रीवा में पारा 43 डिग्री पार, जनता हुई बेहाल, पशु-पक्षी भटक रहे इधर उधर

रीवा में पारा 43 डिग्री पार, जनता हुई बेहाल, पशु-पक्षी भटक रहे इधर उधर

रीवा। जिले में भीषण गर्मी का दौर शुरू है। पिछले दो तीन दिन से पारा एकदम से 40 डिग्री पार जा पंहुचा है जिसकी वजह से न केवल इंसान बल्कि पशु पक्षी भी बेचैन हो उठे है।
जिला में तापमान आसमान छू रहा है। जून माह में गर्मी का सितम जारी है। सुबह से ही तेज धूप ने लोगों को बेचैन कर दिया है। साथ ही गर्म हवाएं चलने से लोग घरों से बाहर नही निकल रहे हैं।
बहुत जरूरी काम हो तभी लोग बाहर निकल रहे हैं। दोपहर होते-होते ऐसा लग रहा है मानो आसमान से आग बरस रही हो। प्रचंड धूप और तेज गर्मी की वजह से शहर की मुख्य सड़कें दोपहर में सूनी दिखाई देती हैं। लोग गर्मी में निकलने से बच रहे हैं। दिन का पारा 45 डिग्री पहुंच रहा है।

बता दें, प्रदेश में इस साल मौसम देरी से सक्रिय हो रहा है। माना जा रहा कि हफ्तेभर लेट मानसून केरल में दस्तक दे चुका है। मौसम विभाग की मानें तो केरल में मानसून के दस्तक देने के बाद राज्य में अगले 10-12 दिनों में बारिश की संभावना हो सकती है। बारिश होने के बाद ही गर्मी से राहत मिलेगी। फिलहाल लोग भीषण गर्मी की तपिश झेलने के लिए मजबूर हैं। भीषण गर्मी और उमस के बीच दिन में चलने वाली लू से रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन सहित अन्य सार्वजनिक स्थलों पर आना जाना मुश्किल हो गया है। बेहद जरूरी काम होने के बाद ही लोग घर से निकलते हैं।

रीवा में गर्मी इस कदर है कि पंखे व कूलर की हवा भी लोगों का पसीना रोकने में नाकाम साबित हो रहे हैं। रविवार को दोपहर का तापमान 43 डिग्री सेल्सियस रहा। शनिवार का अधिकतम तापमान 42 डिग्री रहा। गर्मी से बचाव के लिए लोग इधर उधर भटक रहे हैं, लेकिन उन्हें गर्मी से निजात नहीं मिल पा रही है।

इस माहौल में राहगीरों को गर्म हवा के थपेड़ों ने झुलसा दिया है। भीषण गर्मी की वजह से सार्वजनिक स्थलों, बाजारों और सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। इक्का-दुक्का लोग ही सड़कों पर निकल रहे हैं। तेज धूप से बचाव के लिए लोग चेहरे को कपड़ों से ढके नजर आ रहे हैं. लोग बेवजह घूमने से बच रहे हैं।

पशु पक्षी पर कोई नहीं ध्यान:
मनुष्य तो फिर भी भौतिक सुख साधन खोज ले रहा इस गर्मी से बचने का परन्तु सबसे बुरी हालत है पशु पक्षियों जीवों की जो केवल भगवान भरोसे है क्युकी मनुष्य तो उनकी सुध ले नहीं रहा है। जिला प्रशासन की तरफ से कोई व्यवस्था की खबर अब तक तो नहीं आयी अलबत्ता कुछ जागरूक जीव प्रेमी लोगो ने जरूर अपने घरो के बाहर और छतो पर पानी का इंतजाम किया है परन्तु वह काफी नहीं लगता। पेड़ पौधे तो वैसे भी इस विकास रूपी आंधी में समाप्त हो रहे है। क्युकी कंक्रीट के जंगल जो बना रहे है।

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