“रीवा में किस तरह कुछ तथाकथित दलाल पत्रकार कर रहे पत्रकारिता को कलंकित”_पढ़िए खुलासा करने वाली इस सनसनीखेज खबर को…

“रीवा में किस तरह कुछ तथाकथित दलाल पत्रकार कर रहे पत्रकारिता को कलंकित”_पढ़िए खुलासा करने वाली इस सनसनीखेज खबर को…

रीवा।। विराट 24 न्यूज़।। आजकल बहुत ज्यादा लोग पत्रकारिता में काम तो करना चाहते है, लेकिन उसके पीछे उस व्यक्ति के कई कारण होते हैं, जिनमे अधिकांश कारण व्यक्तिगत निहित स्वार्थ के होते है। यानी आज पत्रकारिता बुरे दौर से गुजरने पर मजबूर है। अरे अब तो वह दौर आ चुका है कि, पैसे के लिए वे अपने ही किसी साथी की बलि बहुत ही संयत भाव से चढा सकते हैं। माना कि पत्रकारिता अब मिशन नहीं, यह एक प्रोफेशन और बिजनेस हो चला है। मगर क्या हर प्रोफेशन और बिजनेस का कोई एथिक्स नही होता? चंद टुकड़ों पर अपनी जमीर बेचना ही अब कुछ के लिए पत्रकारिता बन गयी है।

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ताज्जुब तो इस बात का है कि इन सब  घिनौने करतूतों को जानने के बाद भी कोई सख्त कदम उठता नही दिखता, नतीजतन पत्रकार और उसकी पत्रकारिता रसातल में घुसी जा रही है।

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किसे पता था 190 साल पूर्व जुगल व राजा राममोहन राय की जोड़ी ने पत्रकारिता की जो नींव रखी थी, वह आज इस मुकाम पर होंगी कि उसे चैथे स्तंभ का दर्जा मिल जायेगा।
परंतु पिछले दशक से कुछ ऐसे गीदड़ भेड़ की शक्ल में इस पेशे में आ घुसे है कि, समाज में पत्रकार का सम्मान खत्म होता जा रहा है। कुछ लोग धंधा करने के लिए पत्रकार का चोला ओढ़ लेते हैं तो कई पत्रकार धीरे-धीरे यह धंधा अपना लेते हैं। इसे बढ़ावा देने में संस्थानों का भी कम हाथ नहीं। लोकतंत्र का चैथा खंभा बुरी तरह हिल रहा है।

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आज कलम कुछ ऐसे हाथों में भी पहुंच गयी है जिन्हें पत्रकारिता से कुछ लेना-देना नहीं। अवैध कारोबार कर वे कलम को अपना सुरक्षा कवच बनाये हैं और पुलिस से बच कर निकल जाते रहे हैं। बहुत से तथाकथित पत्रकारों ने पत्रकारिता जैसे इज्जतदार पेशे की बदनामी करके रख दी है, कुछ अखबार ऐसे हाथों में पहुंच चुके हैं जिनका कलम से कोई लेना-देना नहीं। यही समस्यायें आज पत्रकारों के बीच दरारें पैदा कर रही हैं।
आजकल पत्रकारों के रूप में इस पेशे में दलाल आ घुसे है जिनका पत्रकारिता से कोई सरोकार नहीं, बल्कि वह पत्रकारिता की आड़ में शुद्ध दलाली कर रहे है, और त्रासदी ये है कि इन तथाकथित दलाल पत्रकारों को प्रशासनिक/पुलिस अधिकारियों,जनप्रतिनिधियों का भरपूर संरक्षण मिल रहा है।ये बात अलग है कि जब ये दलाल नशे में चूर होते है तो फिर उन्ही अधिकारियों,नेताओ को गाली बकते है, जिनके संरक्षण में ये दलाली करते है।

दलाल पत्रकार बन बैठे हैं और पत्रकारिता जगत को कलंकित कर रहे है।
कई बार वसूली, दुष्कर्म, मारपीट, चोरी, कोरेक्स तस्करी से लेकर चमचागिरी करने वाले पत्रकारों की हकीकत की खबरें हम सबके सामने आती रहती है।

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आज हम आपको जिस खबर के बारे में बताने जा रहे हैं, वह उपरोक्त सभी खबरों से बढ़कर है।
गौरतलब है कि अब जिसके साथ फोटो खिंचवा कर लोग पत्रकारिता झाड़ते हैं, उन्हीं को गाली गलौज करते हुए धमकाते हुए देखे जा रहे है या धमकाया जा रहा है। हद तो यह है कि नशे में धुत पत्रकार महोदय खुद बयां कर रहे हैं कि, पुलिस प्रशासन उनका कुछ नहीं कर सकता। खुद उन्हें शराब और पैसों की व्यवस्था पुलिस कराती है। उक्त वीडियो चोरहटा थाना क्षेत्र का बताया जाता है।


