3 साल से कैद भगवान को जिला  प्रशासन ने कराया मुक्त! हर्षोल्लास के साथ ग्रामीणों ने शुरू की पूजा

तीन सालों बाद भगवान का कमरा खुलते ही ग्रामीण भक्तों के बीच उल्लास का माहौल कायम हो गया. अधिकारियों की मौजूदगी में समिति ने भगवान की पूजा-अर्चना की. वहीं मठ कमिटी के सदस्य राजऋषि सिंह कुशवाहा ने बताया कि मठ में भगवान की पूजा अर्चना शुरू हो गई है .

मठ की जमीन हड़पने के उद्देश्य से कुछ लोगों ने वर्ष 1995 में पहले 38 डिसमिल और वर्ष 1996 में 20 डिसमिल जमीन बेच दी थी. बस इसी मामले को लेकर विरोध शुरु हुआ था. इस बीच गांव के लोगों ने पहल कर वर्ष 1996 में मठ को बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड से निबंधित कराया. जिसका निबंधन संख्या 3262/96 है. निबंधन के बाद वर्चस्व टूटते देख दूसरे पक्ष के लोगों ने साजिश रचना शुरु कर दिया. मठ से वर्चस्व खत्म होते देख विपक्षी दल ने मठ में ताला जड़ दिया. ताला जड़ने के साथ ही भगवान की पूजा- अर्चना और भोग लगाने की पूरी प्रक्रिया बंद हो गयी.

धार्मिक न्यास बोर्ड के आदेश पर कराया गया मुक्त
ताला बंद करने के बाद आहत मठ प्रबंध समिति के लोगों ने कानूनी लड़ाई शुरू की. तीन साल बाद समिति को सफलता मिली. बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड ने अवैध कब्जा को हटाते हुए मठ प्रबंध समिति को प्रभार दिलाने का आदेश डीएम को दिया था. धार्मिक न्यास व डीएम के आदेश के आलोक में एसडीओ कुमार पंकज ने सीओ को दंडाधिकारी प्रतिनियुक्त कर अवैध कब्जा हटाने का आदेश दिया था. इस आदेश के आलोक में सीओ अंकिता सिंह और थानाध्यक्ष सन्तोष कुमार ने ताला खुलवाकर कमरे में कैद भगवान को मुक्त कराया.

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