- जूड़ा बांध में पिचिंग भी खा गए भ्रष्ट अधिकारी और ठेकेदार
- बांध की पिचिंग में भी किया भारी भ्रष्टाचार,मनमाने पत्थर फेंक हुए फुरसत
- स्लुश एरिया को बना दिया कूडादान
- पानी निकासी एरिया में कचरा भरने से चोक कर रहा डैम
- रिटायर्ड अधीक्षण यंत्री और चीफ इंजीनियर ने बताया ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत
रीवा: किसानों की सिंचाई के लिए बनाए गए बांधों की दास्तां बड़ी भयावह है।
बांधों और नहरों के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं जबकि निर्माण के बाद हर वर्ष इनके रख रखाव में करोड़ों खर्च किए जा रहे हैं।
चाहे वह मऊगंज हो अथवा हनुमना सभी जगह स्थिति एक जैसी देखने को मिल रही है।
पिछले दिनों जहां मऊगंज का बेलहा बांध अपनी बदहाली की दास्तान सुना रहा था वहीं अब हनुमना में जूड़ा बांध भी वही किस्से बता रहा है। शायरों ने ठीक ही कहा है पानी तेरी अजब कहानी। जहां बांध और नहरें इस पानी के स्रोत और वाहक हैं वही जब सरकारें ही बिना पानी की हो जाएं तो भला फिर पानी कहां से आए।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रीवा में आकर किसानों की आय दुगुनी होने की बात करके जाते हैं और सरकारी बांधों, तालाबों और नहरों के हाल आप यहां देख हो रहे हैं। यहां भी जमकर भ्रष्टाचार हुआI
डैम के पिचिंग और उसके रखरखाव में धांधली की गई। किसी भी बांध में उसके भीटे के दो हिस्से होते हैं। एक हिस्सा अंदर की तरफ का और दूसरा बाहर की तरफ का। पिचिंग का कार्य अंदर की तरफ वाले हिस्से में होता है। अंदर के हिस्से में पिचिंग करने से पानी के थपेड़ों से भीटे के अंदर के भाग को सुरक्षा मिलती है। यदि ठीक ढंग से पिचिंग नहीं होता तो बांध के अंदरूनी हिस्से को नुकसान पहुंच सकता है। कमीशनखोर अधिकारियों और भ्रष्ट ठेकेदारों ने नेताओं के साथ मिलकर पिचिंग के पत्थर भी खा गए। जगह जगह पिचिंग के पत्थर बेतरतीब इधर उधर फैले हुए हैं और ठीक ढंग से पत्थरों की सेटिंग नही है।
उक्त मामले को लेकर अधीक्षण अभियंता जल संसाधन विभाग नागेंद्र मिश्रा ने विस्तार से कमियों के बारे में बतायI
उपरोक्त जानकारी एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी द्वारा बताई गयी बातो पर आधारित है।