अगर आप में भी दिख रहे हैं ऐसे संकेत, तो समझ लो खराब हो रही है किडनी, ऐसे करें उपचार…
किडनी को गुर्दा या वृक्क भी कहते है, प्राकृतिक रूप से हमारे शरीर में दो किडनी होती है।
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किडनी खराब होने पर पीठ में दर्द होने की शिकायत भी हो जाती है। आपकी पीठ के मध्य के पास, आपकी पसलियों के ठीक नीचे, आपकी रीढ़ के प्रत्येक तरफ
किडनी (Kidney) क्या है:
वृक्क या गुर्दे का जोड़ा एक मानव अंग हैं, जिनका प्रधान कार्य मूत्र उत्पादन (रक्त शोधन कर) करना है। गुर्दे बहुत से वर्टिब्रेट पशुओं में मिलते हैं। ये मूत्र-प्रणाली के अंग हैं। इनके द्वारा इलेक्त्रोलाइट, क्षार-अम्ल संतुलन और रक्तचाप का नियामन होता है।
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सामान्यतः मनुष्य केवल एक गुर्दे के साथ भी सामान्य रूप से जीवित रह सकते हैं क्योंकि प्रत्येक में वृक्कीय ऊतकों की संख्या जीवित रहने के लिये आवश्यक संख्या से अधिक होती है। गुर्दे की दीर्घकालीन बीमारियां केवल तभी विकसित होंगी, जब गुर्दे के कार्यात्मक ऊतकों की मात्रा बहुत अधिक घट जाए. वृक्कीय प्रतिस्थापन उपचार (Renal replacement therapy), अपोहन या गुर्दे के प्रत्यारोपण के रूप में, की आवश्यकता तब पड़ती है, जब ग्लोमेरुलर शुद्धिकरण दर बहुत कम हो गई हो या जब वृक्कीय दुष्क्रिया के लक्षण बहुत अधिक गंभीर होंI
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हमारे शरीर में किडनी बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। खाने या पीने के बाद लिवर में जो भी व्यर्थ पदार्थ रह जाते हैं, उन्हें फिल्टर कर देती है। यानी कि लिवर द्वारा पाचन प्रक्रिया के बाद जो भी विषाक्त पदार्थ हमारे शरीर में रह जाते हैं, किडनी उन्हें फिल्टर करती है। अगर किडनी में गड़बड़ हो जाए, तो यह शरीर के बाकी ऑर्गेन को डिफेक्टिड कर देती है, जिससे मानव मौत के मुंह तक पहुंच जाता है।
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किडनी की अहमियत इसी से लगा सकते हैं कि बॉडी में भगवान ने दो किडनियां दी हैं। यदि इसमें से एक खराब भी हो जाए, तो भी हम एक नॉर्मल जिंदगी जी सकते हैं। ऐसे में हम कह सकते हैं कि किडनी का सेहतमंद होना बेहद जरूरी है, लेकिन मौजूदा समय में बदलते खानपान की वजह से किडनी खराब हो जाती है। यदि किडनी खराब हो जाए, तो इसके संकेत तुरंत नहीं आते। अकसर देखा गया है कि 50 से 60 प्रतिशत किडनी खराब होने के बाद ही इसके लक्षण सामने आने लगते हैं।
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किडनी की बीमारी कैसे होती है:
जैसे-जैसे गुर्दे की कार्य क्षमता कम होते जाती है, शरीर में विषाक्त पदार्थों का जमाव होता जाता है, जिससे त्वचा में खुजली, सूखापन और दुर्गंध होती है। पीठ दर्द या पेट के निचले हिस्से में दर्द: पीठ, बाजू या पसलियों के नीचे दर्द गुर्दे की गड़बड़ी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं जैसे कि गुर्दे की पथरी या पाइलोनफ्राइटिस।
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किडनी खराब होने पर कहाँ दर्द होता है:
जब किडनी खराब होने लगती है, तो हृदय को ढकने वाली परत पर सूजन आ जाती है, जिससे सीने में दर्द की शिकायत बन जाती है. किडनी खराब होने पर पीठ में दर्द होने की शिकायत भी हो जाती है। आपकी पीठ के मध्य के पास, आपकी पसलियों के ठीक नीचे, आपकी रीढ़ के प्रत्येक तरफ। दरअसल, जब किडनी शरीर के अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में असमर्थ रहती है, तो इससे पीठ में दर्द की समस्या हो जाती है.
