3 का मास्क खरीदा गया 15 में 2000 का स्प्रे मशीन 7500 में

कोविड-19 को बनाया कमाई का जरिया
तीन से पांच रु वाला मास्क खरीदा जा रहा 15 में

आजीविका मिशन और कृषि विभाग से ना खरीद कर अपने चहेते बेंडर के माध्यम से की जा रही खरीदारी।

विराट24न्यूज़ रीवा । (कोविड-19) कोरोनावायरस के संक्रमण को आम जनमानस में फैलने से रोकने के लिए प्रदेश और केंद्र सरकार ने अपना खजाना खोल दिया है। जिसके लिए जिला स्तर से लेकर पंचायतों तक के लिए अलग से फंड दिया गया, इस फंड का दुरुपयोग किस तरह हो रहा है इसके पहले जिला स्तर तक सामने आ चुका है। अब धीरे-धीरे परतें खुलने शुरू हुई हैं ,तो इसके नाम पर किया गया भ्रष्टाचार पंचायतों तक निकल कर सामने आया है। ऐसी ही खरीदारी के नाम पर भ्रष्टाचार के लिए इन दिनों जनपद पंचायत रीवा चर्चा का विषय बना हुआ है । जहां 3 से 5 वाला मास्क 15 में खरीदा गया है। वहीं सेनीटाइजर स्प्रे मशीन 2000 से 3000 के बीच आने वाले का भुगतान साडे 7500 किया गया है। इतना ही नहीं जो मास्क आजीविका मिशन के माध्यम से खरीदे जा सकते थे वह मास्क वेंडर के माध्यम से खरीदे गए साथ ही जो की मध्यप्रदेश एग्रो से सेनीटाइजर स्प्रे मशीन खरीदी जा सकती थी वह अपने चहेते वेंडर के नाम से खरीदी गई है ,जो लगातार अपने अकाउंट भी बदल रहा है । मामले का खुलासा हुआ उस समय हुआ जब विराट24 अपने 2 खबरों में लगातार जनपद पंचायत रीवा के कारनामों को उजागर किया तो पता चला कि जहां विवाह सहायता के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है। जिसकी कई हितग्राहियों ने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत कर रखी है । वही हाल ही में कोविड-19 के नाम पर भी जमकर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है, इस खेल में भी जनपद का चर्चित मानचित्रकार शामिल है ,जो अपनी परिवार के लोगों के नाम पर बेंडर बनाकर जनपद के पैसे को अपने तिजोरी में भर रहा है। वही अधिकारियों को खुश करने के लिए भी कई तरह के हथकंडे अपनाता है जो पूरे जनपद में चर्चा का विषय है।

दो हजार वाली स्प्रे मशीन खरीदी गई 7500 में

मिली जानकारी के अनुसार जनपद पंचायत रीवा में जो भी खरीददारी की जा रही है वह ना तो शासकीय संस्थाओं से खरीदी जाती न ऑथराइज्ड डीलरों से उसके लिए अलग से एक दलाल कार्य कर रहा है। जो जनपद को गाड़ी उपलब्ध कराने से लेकर मटेरियल, स्टेशनरी, मेडिकल ,सेड निर्माण,गिट्टी बालू तक की आपूर्ति कर रहा है ,वह नाम है ताजवी कंसलटेंसी का। जिसके नाम से लाखों का भुगतान हो चुका है। जिसका खाता पहले कारपोरेशन बैंक में था जिसे बताया जाता है कि अब बदलकर दूसरे बैंक में कर दिया गया है। इतना ही नहीं कुछ खरीदारी चोपड़ा साइंटिफिक एंड स्पोर्ट्स नाम की संस्था से खरीदी जा रही है। बताया जाता है कि जनपद पंचायत में जो खरीदी हो रही है ज्यादातर कागजों में और बिल भुगतान के लिए हो रही है ,और सिर्फ व्यक्ति विशेष को लाभ देने की नियत से पंचायत के सरपंच सिकेट्रीयों को दबाव बनाकर अपने चहेतों से खरीदवाई जा रही है।

