सावन विशेष 2023: मप्र में इस जगह शिवभक्त रावण ने कि थी भगवान शिव की पूजा, मौजूद है कई गुफाये
सावन का पावन महीना शुरू हो चूका है। सभी शिव भक्त पूजन अर्चन कर भगवन शिव से अपना, अपने कुटुंब की कुशलता, भाग्योदय आदि की प्रर्थना कर रहे है। ऐसी मान्यता भी है कि सावन के महीने में शिव विशेष कृपा बरसाते है और कैलाश से भक्तो के बीच आ जाते है। हलाकि भोलेनाथ यत्र तत्र सर्वत्र हैं, आदि है, अनंत हैं, परन्तु सावन के पावन महीने का अपना अलग ही महत्व है।
लंकापति रावण को कौन नहीं जनता होगा, हलाकि उनकी छवि समाज में नकारात्मक ज्यादा है, उन्होंने काम भी वैसे ही किये थे। परन्तु इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि रावण बहुत बड़े शिवभक्त थे, इतने बड़े भक्त कि शिव उन्हें अपना साक्षात् दर्शन देते थे, कई अस्त्र शस्त्र, सोने की लंका सब शिव जी ने ही रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें प्रदान किये थे।
क्या आप जानते है रावण नाम भी शिव जी ने ही दिया था लंकापति दशानन को।
आज हम सावन विशेष 2023 के इस अंक में शिवभक्त रावण के शिव आराधना के विषय में बतायेगे।
मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में गुफाओं का भंडार है। जहां लंकापति रावण ने भगवान शिव की आराधना की थी।
सिंगरौली: जिले के माडा इलाके में आज भी गुफाओं का भंडार है। यहां पर दो दर्जन से ज्यादा गुफाएं हैं। बताया जाता है कि यह गुफा छठवीं-सातवीं शताब्दी की हैं। हालांकि दुःख की बात है कि अब इन गुफाओं की देख-रेख न होने के कारण यह खंडहर में बदलती जा रही है।
यहां एक रावण गुफा भी है। मान्यता है कि रावण स्वयं आकर यहां पर भगवान शंकर की पूजा आराधना की थी।
सिंगरौली जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर बसा पहाड़ माडा की गुफाओं के नाम से जाना जाता है। यहां पर लगभग दो दर्जन से ज्यादा गुफा आज भी मौजूद है। इसके अलावा हर गुफा का एक अपना अलग नाम है। प्राकृतिक सुंदरता से सराबोर माडा में पर्यटक दूर-दूर से दीदार करने आते हैं। इन्हीं में से एक गुफा है रावण की गुफा। जहां 300 सीढ़ियां चढ़कर आप गुफा में पहुंच पाएंगे। स्थानीय जानकार लोग बताते हैं कि रावण यहां रहा करता था एवं भगवान शिव की पूजा आराधना की है। इसके अलावा कई किलोमीटर दूर से रहस्यमय जल से आज भी भगवान शिव का जलाभिषेक होता है।
यहां जल जलिया मां का मंदिर भी है। हालांकि यह पानी पहाड़ की गहराई से कहां से आता है अब तक इसका पता नहीं चल सका है, लेकिन 12 महीने भगवान शंकर का जलाभिषेक इसी जल से होता है। इसके अलावा यहां के पर्यटन को देखने के लिए मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ बिहार झारखंड से भी लोग आते हैं एवं भगवान शिव का आशीर्वाद भी लेते हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि यह गुफाएं छठवीं सातवीं शताब्दी की है लेकिन जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण आज गुफा खंडहर में बदलती जा रही है।
जिला प्रशासन, राज्य सरकार को चाहिए की पहल करे और ऐसे ऐतिहासिक महत्व की चीजे को संभाले सहेजे ताकि ऐसे स्थानों का अस्तित्व नष्ट न हो, साथ ही आने वाली पीढ़ी को भी इसकी जानकारी मिल सके।