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आप उस क्षेत्र में गुर्दे का दर्द महसूस करते हैं जहां आपके गुर्दे स्थित हैं। आपके गुर्दे मूत्र पथ का हिस्सा हैं, वे अंग जो मूत्र (यानी, पेशाब) बनाते हैं और इसे आपके शरीर से निकाल देते हैं।
किडनी खराब होने के संकेत:
पेशाब करने में बदलाव। पेशाब में अगर झाग बन रहा है, तो यह किडनी खराब होने के शुरूआती लक्षण हैं। यानी कि पेशाब में हमारे शरीर का प्रोटीन बह रहा है। किडनी खराब होने के संकते खून और मूत्र में पहले से ही आने लगते हैं। हाथ-पैर में झनझनाहट, खुजली, कमजोरी आना, भूख नहीं लगना, खून की कमी। हड्डियों में दर्द आदि।
शरीर में पानी बढऩे लगता है। मुंह में सूजन आ जाती है। इसके अलावा एंकल और पैरों में भी सूजन आने लगती है।
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किडनी ख़राब होने के लक्षण:
- रात के समय पेशाब ज्यादा होना, urine output में बदलाव।
- पेशाब का रंग बदल जाना।
- झाग (foamy) या bubbly पेशाब आना।
- हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) कम हो जाना जिससे आपके एड़ी , पाँव में सूजन दिखना।
- वजन बढ़ना, स्किन रैश (skin rashes)
किडनी खराब कैसे होती है:
जब चोट लगने , हाई ब्लड प्रेशर या फिर डायबिटीज के कारण किडनी डैमेज हो जाती हैं, तो यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को फिल्टर नहीं कर पाती, जिससे जहर का निर्माण होता है। ऐसे में किडनी ठीक से काम नहीं करती और टॉक्सिन जमा हो सकते हैं ।
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यह है उपचार: किडनी का रामबाण इलाज क्या है:
- भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पुनर्नवा, गोक्षुर, वरूण, गुडुची, कासनी, तुलसी, अश्वगंधा तथा आंवला जैसी
- 20 आयुर्वेदिक बूटियां किडनी फंक्शन को दुरुस्त करने में सफल है.
- सबसे पहले शुगर और ब्लड प्रेशर का बढऩा। किडनी को बचाने के लिए इन दोनों का कंट्रोल करना बेहद जरूरी है।
- किडनी को सेहतमंद रखने के लिए आपको अपने डाइट चार्ट में बदलाव करना होगा।
- ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं, (दिन में 4-5 लिटर) ताकि मूत्र मार्ग से विषैले पदार्थ निकल जाएं
- नमक का कम से कम इस्तेमाल करें। चाय-कॉफी कम पिएं (दिन में एक से दो कप)।
- हफ्ते में कम से कम दो बार काढ़ा जरूर पिएं, फल खाएं। शराब न पिएं। जंक फूड का त्याग करें।
- सिट्रिक फ्रूट खाएं। खाने में सलाद के साथ नींबू जरूर खाएं।
- व्यायाम जरूर करें, पैदल चलें। शरीर का पसीना निकालें।
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किडनी साफ करने के लिए कौन सा जूस पीना चाहिए:
पीएं क्रैनबेरी जूस/क्रैनबेरी जूस यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई) के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। क्रैनबेरी जूस अतिरिक्त कैल्शियम ऑक्सालेट के गुर्दे को साफ करने के लिए भी उपयोगी है। आप अपनी किडनी को डिटॉक्स करने के क्रैनबेरी की मदद से घर पर ही ताजा जूस निकाल सकते हैं और उसका सेवन कर सकते हैंI
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किडनी को साफ रखना चाहते हैं तो इन 5 चीज़ों को करें डाइट में शामिल:
नींबू को अपने डाइट (diet) में शामिल करिए, करेगा किडनी की सफाई।औषधीय गुणों से भरपूर नींबू में विटामिन सी मौजूद होता है जो बॉडी से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
लाल अंगूर का करें सेवन: लाल अंगूर विटामिन और खनिज से भरपूर होता है जिसमें विटामिन सी, बी 6 और विटामिन ए मौजूद होता है। इतना ही नहीं इसमें आयरन, कैल्शियम, फोलेट और पोटेशियम होता है। लाल अंगूर के यह सभी गुण किडनी को साफ रखते हैं।
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अदरक का करें सेवन: अदरक में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, आयोडीन, आयरन व अन्य पोषक तत्व मौजूद होते है जो किडनी से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करते हैI
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धनिया भी किडनी के लिए है जरूरी:
धनिया में मेगनीज, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन सी,विटामिन के और प्रोटीन मौजूद होता है। धनिया के सभी गुण किडनी साफ करने में उपयोगी है। धनिया का उपयोग खाने में या फिर सलाद के रूप में कर सकते हैं।
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दही का सेवन करें:
दही में प्रोबायोटिक बैक्टीरिया अच्छी मात्रा में होते हैं जो किडनी को साफ करने में मदद करते हैं। दही में मौजूद औषधीय गुण पाचन को मजबूत करते हैं साथ ही इम्यूनिटी भी स्ट्रॉन्ग करते हैं। अपनी डाइट में दही को शामिल करें सेहत के साथ ही किडनी भी हेल्दी रहेगी।
