शादी या बर्बादी!😫 जानिए भारत में कहां एक ही 👩‍❤️‍👩लड़की घर के सभी 👨‍👩‍👧‍👧भाइयों की बनती है पत्नी, किस तरह बांटा जाता है समय…

जानिए कहां एक ही लड़की घर के सभी भाइयों की बनती है पत्नी, किस तरह बांटा जाता है समय

Polygamy Tradition: कई👨‍👩‍👧‍👦 भाईयों की एक ही पत्नी, जब भी यह बात आती है, अमूमन हम सबके मन में द्रौपदी और पांच पांडव का नाम ध्यान में आता है। हालाकि वो हालात कुछ और ही थे जब द्रौपदी पांचों भाईयो की पत्नी बनी थी, वो वक्त कुछ और ही था, वो प्रसंग कुछ और ही था। पर इस लेख में हम जिसकी बात कर रहे है वो आज के दौर की बात है, भारत में ही एक ऐसी जगह है जहा पॉलीगेमी ट्रेडिशन यानी बहुपती प्रथा   प्रचलित रही है।आइए इस प्रथा के विषय में विस्तार से बताते है….

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जहां एक पति की कई पत्नियाँ होती है उसे बहुपत्नी प्रथा कहा जाता है. पहले के समय में राजाओ की अनेक पत्नियाँ होती थी, उसे बहुपत्नी प्रथा का उदाहरण समझा जा सकता है. जहां एक पत्नी के कई पति होते है उसे बहुपति प्रथा कहा जाता है, जैसे द्रोपती के पाँच पति थे यह बहुपति प्रथा का उदाहरण है.

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हमने महाभारत काल से ही एक ही महिला के कई पतियों की कहानी सुनी है। द्रौपदी ने पांच पांडवों से शादी की थी और हम अभी तक उसके बारे में बात करते हैं। पर क्या आपको पता है कि ऐसी प्रथा आज भी एक जगह कॉमन मानी जाती है। जब महाराष्ट्र में एक ही युवक से दो जुड़वां बहनों की शादी की बात सामने आई तो बहुत विवाद हुआ और लड़के पर केस भी हो गया। पर एक ही लड़की के कई पतियों का चलन भी प्रचलित है। 

कुछ सालों पहले तक हिमाचल और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में इससे जुड़ी खबरें आती थीं। किन्नौर जिले में बहुपति विवाह प्रचलित थे, लेकिन लगभग एक दशक से इस प्रथा में कमी आई है। पर दुनिया के एक हिस्सा ऐसा भी है जहां इस तरह की प्रथा कॉमन है। सबसे पहले पत्नी के साथ बड़ा भाई समय बिताता है और फिर उम्र के हिसाब से पत्नी का समय मिलता है।

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हम बात कर रहे हैं तिब्बत की जहां पर इस प्रथा को अभी भी निभाया जाता है। हालांकि, ऐसे परिवार अब कम बचे हैं जहां पर इस तरह की प्रथा चल रही है, लेकिन फिर भी ऐसा नहीं है कि ये हो नहीं रही है।
तिब्बत में सबसे बड़ा भाई एक लड़की से शादी करता है और उसके बाद बचे हुए भाइयों की साझा पत्नी मान ली जाती है। वैसे ये अब बदल रहा है, लेकिन अभी भी बिना माता-पिता की मर्जी के शादियां नहीं होती हैं। वैसे इसे लेकर अलग-अलग कारण बताए जाते हैं, लेकिन शादी की रस्में परिवार के तबके के हिसाब से होती हैं। परिवार का सबसे छोटा बेटा अधिकतर शादी की रस्में अटेंड नहीं करता है, हां अगर उसकी उम्र थोड़ी बड़ी है तो उसे हिस्सा लेने दिया जाएगा।

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क्या है बहुपति विवाह :
इस प्रथा में एक स्त्री को पति के भाइयों से भी शादी करनी होती है. पहले वो परिवार के किसी एक पुरुष से शादी करती है और फिर उसकी शादी उसके भाइयों से भी होती जाती है. इन सभी शादियों में सभी पति बारी बारी से पत्नी के साथ समय गुजारते है.

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एक वक्त था जब महिलाओं के प्रति हमारा समाज कभी बेहद निर्दयी था. महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार नहीं मिलते थे. महिलाएं हमेशा पर्दे में ही रहती थीं. महिलाएं वो ऐश-आराम नहीं कर पाती थीं, क्युकी पुरुष उन पर्वसिर्फ अपना अधिकार समझते थे.

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लेकिन जैसे-जैसे समय रूपी चक्र घूमता गया. महिलाएं सशक्त और जागरूक होती चली गईं. आज महिलाओं और पुरुषों में कोई अंतर नहीं है. लेकिन कुछ ऐसी जगह अब भी हैं जहां महिलाओं को पुरानी परंपाएं माननी पड़ती है. इनमें से एक है बहुपति विवाह.

