सतना: 62 वर्ष की उम्र में बना तीन बच्चो का पिता
Satna:किस्मत ने एक बेटा छीना तो अब भगवान ने एक साथ झोली में तीन गुना खुशियां दे दी। कुदरत ने ऐसा करिश्मा किया कि कभी इकलौते बेटे के मौत के सदमे से उबर नहीं पा रहे गोविंद के घर एक साथ तीन बेटों ने जन्म लिया। किसी वक्त में संतान सुख की उम्मीद छोड़ चुके गोविंद के घर यह खुशी तब आई जब उसकी उम्र 62 साल हो चुकी है।सतना जिले के नागौद क्षेत्र के ग्राम अतरबेदिया खुर्द निवासी 62 वर्षीय गोविंद कुशवाहा की पत्नी हीराबाई कुशवाहा (42) ने मंगलवार को सतना के सरदार वल्लभ भाई पटेल जिला अस्पताल में एक साथ तीन बेटों को जन्म दिया। हालांकि बच्चों की हालत नाजुक है और उन्हें एसएनसीयू में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है। लेकिन वर्षों बाद घर में एक साथ तीन बेटों के जन्म से 62 साल के गोविंद की खुशी का ठिकाना नहीं है।
गोविंद से भी ज्यादा खुश उसके पहली पत्नी कस्तूरबा बाई है। उसे तो ऐसा लग रहा है मानो भगवान ने उसे वर्षों पहले छिनी उसकी आंखों की रोशनी उसे लौटा दी है,वर्षो पहले धड़कना छोड़ चुके उसके दिल को उसकी धड़कन वापस मिल गई है। हीरा की देखभाल भी वही कर रही है।
दरअसल, एक साथ तीन बेटों को जन्म देने वाली हीरा बाई, गोविंद की दूसरी पत्नी है जबकि कस्तूरबा बाई उसकी पहली पत्नी है। कस्तूरबा बाई स्वस्थ्य है और गांव की सरपंच भी रह चुकी है। अपने पति गोविंद का दूसरा विवाह हीरा बाई से खुद कस्तूरबा ने ही कराया था।62 वर्ष की उम्र में पिता बने गोविंद ने बताया कि उसकी पहली शादी कस्तूरबा बाई से हुई थी। दोनो का एक बेटा भी था। लेकिन किस्मत ने ऐसा खेल खेला कि लगभग 11 वर्ष पहले हुए एक सड़क हादसे में उनके बेटे का 18 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनका एक मात्र सहारा भी छिन गया। जवान बेटे की मौत ने गोविंद और कस्तूरबा को झकझोर कर रख दिया। वे निराशा और हताशा के बीच जीवन भी उन्हें नीरस लगने लगा था।डॉक्टरों के अनुसार तीनों में से पहले का वजन 1 किलो 272 ग्राम। दूसरे का 1 किलो 314 ग्राम और तीसरे का 1 किलो 128 ग्राम का है। सामान्यतौर पर बच्चे का वजन 2 से 3 किलो तक होना चाहिए।