पाकिस्तान है भारत से बेहतर: महबूबा मुफ़्ती; फारूक अब्दुल्लाह ने मांगी इमरान खान की सलमति की दुआ

  • पाकिस्तान है भारत से बेहतर: महबूबा मुफ़्ती
  • फारूक अब्दुल्लाह ने मांगी इमरान खान की सलमति की दुआ

खाते यहां का हैं और गाते वहां का हैं

जम्मू कश्मीर: पाकिस्तान में इमरान खान को ले के घमासान मचा है, जहा एक तरफ आर्मी इमरान खान को घसीट रही है, तो वही दूसरी ओर इमरान के समर्थक पाकिस्तान में तोड़ फोड़ पर आमादा है। बताया जा रहा है कि अगले 24 घंटे इमरान के किस्मत के लिए बहुत अहम् माने जा रहे है, कहा तो यहाँ तक जा रहा की कही इमरान का क़त्ल न कर दिया जाये। हलाकि हम इस खबर में पाक के इमरान मसले को लेकर भारत में क्या चल रहा है इस पर रौशनी डालने जा रहे है।

ऐसा लगता है जैसे भारत में भी इमरान को चाहने वाले, उनकी फ़िक्र करने वालो की कमी नहीं है। ताजा मामला महबूबा मुफ़्ती और फारूक अब्दुल्लाह से जुड़ा है, उन्होंने बोला ही कुछ ऐसा है जिसकी वजह से बात सुर्खिया बन गयी है।
एक तरफ मुफ़्ती ने पाकिस्तान को भारत से बेहतर बता दिया है, तो वही फारूक अब्दुल्लाह तो इमरान की सलामती की खैर मांगते नजर आ रहे है। आइये विस्तार से दोनों बातो पर रौशनी डालते है…

पाकिस्तान में मचे आंतरिक कोहराम को लेकर वहां की जनता की सोशल मीडिया पर जो प्रतिक्रिया सामने आ रही है वह दर्शा रही है कि पाकिस्तानी अपने पूर्वजों को इस बात के लिए कोस रहे हैं कि क्यों वह विभाजन के समय धर्म के आधार पर बने पाकिस्तान में चले आये।

देखा जाये तो आज जो पाकिस्तान के हालात हैं उसको देखकर दुनिया का हर देश यही कह रहा है कि जैसी करनी वैसी भरनी लेकिन सवाल उठता है कि हमारे अपने देश में नेता खासकर जम्मू-कश्मीर को बरसों तक लूटने वाले नेता क्या कह रहे हैं? इस सवाल के जवाब में हम आपको बता दें कि पाकिस्तान परस्त नेता महबूबा मुफ्ती पाकिस्तान में मचे कोहराम को देखने के बावजूद उसे भारत से बेहतर बता रही हैं तो वहीं फारुक अब्दुल्ला अल्लाह से इमरान खान को सलामत रखने की दुआ कर रहे हैं।

महबूबा मुफ़्ती ने पाक को बताया भारत से बेहतर :

वैसे तो भारत और पाकिस्तान की किसी भी प्रकार से तुलना नहीं की जा सकती लेकिन फिर भी जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जो तुलना की है उसे आप सभी को जानना चाहिए और समझना चाहिए कि कैसे और क्यों इन नेताओं के शासनकाल में जम्मू-कश्मीर पिछड़ता चला गया? हम आपको बता दें कि महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि पाकिस्तान में बेहद ‘ओछे आरोपों’ पर राजनीतिक नेताओं की गिरफ्तारी के बाद लोकतंत्र तार-तार हो गया है लेकिन वहां की स्वतंत्र न्यायपालिका और मुखर मीडिया द्वारा सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाना आशा की एकमात्र किरण है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के मुद्दे पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया है, ”पाकिस्तान में लोकतंत्र तार-तार हो गया है। वहां की स्वतंत्र न्यायपालिका और मुखर मीडिया सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, और यही एकमात्र आशा की किरण है, लेकिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में ऐसा नहीं है।” पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि पड़ोसी देश में ‘ओछे आरोपों’ के आधार पर राजनीतिक नेताओं/प्रतिनिधियों को गिरफ्तार किया जा रहा है, लेकिन संतुलन बनाकर रखने वाली अन्य संस्थाओं ने अभी तक ”घुटने नहीं टेके हैं।”

फारूक अब्दुल्लाह: अल्लाह इमरान को सलामत रखे :

वहीं पाकिस्तान के हालात पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला की प्रतिक्रिया की बात करें तो आपको बता दें कि उन्होंने कहा है कि एक अस्थिर पाकिस्तान, भारत सहित सभी देशों के लिए खतरनाक है। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला ने संवाददाताओं से कहा, ”एक अस्थिर पाकिस्तान हमारे देश सहित सभी देशों के लिए खतरानाक है। हम एक मजबूत और लोकतांत्रिक पाकिस्तान चाहते हैं, जहां लोकतंत्र फले-फूले। अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान में आंतरिक स्थिति बहुत खतरनाक है और इसकी आर्थिक स्थिति भी जर्जर है। उन्होंने कहा, ”पिछले साल क्षेत्र में भारी बाढ़ आई थी और कई इलाके अब तक उससे प्रभावित हैं। वहां के लोग अब भी इससे उबर नहीं पाये हैं। इन परिस्थितियों में, ऐसी स्थिति बनना कहीं अधिक खतरनाक है।”

उन्होंने पड़ोसी देश में स्थिति खतरनाक होने का जिक्र करते हुए कहा, ”यदि आप पाकिस्तान के इतिहास पर गौर करें तो पाएंगे कि आजादी के बाद से, प्रथम प्रधानमंत्री (लियाकत अली खान) की हत्या कर दी गई, इसके बाद (जुल्फिकार अली) भुट्टो को फांसी दे दी गई, फिर उनकी बेटी बेनजीर भुट्टो की हत्या हुई। अब, इमरान खान चौथे पूर्व प्रधानमंत्री हैं, जो जेल भेज दिये गये हैं। अल्लाह उन्हें सलामत रखें।’

हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है जब उक्त दोनों नेताओ ने भारत के खिलाफ जहर उगला है और पाकिस्तानी नेताओ के प्रति चिंता जाहिर की है, अब देखने वाली बात यह होगी की भारत सरकार और अन्य संघठनो, नेताओ की इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है . . .

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