जनता के परफारमेंस पैरामीटर में विधानसभा क्षेत्र का शासन प्रशासन कितना खरा उतरा है
हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए,अब इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए,हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नही अब कोशिश है कि यह सूरत बदलनी चाहिए।
ज्यादातर लोग ओहदों से प्रसन्न हो जाते है, राजनीति की बिसात में कुछ को ही सत्ता समझ में आती है .आइए नापते हैं जनता के परफारमेंस पैरामीटर में विन्ध्य के शासन और प्रशासन के काम ,ले चलते हैं रीवा जिले की मऊगंज विधानसभा क्षेत्र में- जहां तमाम विधायक के द्वारा किए गए वादों का देखते हैं हाल -कौन से किए थे वादे और किस तरह से उतरे हैं खरे-कितनी भरी है अपनी तिजोरी और सड़क पानी बिजली स्वास्थ्य शिक्षा रोजगार देने का वादा कर जनता से मांगा था वोट और 4 वर्ष से अधिक समय बीतने के बाद क्या है हालात – किसका हुआ कितना विकास जो जनता चुनाव के समय जनार्दन लगती थी अब कैसे है वेवस या खुशहाल।
मऊगंज विधानसभा से प्रदीप सिंह पटेल भाजपा से विधायक हैं,कांग्रेस के सिटिंग विधायक सुखेन्द्र सिंह बन्ना को हराकर 2018 का चुनाव जीता है।सुखेन्द्र सिंह की हार और भाजपा की जीत में महत्वपूर्ण रोल था मृगेंद्र सिंह का जो बीएसपी से चुनाव लड़ कर कांग्रेश की गणित बिगाड़ी थी और अब वर्तमान में भाजपा का दामन थाम लिया है , कांग्रेस के वोट फटने के चलते प्रदीप पटेल को जीत मिली और विधानसभा में जनप्रतिनिधि बने-पर जनता को क्या मिलाी।
क्या आरोप लग रहे है ?
- विधायक चुनाव जीतने के बाद जनता के बीच उपलब्ध नहीं रहे
- अपने खास लोगों की विभागों में स्थापना करवाया जिससे लोगों के काम नहीं हुए
- प्रशासनिक अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए धरना प्रदर्शन हुए सेटिंग होने के बाद फीका पड़ा अभियान
- शासकीय योजनाओं का जिले में क्रियान्वयन नहीं हुआ
- सिर्फ विशेष वर्ग के लोगों को तवज्जो दी गई
- जनपद, नगर परिषद,के साथ स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट कोई सुनने वाला नहीं
- राजनैतिक संरक्षण प्राप्त अधिकारी कर्मचारियों ने जनता का किया शोषण
कुल मिलाकर विधायक पर आरोप है की क्षेत्र के लोगों को शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिला और इसके लिए विधायक ने कोई पहल नहीं की, क्षेत्र के लोगो से संपर्क में नही रहे स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और जिस तरह से क्षेत्र का समुचित विकास होना चाहिए वह नहीं हुआ ।विधायक के ऊपर लगने वाले आरोपों की दिखाते हैं झलकियां और फिर ले चलेंगे उसी जनता के पास जिसके पास चुनाव के समय एक-एक वोट के लिए नेता गिड़गिड़ाते है और अब वही जनता किस तरह से अब बेबस लाचार दिख रही है, आज उसका क्या कहना है।
यह जनता है जो जनप्रतिनिधि चुना था जन सेवा के लिए, आज वही जनता चुने हुए जनप्रतिनिधि लिए किस तरह के शब्दो का उपयोग कर रही है। किस तरह से जनता को छला गया और छला जाता रहेगा। जो 2018 के चुनाव में असफल हुए थे,वादे तो किए थे लेकिन जनता इनके वादों पर भरोसा ना कर प्रदीप पटेल पर विश्वास किया था। इन बीते 4 वर्षों में कौन -कितनी जिम्मेवारी उठाया है ,जनता सब जानती है।
नेता जिस जनता को चुनाव के समय जनार्दन कहते है वही जनता वोट देने के बाद कैसे बेवश हो जाती है ,यह था मऊगंज विधानसभा क्षेत्र के शासन और प्रशासन के 4 वर्षों का लेखा-जोखा, जिसमें जनता की नजरों में दोनों का कार्यकाल मिला जुला रहा है। जहां विधायक पर कई गंभीर आरोप लगे वही प्रशासन पर भी पक्षपात के आरोप है, जनता को जितनी आशा थी उतना खरा जरूर नहीं उतर पाए है।
मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल को अगर श्रेय मिल रहा है तो जिला घोषित करवाने का ,उसके सहारे 2023 की नैया कितनी पार होती है यह तो आने वाला समय बताएगा जनता के परफारमेंस पैरामीटर में विधायक और विधानसभा क्षेत्र के प्रशासन को सामान्य अंक यहां के मतदाताओं ने दिया है।
हम आगे आपको फिर बतायेगे किसी अन्य विधानसभा के नेता और उनकी नेतागिरी का हाल। बताएगा आपको जनता का हाल और जनता के परफारमेंस पैरामीटर में नापेंगे शासन-प्रशासन को ।