलब्धि इसलिए विशेष है, क्योंकि अब तक कोई भी अन्य अंतरिक्ष यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ़्ट लैंडिंग नहीं कर पाया था. चांद का दक्षिणी ध्रुव-अपोलो लैंडिंग सहित पिछले मिशनों द्वारा लक्षित भूमध्यरेखीय क्षेत्र से बहुत दूर-गड्ढों और गहरी खाइयों से भरा है.
चंद्रयान 3 का समूचा हिसाब-किताब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर या दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने के लिए ही था.
चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यान उतारने का यह भारत का तीसरा प्रयास था. इससे पिछला, यानी चंद्रयान 2 सितंबर, 2019 में चंद्रमा पर लैंडर के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद आंशिक विफलता के रूप में सूचीबद्ध किया गया था.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख एस. सोमनाथ ने बताया कि चूंकि चंद्रयान 2 की हार्ड लैंडिंग हुई थी, इसलिए वे कुछ भी रिकवर नहीं कर सके थे और चंद्रयान 3 के लिए सब कुछ नए सिरे से तैयार करना पड़ा.
उन्होंने बताया, “(चंद्रयान 2 की नाकामी के बाद) हमारा पहला साल यह पता लगाने में बीत गया कि चंद्रयान 2 में क्या गड़बड़ी हुई थी, और फिर अगले साल हमने सब कुछ संशोधित किया… पिछले 2 साल हमने परीक्षण में बिताए.”
उन्होंने यह भी कहा कि अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO को COVID-19 महामारी की वजह से काफी नुकसान हुआ था.
एस. सोमनाथ ने कहा, “COVID ने हमारे कुछ कार्यक्रम बाधित कर दिए थे, लेकिन कुछ रॉकेट हम लॉन्च करते रहे… COVID के बाद, हम वापस पटरी पर आ गए.”