शहीद दिवस आज , क्रांतिकारी भगत सिंह-राजगुरु-सुखदेव ने दिया था आजादी के लिए बलिदान . . .

” फांसी का फंदा भी फूलो से कम न था

वो भी डूब सकते थे इश्क में किसी के
पर , वतन उनके लिए माशूक के प्यार से कम न था ”
_____शहीद दिवस पर शहीदों को नमन

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23 मार्च @ शहीदी दिवस . . . भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को इस दिन ब्रिटिश सरकार द्वारा फाँसी दी गयी थी । इसे शहीदी दिवस भी कहते हैं ।

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शहीद दिवस 23 मार्च को क्यों मनाया जाता है

भगत सिंह , शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर जैसे वीर क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि देने तथा उनके बलिदानों को याद करने के लिये भारत में 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है। आजादी के लिये ब्रिटिश शासन से भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर ने लोहा लिया था

हर साल 23 मार्च को देश में शहीद दिवस मनाया जाता है। दरअसल 23 मार्च के दिन ही तीन महान देशभक्तों भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी। आज देश मातृभूमि के लिए अपने जीवन का बलिदान देने वाले भारत माता के महान सपूत शहीद-ए-आजम शहीद भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु को नमन कर रहा है ।

भारत विश्व के उन 15 देशों में शामिल हैं जहाँ हर वर्ष अपने स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिये शहीद दिवस मनाया जाता है ।

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भारत की आजादी, कल्याण और उनत्ति के लिये लड़े और अपने प्राणों की बलिदान देने वाले वीर लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिये शहीद दिवस मनाया जाता है । इसलिए इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
शहीद दिवस हमें शहीदों के बलिदान की याद दिलाता है जिन्होंने हमारी पीढ़ी को गुलामी से आजादी दिलाने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया।

तीनो क्रांतिकारियों का संछिप्त जीवन परिचय

शहिद ए आजम भगत सिंह

मातृभूमि के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले भगत सिंह का जन्म पंजाब के लायलपुर में 28 सितम्बर 1907 को हुआ था. चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर भगत सिंह ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अभूतपूर्व साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का साहस से मुकाबला किया. वह मार्क्स के विचारों से काफी प्रभावित थे, भगत सिंह का ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा काफी प्रसिद्ध है , जो आज भी देशवासियों में जोश भरने का काम करता हैं.इनके पिता गदर पार्टी के नाम से प्रसिद्ध एक संगठन के सदस्य थे जो भारत की आजादी के लिये काम करती थी ।

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भगत सिंह ने अपने साथियों राजगुरु, आजाद, सुखदेव, और जय गोपाल के साथ मिलकर लाला लाजपत राय पर लाठी चार्ज के खिलाफ लड़ाई की थी। शहीद भगत सिंह का साहसिक कार्य आज के युवाओं के लिये एक प्रेरणास्रोत का कार्य कर रहा है ।

शहीद सुखदेव

सुखदेव का जन्म 15 मई ,1907 को पंजाब को लायलपुर पाकिस्तान में हुआ था . भगतसिंह और सुखदेव के परिवार लायलपुर में पास-पास ही रहने से दोनों वीरों में गहरी दोस्ती थी . यही नहीं दोनों लाहौर नेशनल कॉलेज के छात्र थे . सांडर्स हत्याकांड में सुखदेव ने भगत सिंह तथा राजगुरु का साथ दिया था .

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शहीद राजगुरु

शहीद राजगुरु का 24 अगस्त , 1908 को पुणे जिले के खेड़ा में राजगुरु का जन्म हुआ था . राजगुरु शिवाजी की छापामार शैली के प्रशंसक होने के साथ-साथ लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के विचारों से प्रभावित थे . 

