फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन के बाद अगले दिन होली का त्योहार होता है
फाल्गुन पूर्णिमा को प्रदोष काल में होलिका दहन होता है
अगले दिन यानि चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को होली खेली जाती है
हिंदू धर्म में दिवाली के बाद होली का त्योहार सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा को प्रदोष काल में होलिका दहन होता है और उसके अगले दिन यानि चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को होली खेली जाती है. रंगों के त्योहार होली में लोग एक दूसरे को रंग, अबीर, गुलाल लगाते हैं और बधाई एवं शुभकामनाएं देते हैं. इस साल होलिका दहन की तिथि पर सुबह में भद्रा रहेगी .
होलिका दहन 2023
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 06 मार्च दिन मंगलवार को शाम 04 बजकर 17 मिनट पर प्रारंभ होगी और इस तिथि का समापन 07 मार्च दिन बुधवार को शाम 06 बजकर 09 मिनट पर होगा. फाल्गुन पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल में होलिका दहन होती है. ऐसे में इस साल होलिका दहन 07 मार्च दिन मंगलवार को है.
होलिका दहन 2023 मुहूर्त
07 मार्च को होलिका दहन का मुहूर्त शाम को 06 बजकर 24 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक है. इस दिन होलिका दहन का कुल समय 02 घंटे 27 मिनट तक है. इस समय में होलिका पूजा होगी और फिर होलिका में आग लगाई जाएगी .
होलिका दहन के दिन 07 मार्च को भद्रा सुबह 05 बजकर 15 मिनट तक है. ऐसे में प्रदोष काल में होलिका दहन के समय भद्रा का साया नहीं रहेगा .
होलिका दहन के अगले दिन होली का त्योहार मनाया जाएगा. ऐसे में इस साल होली का त्योहार 08 मार्च दिन बुधवार को मनाया जाएगा. 08 मार्च को चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि शाम 07 बजकर 42 मिनट तक है .
भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को आग में जलाकर मारने के लिए उसके पिता हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को तैयार किया. होलिका के पास एक चादर थी, जिसको ओढ़ लेने से उस पर आग का प्रभाव नहीं होता था. इस वजह से वह फाल्गुन पूर्णिमा को प्रह्लाद को आग में लेकर बैठ गई. भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रह्लाद बच गए और होलिका जलकर मर गई. इस वजह से हर साल होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंगों की होली मनाई जाती है. होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक के रूप में मनाया जाता है .