केंद्रीय जेल रीवा कही बन न जाए पागलखाना? चौकिये मत! पढ़िए खबर में क्या है माजरा…
केंद्रीय जेल रीवा के कैदी बनते जा रहे मानसिक रोगी? चौकिये मत! पढ़िए खबर में क्या है माजरा…
- डिप्रेशन का दर्द झेल रहे केंद्रीय जेल रीवा के कैदी
- 74 कैदियों की दिमागी हालत खराब
रीवा. जेल की दुनिया अलग होती है. और जेल में होने वाली घटनाओं की जानकारी बाहर रहने वाले लोगों को नहीं होती. लेकिन जेल मे कैदी कठिनाइयों में तो जीते ही है साथ में वो तनाव के शिकार भी हो रहे हैं।
रीवा संजय गांधी मनोचिकित्सा विभाग के द्वारा जारी किए गए रिपोर्ट के अनुसार रीवा जेल में बंद कैदियों की दिमागी हालत दिन प्रतिदिन खराब हो रही है. यहां बंद 2000 से अधिक कैदियों में से 74 कैदी मानसिक रोग का शिकार हैं. कैदियों का यह हाल डिप्रेशन की वजह से हो रहा है।
मिली जानकारी के मुताबिक जेल प्रशासन को भी इन कैदियों का ध्यान रखने में कठिनाई होती है. रिपोर्ट आने के बाद प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट हो गया है. इसके अलावा रीवा जेल अधीक्षक एस के उपाध्याय के प्रयासों तनाव से निपटने के लिए कैदियों को योग मेडिटेशन करा कर शांत करने पर जोर दिया जा रहा है।
पिछले कई दिनो से रीवा में बंद कैदियों में मानसिक रोग की समस्या बनी हुई है. 74 कैदी ऐसे हैं जिनका दिमागी संतुलन सही नहीं है. इनमे कुछ तो पागलपन की स्थिति तक पहुंच गए हैं. इनमे से अधिकांश कैदी पहले तो डिप्रेशन का शिकार हुए इसके बाद कैदियों की यह समस्या धीरे-धीरे मानसिक रोग में तब्दील हो जाती है।
अन्य कैदियों की सुरक्षा और मानसिक रूप से ग्रसित कैदियों की दिमागी हालत को देखते हुए. गंभीर रूप से बीमार कैदियों को दूसरों से अलग रखने की व्यवस्था सुनिश्चित करवाई गई है. जिससे वे दूसरे कैदियों को नुकसान न पहुंचा सकें. सामान्य रूप से बीमार कैदियों को दूसरे कैदियों के साथ रखा जाता है. ताकि उनसे बातचीत करके उनका दिमाग शांत रहे।
रीवा जेल अधीक्षक एसके उपाध्याय का कहना है की केंद्रीय जेल रीवा में बंद करीब 74 कैदी मानसिक रोग के शिकार है. ऐसे कैदियों का नियमित उपचार जेल के अंदर किया जा रहा है. हर सप्ताह मानसिक रोग विशेषज्ञ जांच के लिए आते हैं. उनका काउंसलिंग सहित दूसरे तरीकों से भी तनाव को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।