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हालांकि, आधुनिक समय में बहुपति विवाह को अवैध माना जाता है और कुछ देशों में इसे कानूनी रूप से प्रतिबंधित किया गया है. इसके अलावा, बहुपति विवाह के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं जैसे कि महिलाओं के अधिकतम शोषण और पुरुषों की संतानों के बीच ज्यादा संघर्ष.
हमारे देश में ऐसी प्रथा कई स्थानों पर रही है. खासकर हिमाचल में ये प्रथा चर्चा में रहती है लेकिन दक्षिण भारत और नार्थ ईस्ट में भी ऐसी परंपरा लबे समय से देखने में आई है. बता दें कि कुछ सालों पहले तक हिमाचल और अरुणाचल प्रदेश में ऐसी शादियों की खबरें आती रहती थीं. किन्नौर में बहुपति विवाह ज्यादा प्रचलित थी. बीते लगभग दस सालों से बहुपति विवाह के बारे में कम सुनने में आया है. लेकिन तिब्बत में यह प्रथा आज भी सुनने में आ जाती है. शादी के बाद सबसे पहले पत्नी के साथ बड़ा भाई समय बिताता है. उसके बाद उम्र के हिसाब से सभी भाई पत्नी के साथ समय बिताते हैं.

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हिमाचल की बहुपति परंपरा में एक ही छत के नीचे रहने वाले परिवार के सभी भाई एक ही युवती से परंपरा के अनुसार, शादी करते हैं. वैवाहिक जीवन जीते हैं. अगर किसी महिला के कई पतियों में से किसी एक की मौत भी हो जाए तो भी महिला को दुख नहीं मनाने दिया जाता.

टोपी बताती है कि कोई भाई है इस समय पत्नी के साथ:
शादी के बाद भाइयों के बीच विवाहित जीवन को लेकर एक सहमति बन जाती है. एक टोपी उसमें खासा अहम रोल निभाती है. अगर किसी परिवार में चार भाई हैं. सभी का विवाह एक ही महिला से हुआ है. ऐसी स्थिति में अगर कोई भाई महिला के साथ कमरे में है तो वो बाहर दरवाजे पर अपनी टोपी रख देता है. इससे मालूम हो जाता है कि कोई भाई अंदर है. तब कोई भाई उस कमरे में नहीं घुसता.

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इस विवाह को बोला जाता है ञमफो पोसमा :
इस तरह के विवाह को बेशक कानूनी मान्यता नहीं मिली है लेकिन ये समाज का ऐसा कस्टम है, जिसे स्वीकार्यता मिली हुई है. इस तरह के विवाह को ञमफो पोसमा बाेला जाता है. अलबत्ता इन जगहों पर अंतरजातीय विवाह को जरूर अच्छी निगाह से नहीं देखा जाता.

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कैसे होता है तलाक :
इस विवाह में तलाक का भी रिवाज होता है. इसके लिए सभी भाइयों को साथ जाकर तलाक की पारंपरिक परंपरा को पूरा करना होगा. इसमें दोनों पक्षों के बीच लोग बैठते हैं. एक सूखी लकड़ी जाती है. इस लकड़ी को लेकर तोड़ दिया जाता है. लक्कड़ तोड़ने का मतलब होता है तलाक लेकर अलग हो जाना. इसके बाद संबंध खत्म हो जाता है. हालांकि तलाक के बाद कई बार फिर सहमति बनने पर दोबारा शादी का भी प्रावधान होता है.

भारत में अन्य स्थानों पर बहु पति प्रथा :
आदिकाल से टोडा जनजाति में बहुपति प्रथा का प्रचलन रहा है।
देश में कई जगहों पर बहु पति प्रथा का उल्लेख मिलता है. अंग्रेजों के जमाने में जब 1911 में जनगणना हुई तो उसमें कई जातियों और स्थानों पर बहु पति प्रथा का उल्लेख किया गया. वैसे दक्षिण भारत में नीलगिरी पहाड़ियों में रहने वाले तोड़ा ट्राइब्स में इसका रिवाज है. केरल की नायर महिलाएं भी ऐसा करती हैं. कई नायर जातियों में ये होता है. हिमाचल में ही जानसार-बावर में ये प्रथा जारी है. अरुणाचल में भी खास आदिवासी जनजाति के बीच ऐसा रिवाज है.