3 रु के मास्क का 15 भुगतान

विराट24 को जो बिल उपलब्ध हुए हैं, उसमें पंचायतों के द्वारा तीन से 5रु वाले मास्क का भुगतान 15रु कराया गया है। जबकि मास्क आजीविका मिशन और समूह से खरीदे जा सकते थे, लेकिन बीच में समूह के दलालों को जोड़कर भ्रष्टाचार करने की नियत से सीधे खरीदारी ना कर दलालों के माध्यम से खरीदारी कराई गई है। इतना ही नहीं बताया जाता है कि कई पंचायतों ने तो सैनिटाइजर चोरहटा स्थित आबकारी विभाग की वाटलिंग सेंटर से खरीदी करनी थी उसमें भी खरीदी के फर्जी बिल बनवाकर भुगतान किया है, जिस की कलाई निष्पक्ष जांच से खुल सकती है।

जनपद परिसर में संचालित है मध्य प्रदेश एग्रो का ऑफिस

गौरतलब है कि जनपद पंचायत रीवा परिसर के अंदर ही कृषि विभाग का ऑफिस संचालित है, जिसमें किसानों को सब्सिडी दी जाती है ,अगर विभाग सेनीटाइजर स्प्रे मशीन खरीदी जाती तो एक शासकीय विभाग से खजाना भी खाली नहीं होता और अच्छे क्वालिटी का उचित रेट पर जनपद परिसर में स्प्रे मशीन मिल सकती थी, यह बात जरूर थी कि भ्रष्टाचारी अधिकारी कर्मचारियों को मोटी कमीशन ना मिलती जिसके चलते किसी जूता व्यापारी या सपोर्ट की सामग्री सप्लायर से मास्क और सैनिटाइजर खरीदा गया है। अगर इस व्यवसाय के जुड़े लोगों की मानें तो जो मास्क 15 में खरीदे गए हैं उसकी वास्तविक कीमत तीन से चार रुपए है, वही जो सैनिटाइजर स्प्रे मशीन खरीदी गई है वह 800 से लेकर 2000 तक में उपलब्ध है।

जनपद बना दुकान

जनपद से जुड़े सरपंच सचिवों की मानें तो इन दिनों जनपद पंचायत दुकान बनकर रह गया है । जिस तरह डॉक्टरों के घर एमआर की भीड़ लगती है उसी तरह जनपद में खरीददारी के लिए दलाल पहुंचते हैं ,और यहां तैनात मान चित्रकार के सामने बोली लगती है जो ज्यादा कमीशन देगा उसे ही सप्लाई का आर्डर दिया जाता है, जिसके चलते सरपंच सचिवों को कहना है कि उनकी मजबूरी है कि जनपद से ही पूरा कार्य कराना है ,अगर जनपद के दबंग बाबू के बिना अनुशंसा दूसरे से खरीदारी कर लेते हैं तो उनके कई कार्य रुक जाते हैं ,जिसके चलते उन्हें हर हाल में वही करना पड़ता है जिन्हें जनपद का बाबू कहता है, इतना ही नहीं सरपंच सचिवों का तो यहां तक कहना है कि दबाव बनाकर ही जनपद को दुकानदार की तरह माल बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिसके चलते पंचायतों में जहां सरपंच सचिवों की बदनामी होती है वही जनता का पैसा दलालों के तिजोरियों में भरा जा रहा है।

जब इस पूरे मामले को लेकर जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी हरीश चंद्र द्विवेदी से बात करनी चाही गई तो उन्होंने पहले फोन नहीं उठाया इसके बाद उनके दो मोबाइल नंबर स्विच ऑफ हो गए जिससे स्पष्ट होता है कि मुख्य कार्यपालन अधिकारी मामले में बोलने से बच रहे है।

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