भारत की आजादी और अंग्रेजी हुकूमत को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए देश में हर वर्ग अपने अपने तरीकों से भारत की आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था। कई क्रांतिकारियों को इसके लिए अपना बलिदान देना पड़ा। भारत को स्वतंत्रता दिलाने के मकसद से गाँधी जी द्वारा अहिंसा का मार्ग अपनाया गया। देश में महात्मा गाँधी जी के तरीके से अलग एक युवा वर्ग राजगुरु ,भगत सिंह ,सुखदेव ने भी भारत की आजादी के लिए अपना अलग मार्ग अपनाया था। भले ही इन तीनों युवा क्रांतिकारियों का मार्ग महात्मा गाँधी जी के तरीके से अलग था लेकिन लक्ष्य एक था –‘भारत की आजादी’

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8 अप्रैल 1929 के दिन इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगते हुए केंद्रीय विधान सभा पर भगत सिंह ,राजगुरु और सुखदेव ने बम फेंके जिसके लिए उनपर हत्या का मामला दर्ज किया गया था। साल 1931 में 23 मार्च के दिन लाहौर जेल में तीनों क्रांतिकारियों को फांसी के फंदे से लटका दिया गया।

23 march 1931 की इस घटना को याद करते हुए हर साल भारत में 23 मार्च को तीनों क्रांतिकारियों को याद कर श्रद्धांजलि दी जाती है ।

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भगत सिंह का जन्म पंजाब के लायलपुर में 28 सितम्बर 1907 को हुआ था। इन्होने अपने साथियों राजगुरु और सुखदेव आजाद और गोपाल के साथ मिलकर लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए एक योजना बनाई थी । शेर ए पंजाब नाम से प्रसिद्ध लाला लाजपत राय को लाहौर में 30 अक्टूबर 1928 को घटित एक बड़ी घटना का शिकार होना पड़ा था।

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दरअसल साइमन कमीशन के विरोध कर रहे युवाओं को अंग्रेजी सैनिकों द्वारा बहुत ही बेहरहमी से पिता गया था। इस विरोध का नेतृत्व लाला लाजपत राय कर रहे थे। पुलिस ने लाला लाजपत राय की छाती में बड़ी ही बेहरहमी से अपनी लाठियों से प्रहार किया था , जिसके बाद लाला लाजपत राय बुरी तरीके से घायल हो गये थे । 17 नवम्बर 1928 को उनकी मृत्यु हो गयी।

देश में इस घटना के बाद सभी देशवासी भड़क उठे और भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद और अन्य क्रांतिकारियों ने लालाजी की मौत का बदला लेने का निर्णय लिया।

17 दिसंबर 1928 को तीनो क्रन्तिकारी भगत सिंह , राजगुरु , सुखदेव ने मिलकर अंग्रेजी अधिकारी जेपी सांडर्स को गोली मारकर उसकी हत्या कर दी । इस घटना के बाद भगत सिंह ने अपने साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर 8 अप्रैल 1929 को सेंट्रल असेम्बली में बम फेंका था । इसके बाद दोनों की गिरफ़्तारी की गयी और 2 साल के कारावास के बाद भगत सिंह ,राजगुरु और सुखदेव को फांसी के फंदे पर लटकाया गया था ।

शहीद दिवस का महत्व
हर साल 23 मार्च को युवा क्रांतिकारियों की शहादत को याद करते हुए शहीद दिवस को मनाया जाता है । 23 मार्च के ही दिन भगत ,सिंह ,राजगुरु ,सुखदेव को फांसी पर लटकाया गया था। शहीद दिवस केवल शहीदों का बलिदान दिवस नहीं है बल्कि यह आज की युवा पीढ़ी को अपने कर्तव्यों और देश की सेवा के लिए भी प्रेरणा प्रदान करती है ।

देश में मनाये जाने वाले शहीद दिवस भारत की युवा को राष्ट्रप्रेम की प्रेरणा देता है। हर साल मनाये जाने वाले शहीद दिवस उन सभी क्रांतिकारियों के बलिदानों को जीवित रखता है और देश के लिए कुछ कर गुजरने के लिए देशवासियों को सदैव प्रेरित करता है।

इस दिन विभिन्न शिक्षण संस्थाएं और सरकारी तथा गैर सरकारी संगठनों द्वारा कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इसके अलावा कई जगहों पर निबंध लेखन तथा सार्वजनिक भाषण व स्पीच के

कार्यक्रम आयोजित कियें जाते हैं . . .

by Umesh Shukla @ ‘VIRAT24’ news


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