शिवरात्रि के बाद क्यों लगती पंचक? नहीं होता कोई शुभ कार्य, जानें धार्मिक मान्यता

 

लोग जाने अनजाने में और अपनी इच्छा अनुसार जब चाहे तब सगाई, शादी या कोई शुभ कार्य कर लेते हैं. वैसे आदमी को खासतौर पर शुभ कार्य करने से पहले समय और मुहूर्त को भी देख लेना चाहिए.

शुभ कार्य से पहले देखें मुहूर्त
लोग जाने अनजाने में और अपनी इच्छा अनुसार जब चाहे तब सगाई, शादी या कोई शुभ कार्य कर लेते हैं. वैसे आदमी को खासतौर पर शुभ कार्य करने से पहले समय और मुहूर्त को भी देख लेना चाहिए. नहीं तो इसका दुष्परिणाम भी देखने को मिलता है.

ग्रह गोचर का आपस में तालमेल
ज्योतिषाचार्य मनोत्पल झा न्यूज 18 लोकल से बात करते हुए बताया कि शिवरात्रि के बात हर वर्ष 5 दिनों के लिए पंचक लग जाता है. जिसे लोग साधारण भाषा में भादवा भी करते हैं. पंडित जी कहते है कि दरअसल भादवा और पंचक दोनों एक ही शब्द है. स्पष्ट रूप से बताया की पंचक यानी भादवा को शास्त्रानुसार बताया गया है. जब चंद्र ग्रह घनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से भ्रमण कर शतभिषा पूर्णा भाद्रपद उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के चारों चरण में भ्रमण करने को ही पंचक काल कहते है. जो यह शिवरात्रि के बाद 5 दिनों तक ग्रह गोचर आपस में घूमते रहते हैं.

जिस कारण पंचक लग जाता है. इसमें लोग किसी भी शुभ कार्य को नहीं करते. हिंदू धर्म के मान्यता अनुसार कहा गया है पंचक यानी भादवा में किसी भी शुभ कार्य को करने पर भविष्य में काम को 5 बार करने की संभावनाएं बनी रहती है. जिसको लेकर लोग किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं करते.

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