रीवा: किसी को आमंत्रण तो किसी को फरमान, मामा के भंजो भांजियों पर क्यों इतना दबाव
रीवा: करोड़ो रुपयों की लागत से स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स के रूप में शहर को सौगात मिली अच्छी बात है। खेल कूद हेतु काम्प्लेक्स बना स्वागत योग्य कदम है। सभी चाहते है कि जिले में खेल कूद के अवसर मिले, युवक युवतिया खेले कूदे और अपना, परिजनों, जिलें, राज्य एवं देश का नाम रोशन करें। कोई और किसी को गुरेज नहीं। परन्तु अगर इन्ही इमारतों और इनके मैदानों में होने वाले सरकारी आयोजनों में भीड़ बढ़ाने के लिए छात्र , छात्राओं और शिक्षकों को तुगलकी फरंमान जारी कर बुलाया जायेगा तो क्या यह न्यायसंगत है ??? वह भी रविवार यानी अवकाश के दिन, एक बार शिक्षक सरकारी है परन्तु छात्र छात्राओं को फरमान जारी कर बुलाना क्या ठीक है ?? यह एक सवाल है जिसका जवाब आप पाठक स्वयं से पूछिए और अंतरात्मा में जवाब टटोलिये। यह कैसा दिवालियापन है कि दिखावे के लिए भीड़ बधाई जा रही और इसके लिए फरमान जारी कर बच्चो को निशाना बनाया जाता है।
एक तरफ तो सभी को आमंत्रण पत्र दिए जा रहे है परन्तु दूसरी तरफ छात्र, छात्रों और शिक्षकों को फरमान जारी कर लगातार तीन दिनों से बुलाया जा रहा है ! आखिर ये भीड़ बढ़ने के नाम पर कब तक यूँ दोहन किया जाता रहेगा ? कभी मंत्रियो, नेताओ ,जनप्रतिनिधियों की रैलियों में भीड़ बाफधने के लिए लोगो को जबरतजस्ती बुलाया जाता है तो कभी सरकारी आयोजनों में भीड़ बढ़कर नेताओ को खुश करनेव के लिए फरमान जारी किया जाता है !
क्या इस तरह से फरमान जारी करना सही है। अरे अगर खेल कूद का आयोजन हो ही रहा है और जिसकी रूचि होगी वह आएगा ही , फरमान जारी कर अन्ययाय क्यों करना।
बहरहाल भीड़ बढ़ने की इस निति को प्रदेश के मुखिया को संज्ञान में लेकर , रोक लगाने का कार्य करना चाहिए , परन्तु फिर यह भी है कि खुद सीएम के आयोजनों में भी भीड़ ऐसी ही बुलाई जा जाती है।