कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई है। तीसरी पार्टी जेडीएस को बड़ा झटका लगा है। उसका पूरा वोटबैंक शिफ्ट हो गया है।
चुनाव विशेष>कर्नाटक: पंजा पड़ा कमल पर भारी, नहीं चला मोदी का जादू,राहुल ने कहा नफरत का बाजार हुआ बंद…
कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद राहुल बोले-राज्य में नफरत का बाजार अब बंद
पूरी ताकत झोंकने के बाद भी कर्नाटक में हारी भाजपा
गौरतलब है कि कर्नाटक चुनाव में बीजेपी पर पंजा भारी पड़ा है, पूरी ताकत चोकने के बाद, मोदी के तमाम रोड शो, पार्टी की तमाम रणनीतियों के बाद भी बीजेपी का कमल पूरी तरह नहीं खिल पाया जैसा की अनुमान थाI
प्रचार की अधिकता भी भाजपा को पड़ी भारी। राज्यों के चुनाव में पीएम की उपस्थिति प्रतीकात्मक होती है लेकिन जिस तरह से पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री के बजाय बीजेपी के पीएम के तौर पर अपनी भूमिका निभाई है, उससे भी लोग शायद ऊब गए हैं।
आखिर क्या कारण रहे, आज हम आपको यही बताने कि कोशिश करेंगे…
पर पहले चलिए चुनाव नतीजों का रुझान पर नजर डालते है . . .
पार्टी (सीटें)> कांग्रेस (117); भाजपा (76); जेडीएस (24); अन्य (7)
कर्नाटक में क्यों हारी भाजपा:
आखिर पूरी ताकत झोंकने के बावजूद कर्नाटक में भाजपा क्यों हार गई? वो कौन से कारण थे, जिसके चलते भाजपा को इतना बड़ा झटका लगा?
‘विधानसभा चुनाव के दौरान ही कर्नाटक चुनाव की तस्वीर काफी हद तक साफ हो गई थी। इस बार चुनाव में भाजपा बैकफुट पर नजर आ रही थी और कांग्रेस काफी आक्रामक थी।
राजनितिक पंडितों ने भाजपा की हार के पांच बड़े कारण बताए . . .
- आंतरिक कलह बनी मुसीबत
- टिकट बंटवारे ने बिगाड़ा बाकी खेल
- भ्रष्टाचार के आरोपों ने पहुंचाया नुकसान
- दक्षिण बनाम उत्तर की लड़ाई का भी असर
- आरक्षण का मुद्दा पड़ा भारी ।
कर्नाटक की जातीय राजनीति में मात खा गई भाजपा। इस बार भाजपा की जातिगत रणनीति बिगड़ गई। लिंगायत वोटबैंक बिखरा। बीजेपी की हार की वजह येदियुरप्पा की अचानक विदाई भी रही। 80 प्रतिशत मुस्लिम वोट कांग्रेस को मिले। वोक्कालिगा और अन्य जातियों का समर्थन भी कांग्रेस को मिला।
कर्नाटक चुनाव के नतीजे काफी हद तक साफ हो चुके हैं। हिमाचल प्रदेश के बाद कर्नाटक में भी भाजपा को बड़ा झटका लगा है। पिछले एक साल के अंदर ये दूसरा राज्य है, जिसकी सत्ता भाजपा के हाथ से कांग्रेस ने छीन ली। इसका बड़ा सियाासी मतलब निकाला जा रहा है। खासतौर पर भाजपा के लिए बड़ी चिंता की बात है।
इस साल कर्नाटक के बाद अब पांच अन्य राज्यों में चुनाव होने हैं। इनमें राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम और तेलंगाना शामिल है। इसके अलावा अगले साल यानी 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। इसके बाद सात राज्यों में चुनाव होने हैं।
कुल मिलाकर अगले दो सालों में लोकसभा के साथ-साथ 13 बड़े राज्यों के चुनाव होने हैं। इनमें कई दक्षिण के राज्य भी हैं। इसलिए भाजपा के लिए कर्नाटक की हार को बड़ा झटका माना जा रहा है। वहीं, मुश्किलों में घिरी कांग्रेस के लिए जीवनदान साबित हुई।
कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद राहुल बोले- राज्य में नफरत का बाजार अब बंद
कर्नाटक में कांग्रेस की बंपर जीत के बाद पार्टी नेता राहुल गांधी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इन चुनावों में हमें जीत दिलाने के लिए कर्नाटक की जनता को शुक्रिया।राहुल ने आगे कहा कि कर्नाटक में नफरत का बाजार बंद हुआ और अब मोहब्बत की दुकान खुल गई है।
कर्नाटक की जनता से हमने पांच वादे किए थे, हम इन वादों को पहले दिन पहली कैबिनेट में पूरा करेंगे। राहुल गांधी पत्रकारों से बात करते हुए बार-बार एक ही बात पर जोर दे रहे थे कि वह अपने पांच वायदों को सबसे पहले पूरे करेंगे।
गौरतलब है, राज्य में कांग्रेस की बढ़त की खबरें आते ही कांग्रेस पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल पर यात्रा के दौरान का एक वीडियो साझा कर लिखा कि मैं अजेय हूं, मुझे भरोसा है आज मुझे कोई रोकनेवाला नहीं है।
कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई है। तीसरी पार्टी जेडीएस को बड़ा झटका लगा है। उसका पूरा वोटबैंक शिफ्ट हो गया है।