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बहुपति विवाह के गुण कौन से हैं :
इस प्रथा ने जनजातियों के सामाजिक जीवन को संगठित रखने में अनेक प्रकार से सहयोग दिया है। जिन जनजातियों में बहुपति विवाह का प्रचलन है वहाँ सामाजिक संघर्षो की मात्रा बहुत कम है, क्योंकि वहाँ यौन के आधार पर संघर्षो की सम्भावना बहुत ही कम रह जाती है।

बहुपति विवाह कितने प्रकार के होते हैं :
बहुपत्नी विवाह के प्रकार (Types of Polygamy ) >द्वि- पत्नी विवाह (Bigamy)- इस प्रकार के विवाह में एक पुरुष एक साथ दो पत्नियां रखता है । समूह विवाह >(Group Marriage )-इस प्रकार के विवाह में पुरुषों का एक समूह महिलाओं के विवाह करता है । समूह का प्रत्येक पुरुष, दूसरे समूह की प्रत्येक स्त्री का पति होता है ।

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क्या भारत में बहुपति प्रथा वैध है:
भारत में इस्लाम धर्म को छोड़कर सभी धर्मों में बहुविवाह अवैध है जहां चार पत्नियों तक सीमित बहुविवाह की अनुमति है लेकिन बहुपतित्व पूरी तरह से प्रतिबंधित है ।
आज के समय में, बहुविवाह से बचने के लिए शिक्षा और जागरूकता का ज्यादा महत्व है ताकि लोग इस तरह की पुरानी परंपराओं से दूर रहें और अपनी ज़िम्मेदारियों को अच्छी तरह से निभा सकें. 

कई सदियों से चली आ रही है ये प्रथा :
Goldstein एक अमेरिकी सोशलिस्ट और तिब्बत स्कॉलर ने अपने लेख में लिखा है कि भ्रातृ बहुपतित्व (fraternal polyandry) तिब्बत में बहुत कॉमन है जहां दो, तीन, चार भाई मिलकर एक ही पत्नी के साथ रहते हैं। सभी के बच्चे भी एक साथ ही होते हैं और कौन किसका पिता है कई बार इसके बारे में पता भी नहीं होता है। ये पुराने जमाने में काफी प्रचलित था, लेकिन अब ये ना के बराबर देखने को मिलता है।

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ऐसी अजब गजब प्रथा तिब्बत में क्यों बन गयी रिवाज :

बात करे तिब्बत की, तो अब भी इस प्रथा को निभाया जाता है। हालांकि, ऐसे परिवार अब कम बचे हैं जहां पर इस तरह की प्रथा चल रही है, लेकिन फिर भी ऐसा नहीं है कि ये हो नहीं रही है।
चीन के तिब्बत पर अधिग्रहण के बाद से इस तरह की शादी का रिवाज बहुत कम हो गया है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी ये चल रहा है।

मेल्विन के लेख के मुताबिक 1950 तक तिब्बत में बौद्ध भिक्षु की संख्या 1 लाख 10 हज़ार से ज्यादा थी। इसमें से 35% से ऊपर शादी की उम्र वाले भिक्षु थे। अधिकतर परिवारों में सबसे छोटे बेटे को भिक्षु बनने भेज दिया जाता था ताकि छोटी सी जमीन का बंटवारा ना हो। ये उसी तरह का रिवाज था जैसे इंग्लैंड में प्राचीन काल में नाइटहुड के लिए सबसे छोटे बेटे को भेज दिया जाता था जिसके पास कोई प्रॉपर्टी नहीं होती थी।

इसके बाद धीरे-धीरे जमीन के बंटवारे को रोकने के लिए महिलाओं की एक ही परिवार में अन्य भाइयों से शादी करवाने की प्रथा शुरू हो गई। ये प्रथा इसलिए चलती रही ताकि जमीन का बंटवारा ना हो और टैक्स सिस्टम से बचा जा सके।

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तिब्बत में इस तरह की प्रथा को 1959 से 1960 में कानूनी तौर पर बंद करने के आदेश चीन द्वारा दिए गए थे, लेकिन अभी भी यहां चल रहा है।

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सभी बच्चों के साथ एक जैसा व्यवहार होता है :
जैसा की पता चलता है इसके अनुसार यहां सभी बच्चों को एक ही तरह से ट्रीट/व्यवहार किया जाता है। भले ही उनके बायोलॉजिकल पिता के बारे में पता हो या ना हो। सभी बच्चे सभी भाइयों को अपने पिता की तरह देखते हैं। कुछ परिवारों में पिता कहकर सिर्फ सबसे बड़े बेटे को संबोधित किया जाता है और अन्य बेटों को नहीं। कई बार एक बेटा शादी के बाद परिवार को छोड़कर जाना चाहता है तो उसे जाने दिया जाता है। भले ही उसका कोई बच्चा भी क्यों ना हो। परिवार के सभी बच्चों में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है।

by Er Umesh Shukla for ‘Virat24’ news

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