पढ़िए वो पांच कारण जिसके चलते मौजूदा दशक में भारत होगा दुनिया का सिरम
गौरतलब है कि टॉप अमेरिकी फाइनेंस कंपनी ने मोदी सरकार की तारीफ करते हुए इकॉनमी के लिहाज से भारत को मौजूदा दशक में दुनिया का सिरमौर बताया है।
प्राप्त जानकारी अनुसार अमेरिका की बड़ी फाइनेंस कंपनी कैपिटल ग्रुप ने भारत में मोदी सरकार के नेतृत्व में पिछले एक दशक में हुए सुधारों की तारीफ की है और साथ ही भारत को अन्य उभरते बाजारों की तुलना में अधिक आकर्षक बताया है।
ग्रुप ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि भारत में पिछले 10 वर्षों में राजनीतिक स्थिरता देखी गई है, जिससे आर्थिक विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता मिली है।
इस रिपोर्ट के बाद भारत की स्तिथि विश्व बाजार में और सुदृह हुई है। जिससे स्पष्ट आसार है कि निवेशक भारत की ओर आकर्षित होंगे।
ग्रुप ने कहा है कि उच्च कॉरपोरेट आत्मविश्वास, अर्थव्यवस्था के विस्तार और तकनीकी उन्नति और इनोवेशन के साथ भारत के विकास मानदंड सही दिशा में इशारा कर रहे हैं। रिपोर्ट में मोदी सरकार के घरेलू इंफ्रास्ट्र्क्चर को बढ़ावा देने के प्रयासों को अर्थव्यवस्था के लिए बढ़िया बताया गया है।
ग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में कुछ पहलुओं का जिक्र किया है, जो बताते हैं कि भारत किस तरह से तेजी से आर्थिक विकास की ओर बढ़ रहा है।
आइये आपको बताते वो कारण…
विकास को मिली गति :
उल्लेखनीय है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में पदभार संभाला है, उनकी सरकार ने व्यापार-समर्थक सुधारों को शुरू करने में मदद की है, जिन्होंने विकास को गति दी है। कर्ज के विस्तार की सुविधा प्रदान करके और अर्थव्यवस्था के बड़े हिस्से को औपचारिक क्षेत्र में लाया गया है, जिसे कारोबार करने में आसानी के लिए किए गए बड़े बदलाव के रूप में देखा जा सकता है।
आगे कहा गया कि पीएम मोदी के नेतृत्व में आधार, राष्ट्रीय वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) जैसे कई सुधार और कार्यक्रमों की तारीफ की गई है, जो उपभोक्ता ऋण को बढ़ावा देने, राज्य करों के अकुशल जाल को बदलने और इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन की सुविधा प्रदान करने और क्रेडिट प्रदान करने में मदद कर रहे हैं. साथ ही प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाया जा रहा है।
भारत का इक्विटी बाजार बढ़ा :
कैपिटल ग्रुप ने कहा है कि भारत के पूंजी बाजार में हाल के वर्षों में अधिक संख्या में आईपीओ लॉन्च हुए हैं। सार्वजनिक होने वाली कंपनियों के प्रकार और जो आईपीओ अभी पाइपलाइन में हैं, वे देश में हो परिवर्तन की झलक दिखाते हैं। दिसंबर 2022 तक यूनिकॉर्न (1 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य की गैर-सूचीबद्ध कंपनियां) की संख्या के मामले में भारत अब केवल अमेरिका और चीन से पीछे है।
डेमोग्राफी :
पश्चिमी देश इस समय केवल चीन पर निर्भर रहने की जगह दूसरे विकल्पों की तलाश में हैं। इसे चाइना प्लस सोर्सिंग रणनीति कहा जाता है, जिसका सबसे ज्यादा फायदा भारत को होने जा रहा है। कैपिटल ग्रुप के अनुसार, भारत के आर्थिक विकास का बड़ा हिस्सा घरेलू खपत और निवेश से आएगा। 29 वर्ष की औसत आयु के साथ, भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे आकर्षक डेमोग्राफिक प्रोफाइल में से एक है। अगर सही नीतियां लागूं हों तो ये अपनी उत्पादक क्षमता से लाभ प्राप्त कर सकता है।
संरचनातमक उन्नति :
किसी भी देश के उन्नति के लिए सबसे जरूरी चीज है, बुनियादी ढांचा। भारत के लिए इसकी कमी सबसे बड़ी समस्या रही है लेकिन पिछले पांच वर्षों में, सरकार ने सड़कों, रेलमार्गों, हवाई अड्डों और बंदरगाहों के निर्माण में अरबों डॉलर खर्च किए हैं। जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई आज 15 साल पहले की तुलना में पूरी तरह बदल गया है। आज यहां 50 या उससे अधिक मालें की आधा सैकड़ा से ज्यादा इमारते हैं।
रियल एस्टेट सेक्टर :
भारत के रियल एस्टेट सेक्टर में तेजी से वृद्धि का अनुमान लगाया है। भारत में 2031 की जीडीपी में रियल एस्टेट का हिस्सा 15 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है, जो अभी 7 प्रतिशत है। इसमें कहा गया है कि सरकारी नीतियों ने भ्रष्ट प्रथाओं को सुधारने और उपभोक्ताओं के बीच घर खरीदने की प्रक्रिया में विश्वास पैदा करने में मदद की है।
इंडस्ट्री की तारीफ करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़ी संख्या में सरकारें और बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन को छोड़कर निर्माण में विविधता लाने के लिए भारत का रुख कर रही हैं. पिछले दशक में कई रासायनिक कंपनियां सामने आई हैं.