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गत दिवस स्नेह नगर के पास पटेल नगर में बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर परिसर में बनी बावड़ी के ऊपर की छत धंसने से कई लोग बावड़ी में गिर गए थे । पहले यह संख्या 25 बताई जा रही थी I
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हादसे के 24 घंटे बाद भी गुम व्यक्ति का शव नहीं मिला , तलाश जारी है । अंतिम लापता व्यक्ति के लिए तलाश जारी है । एक बार फिर बावडी से पानी निकालने की तैयारी की जा रही है ।
गौरतलब है कि इस बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के साथ अस्पताल और घटनास्थल का दौरा किया और स्थितियों का जायजा लिया । मुख्यमंत्री को लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा है ।
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उल्लेखनीय है कि स्नेह नगर के पास पटेल नगर में बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर परिसर में बनी बावड़ी के ऊपर की छत धंसने से कई लोग बावड़ी में गिर गए थे । पहले यह संख्या 25 बताई जा रही थी , लेकिन गुरुवार सुबह करीब 11.30 बजे की घटना के बाद से शुक्रवार सुबह तक रेस्क्यू अभियान जारी है और इममें से 35 शव निकाले जा चुके हैं । गुरुवार को 18 लोगों को रेस्क्यू अभियान के तहत बचाया गया था । अस्पताल से कुछ लोगों को घर भी भेजा जा चुका है।
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है । लगातार रेस्क्यू आपरेशन चल रहा है। पूरा प्रशासन और मैं रातभर बैठकर इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए रखी थी । हमारी इस समय प्राथमिकता यह है कि अंतिम खोए व्यक्ति की तलाश पूरी की जाए और रेस्क्यू आपरेशन पूरा किया जाए । हमने घटना के मजिस्ट्रेट जांच के निर्देश दिए हैं । मामले में पुलिस केस भी दर्ज किया गया है । जांच पूरी होने के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हादसे में घायलों का इलाज सरकार कराएगी ।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हादसे में पीड़ित परिवारों को राहत राशि देने की घोषणा की है । राज्य सरकार भी कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
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सरकार ने पूरे प्रदेश में इस तरह की बावड़ियों, कुंओं और खुले बोरवेल के जांच करने के आदेश दिए हैं । यदि खुले बोरवेल निजी हैं , तो उन पर कार्रवाई भी करने के निर्देश दिए हैं । फिलहाल हमारी प्राथमिकता लापता व्यक्ति को ढूंढने की है ।
उक्त हादसे और उसके बाद हरकत में आयी राज्य सरकार , मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन द्वारा बयान देना और राहत कार्य के विषय में बताना ,मरने वाले लोगो के प्रति संवेदना प्रकट करना , फिर आदेश आना की सरकार ने पुरे प्रदेश में बावड़ियों , कुंओं और खुले बोरवेल के जांच करने के आदेश देना , यहाँ तक के पुरे घटनाक्रम में सब कुछ ठीक है , परन्तु जो अहम प्रश्न उठता है , वो ये की कोई भी दुर्घटना या हादसे के बाद ही क्यों जिम्मेवारों की कुम्भकर्णी निद्रा टूटती है ? क्यों प्यास लगने पर कुआ खोदने की बात की जाती है ? समय रहते ही आखिर क्यों नहीं किसी हादसे को होने से रोका जाता है ??? क्या कमी है आखिर ????
क्या जिम्मेवार पदों पर आसीन लोग इस योग्य नहीं की वो इस बात का आकलन समय रहते कर सके की कब- कहा- क्या रख रखाव करना है ? कहा क्या मरम्मत करवानी है ?? या कहा – कहा पुराने भवन ,मंदिर आदि इतने जीर्ण- शीर्ण हो गए है कि , उन्हें अब तुड़वा दिया जाये ताकि कोई अप्रिय हादसा न हो ! या फिर जिम्मेवार लोग प्राप्त अधिकार और भौतिक सुख सुविधा के साधनो में इतने मस्त/रम गए कि उनको समय रहते कोई कार्य करने कि कोई फुर्सत या ध्यान ही नहीं रहता है । सिर्फ जब हादसा या दुर्घटना घटित हो जाती तब शुरू होता नाटक राहत कार्य करने का , मुआवजे के मरहम लगाए जाते है , संवेदना प्रकट कि जाती है , बड़े बड़े बयान और घोषणाएं जारी किये जाते है ,और भोली भाली जनता इन सब पर भरोषा कर अपने अपने काम में लग जाती है I
फिर अचानक से कही किसी दिन फिर कोई गंभीर घटना या हादसा घटित होता है और फिर वही सब राहत कार्य और मुआवजा ,ब्यान आदि आदि शुरू हो जाता है । सब कुछ गोल गोल घूमता रहता है । अभी ज्यादा दिन नहीं बीते , हाल ही में रीवा मोहनिया घाटी में तीन बसों और ट्रक कि टक्कर का भीषण हादसा हुआ था , जिसमे लगभग दो दर्जन लोग काल के गाल में समां गए थे , जबकि इतने ही गंभीर घायल हुए थे , इत्तेफाक से उस समय भी मुख्यमंत्री , गृह मंत्री , देश के गृह मंत्री आदि बड़ी हस्तिया पडोसी जिले में थे I आनन् फानन में सब कुछ शुरू किया गया ।
लेकिन उक्त दुर्घटनाओं /हादसों से क्या सबक लिया गया कि ऐसे हादसों या दुर्घटनाओं कि पुनरावृत्ति ना हो ?
यह तो समय के गर्भ में है ,वक्त आने पर ही पता चलेगा I