क्या हैं विपक्षी एकता बैठक के असल मायने ? अतिगोपनीय रखने के पीछे क्या हो सकते है कारण?

क्या हैं विपक्षी एकता बैठक के असल मायने ? अतिगोपनीय रखने के पीछे क्या हो सकते है कारण

सवाल उठ रहे है कि, क्या खामियों को छिपाने के लिए बैठक को अतिगोपनीय रखा गया था ?
गौरतलब है कि पटना में 15 विपक्षी दलों की बैठक बेहद गोपनीय तरीके से सम्पन्न हुई है। इस बैठक को अतिगोपनीय रख गया। सिर्फ वही बातें बाहर आयी जो मीडिया में विपक्षी दल चाहते थे कि बाहर आये यानी जो मीडिया के अनुकूल हो।

माना जा रहा है यह गोपनीयता इसलिए बरती गयी ताकि बैठक के दौरान अगर कोई गतिरोध उत्पन्न हो तो वह सार्वजनिक न हो। कमरे की बात कमरे में ही रहे।

अब कयास लगाए जा रहे है कि आखिर 15 विपक्षी दलों की बैठक में क्या मुद्दे रहे होंगे। यह जरुरी भी है क्युकी सत्ता पक्ष में बैठी बीजेपी इसे हल्के में नहीं ले सकती। अगले ही वर्ष लोकसभा चुनाव भी है।

बैठक में इन मुद्दों पर हुई होगी चर्चा :

  • अरविंद केजरीवाल की शर्त पर क्या कोई चर्चा हुई ?
  • आने वाले समय में क्या कांग्रेस ही करेगी विपक्षी एकता दल का नेतृत्व ?
  • क्या स्टेट बाई स्टेट चुनावी रणनीति बनेगी ?
  • क्या बिहार में इस बार कांग्रेस का कद कुछ बढ़ेगा ?
  • क्या विपक्षी एकता दल राहुल गांधी को बतौर प्रधानमंत्री प्रोजेक्ट करेंगे ?
  • अगर नहीं तो क्या विकल्प हो सकते है ?

ऐसे तमाम मुद्दे है जिनके बारे में कहा जा रहा है कि विपक्षी दल को अगर एकता बनाये रखना है और कुछ निर्णायक नतीजों पर पहुचना है तो इन सवालो के जवाब जरूर खोजने होंगे।
बैठकों के दौर जारी हैं। पटना में हुई बैठक के बाद अब अगली बैठक कांग्रेस शासित राज्य हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में होनी है। बैठक की अगुआई कांग्रेस के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे केरेंगे। यह बैठक अगले महीने की 10-12 तारीख के बीच होने वाली है।

बहरहाल विपक्षी एकता दल की बैठक में कुछ बातें जो काबिले गौर रही हैं…

> संयुक्त प्रेस वार्ता की शुरुआत नीतीश कुमार ने की, जो यह इशारा करता है कि उनका कद बढ़ा है।
अगर अरविन्द केजरीवाल ने बैठक का बहिष्कार नहीं किया तो निश्चित रूप से उन्हें कुछ आश्वासन अवश्य मिला होगा।
> हालांकि संयुक्त प्रेस वार्ता से पहले अरविंद केजरीवाल का दिल्ली प्रस्थान करना, एकता की मुहिम पर सवाल खड़ा कर गया।
> ज्यादातर बैठके वही होनी है जहा जहा विपक्षी दलों की सरकार है। इस बार पटना तो अगली बार हिमांचल।
> नितीश कुमार ने साफ़ संकेत दिया है कि अगर किसी राज्य में कोई चुनौती आती है तो सभी लोग उसके खिलाफ साथ मिल कर लड़ेंगे। यानी माना जा रहा है कि शिमला बैठक में इस विषय पर विस्तार से चर्चा होगी।
> नीतीश कुमार ने राहुल गांधी को कुछ बोलने के लिए बार बार अनुरोध किया तो कई नेता उनकी तरफ देखने लगे। ऐसा लग रहा था कि राहुल गांधी इस बैठक में के बारे में कुछ बोलना नहीं चाहते थे। लेकिन नीतीश के जोर देने पर वे बोले। बात की शुरुआत हल्के फुल्के अंदाज में की। लिट्टी-चोखा और गुलाब जामुन खिलाने के लिए नीतीश कुमार का धन्यवाद किया।
> अगली मीटिंग की तारीख और स्थान की जानकारी मल्लिकार्जुन खड़गे ने दी।
> पटना की बैठक में एक साथ मिल कर चुनाव लड़ने पर सहमति बनी।
> शिमला बैठक काफी अहम है। इस बैठक में ही यह चर्चा होगी कि कौन दल कहां से लड़ेंगे। स्टेट बाई स्टेट चुनावी रणनीति बनेगी। एक राज्य की रणनीति दूसरे राज्य के लिए सटीक नहीं रहेगी। बिहार में कैसे चुनाव लड़ेंगे, महाराष्ट्र में कैसे चुनाव लड़ेंगे, ये परिस्थितियों के मुताबिक तय किया जाएगा। कुछ असहमतियों के बावजूद सभी दल मिल कर काम करेंगे।
> लालू यादव फिट नजर आये और नीतीश के बगल में बैठे। माना जा रहा कि विपक्षी एकता की मुहिम में अपने राजनीतिक कौशल का इस्तेमाल करेंगे। लालू यादव ने कहा, ‘मैं पूरी तरह फिट हूं और अब मोदी को फिट करना है’I

कुल मिलाकर देखा जाए तो नितीश कुमार सक्रिय है, लालू यादव फिट है, कांग्रेस अपना कद बिहार में बढ़ाना चाह रही, इन सबके अलावा बीजेपी ससक्त भूमिका में है ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक परेशानी बिहार में ही आनेवाली है। जदयू, राजद, भाकपा माले के बीच कांग्रेस को कितनी सीट मिलेगी, कुछ कहा नहीं जा सकता।
कहा जा रहा है जिन राज्यों मे क्षेत्रीय दलों की सरकार है वहां कांग्रेस को कुर्बानी देनी होगी। इस हिसाब से तो बिहार में इस बार भी कांग्रेस याचक की तरह ही दिखेगी। क्या कांग्रेस को यह मंजूर होगा जो राहुल गांधी को अगला प्रधानमंत्री बनाने का सपना देख रही है ?

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