हालांकि ‘विराट 24’ उक्त वीडियो/खबर किसके द्वारा रिकॉर्ड किया गया और कब का है, इसकी पुष्टि नहीं करता, लेकिन जिस तरह से सोशल मीडिया में उक्त वीडियो वायरल हो रहा है, उससे एक बार फिर रीवा जिले की पत्रकारिता जहां कलंकित हुई है, वहीं वरिष्ठ पत्रकारों की बनी बनाई छवि पर कालिख लगाने का प्रयास किया गया है ।

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उल्लेखनीय है कि तथाकथित अपराधी पत्रकारिता की आड़ में जमकर वसूली कर रहे हैं। वही अपने आप को बचाने के लिए पुलिस अधिकारियों के साथ फोटो खिंचवा कर, उनके मातहत कर्मचारियों से वसूली करते हैं।
आपको हाल ही में याद होगा कि सिरमौर नगर पंचायत के सीएमओ डॉ सिद्दीकी के साथ किस तरह से एक तथाकथित महिला ने अपने दो पत्रकार साथियों के साथ मिलकर ब्लैकमेल किया था, इसके पहले भी गैंगरेप से लेकर, मारपीट, वसूली,कोरेक्स बिक्री, अवैध नशे के कारोबारियों से वसूली की खबरें पाठको के सामने ला चुके हैं।
दरअसल इस तरह की खबर पाठको को बताने/उन तक लाने  के पीछे ‘विराट 24’ का मकसद है कि,  पत्रकारिता का पेशा कलंकित ना हो। लोगों का विश्वास मीडिया पर बना रहे, क्योंकि आज जिसके हाथ में एंड्राइड मोबाइल है वही पत्रकार है, जिसके पास कोई काम नहीं है वही पत्रकार है।
पुलिस अधिकारियों की नवीन पदस्थापना हो तो,  गुलदस्ता देकर फोटो खिंचवाने वाले इस पेशे को लागातार कलंकित कर रहे हैं। उक्त वायरल वीडियो में शराब के नशे में मस्त होकर तथाकथित दलाल पत्रकार  जिस तरह के शब्दों का प्रयोग कर रहा है,  वह हम आपको लिख कर बता भी नहीं सकते, लेकिन आपको यह बता दे कि जिस भाषा का उपयोग किया जा रहा है, उस भाषा का उपयोग जाहिल, गवार, नशेड़ी या जानवरो को चराने वाला भी जानवरो को नहीं देता, लेकिन इन दिनों पत्रकारिता के क्षेत्र में ऐसे दलालों और उनकी दलाली की भरमार है।
उक्त वायरल वीडियो में दिखने वाला व्यक्ति विवेक तिवारी बताया जाता है, जो पहले पेपर की प्रतियां देते हुए पुलिस अधिकारियों के साथ फोटो खिंचवाया, फिर उसी का रौब दिखाते हुए थाना प्रभारियों के पास पहुंचा और अब उन्हीं के दिए गए पैसे से शराब की नशाखोरी करते हुए उन्हें ही गाली दे रहा है।
विराट 24 आम जन और प्रशासन  से अपील करता है कि ऐसे लोगों का पर्दाफाश करें, जिससे पत्रकारिता कभी कलंकित ना हो और प्रशासन भी अपना काम निष्पक्ष रूप से कर सके। खासकर पुलिस विभाग के अधिकारियों को ऐसे लोगों से सतर्क रहना होगा, क्योंकि इनका एक संगठित गिरोह है, जो हफ्ता वसूली का तरीका बदलकर मीडिया के नाम से वसूली कर रहा है।

तथाकथित पत्रकार जो नशे में मस्त पुलिस अधिकारियों को गाली दे रहे हैं, जबकि उन्ही पुलिस अधिकारियों के साथ फोटो खींचा कर अपना गोरख धंधा चला रहे हैं।  हद तो यह है कि पुलिस अधिकारियों के संरक्षण में ही इनका कारोबार फल-फूल रहा है। इनके सामने वास्तविक पत्रकारों की भी पूछ-परख नहीं होती। इसके पीछे कारण यह है कि ऐसे तथाकथित पत्रकार नेता अधिकारियों के प्रवक्ता के रूप में कार्य करते हैं, जरूरत पड़ जाए तो नेताओं के बैग उठाते हैं। अधिकारियों के घरेलू कार्य से लेकर उनकी छोटी-छोटी बातों को बड़ा बनाकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल करते है।
इनके पास किसी  के भी खिलाफ झूठी खबर लिखकर व्हाट्सएप में वायरल करने की महारत है।

परंतु अब जवाबदारी जिले के उन वरिष्ठ पत्रकारों की है, जिनके द्वारा पत्रकारिता को ऊंचाइयों तक पहुंचाया गया है और उसी ऊंचाई का फायदा उठाते हुए कुकुरमुत्ता की तरह वसूली वाज पत्रकार पैदा हुए और पत्रकारिता को बदनाम कर रहे है . . . 

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