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करौंदा का करें सेवन: विटामिन सी से भरपूर करौंदा में एंटी ऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं। खनिजों में जिंक, आयरन और कैल्शियम होता है जो किडनी को साफ करने में मदद करता है। रोजाना करोंदा का उपयोग करने से किडनी को साफ व स्वस्थ रखा जा सकता है।
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लाल शिमला मिर्च भी किडनी के लिए जरूरी: लाल शिमला मिर्च में कई तरह के पोषक तत्व और खनिज मौजूद होते है जो किडनी से विषाक्त पदार्थों को दूर करने में मदद करते हैं। किडनी को साफ़ करने के लिए अपने आहार में लाल शिमला मिर्च को जरूर शामिल करें।
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किडनी रोगी को क्या नहीं खाना चाहिए:
अचार और चटनी- अचार और मसालेदार चटनी में खूब सारा नमक होता है. बनाते समय इनमें सोडियम का बहुत इस्तेमाल होता है. ये शरीर को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. खासतौर से किडनी के मरीजों को अचार और चटनी का सेवन बिल्कुल नहीं या बहुत ही कम मात्रा में करना चाहिए।
साथ ही इन चीजों को खाने से परहेज करें__
संतरे और संतरे का जूस, आलू और शकरकंद, केला, डेयरी प्रोडक्ट्स, डार्क कलर के सोडा, कैन्ड फूड्स, होल व्हीट ब्रेड।
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किडनी के मरीज को कितना पानी पीना चाहिए:
किडनी हेल्दी रखने के लिए पानी पीने की कुछ जरूरी टिप्स_जब आपके जीएफआर लेवल (लेवल ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट) नॉर्मल होते हैं तो आपके लिए दिन में 8 गिलास पानी पर्याप्त रहता है, लेकिन जब आपको किडनी में पथरी होती है तब 8 से 10 गिलास पानी जरूरी है। इतना पानी यूरीन को डाइल्यूट करने के लिए जरूरी है।
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क्या किडनी पेशेंट गर्म पानी पी सकता है:
गर्म पानी पीने का नेगेटिव इफेक्ट किडनी पर पड़ता है. गर्म पानी पीने की बहुत ज्यादा आदत आपकी किडनी को खराब करने का एक बड़ा कारण बनती है. जानकारों का कहना है कि गर्म पानी पीना किडनी के एक स्पेशल सिस्टम जिसकी वजह से टॉक्सिक फिल्टर होता है, को बाधित करता है. इसलिए गर्म पानी पीने की आदत को कम करना जरूरी हो जाता है.
घर पर किडनी फंक्शन कैसे चेक करें:
यूरिन एनालिसिस/ dipstick test_किडनी के फंक्शन का पता लगाने के लिए यूरिन सैंपल भी लिया जाता है। यूरिन सैम्पल में स्टिक डुबोई जाती है और अगर नॉर्मल से अलग कुछ भी सब्सटेंस मौजूद होते हैं तो स्टिक का रंग बदल जाता है। इस टेस्ट से भी किडनी की जानकारी ली जा सकती है।
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किडनी टेस्ट कब करवाना चाहिए:
यदि रोगी को मधुमेह या उच्च रक्तचाप (उच्च रक्तचाप), थायरॉइड की समस्या, पेशाब के दौरान दर्द, पेशाब में खून, बार-बार पेशाब आना, हाथों और पैरों में सूजन या मूत्र मार्ग में रुकावट जैसी स्थिति है, तो डॉक्टर किडनी फंक्शन टेस्ट की सलाह देंगे।
यदि आपको ऐसे लक्षण हैं जो किडनी की संभावित समस्याओं का संकेत देते हैं, तो आपको किडनी के कार्य परीक्षण की भी आवश्यकता हो सकती है। इन लक्षणों में शामिल हो सकते हैं: आपके मूत्र में रक्त (हेमट्यूरिया)। दर्दनाक पेशाब (डिसुरिया)।
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किडनी की नॉर्मल रेंज:
कितना होना चाहिए क्रिएटिनिन का लेवल__
लेकिन क्रिएटिनिन का नॉर्मल लेवल वयस्क महिलाओं के लिए- 0.59 से 1.04 मिलीग्राम/डीएल (52.2 से 91.9 माइक्रोमोल्स/एल) और वयस्क पुरुषों के लिए वयस्क पुरुषों के लिए, 0.74 से 1.35 mg/dL (65.4 से 119.3 माइक्रोमोल्स/एल) तक माना जाता है।
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किडनी की बीमारी कितनी जल्दी बढ़ती है:
गुर्दे की बीमारी अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग दरों पर बढ़ती है, और विभिन्न चरणों के बीच दो से पांच साल लग सकते हैं। अनुमानित ग्लोमेरुलर निस्पंदन दर (ईजीएफआर) की जांच के लिए रक्त परीक्षण का उपयोग करके गुर्दे की बीमारी के चरणों को मापा जाता है।
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किडनी ट्रांसप्लांट (kidney transplant) आखिरी इलाज:
किडनी ट्रांसप्लांट, अंतिम चरण के किडनी फेलियर वाले अधिकांश मरीजों के लिए सबसे अच्छा विकल्प है, खासतौर पर युवा मरीजों के लिए। यदि मरीज की उम्र ज्यादा न हो, गंभीर हृदय रोग न हो, मानसिक बीमारी न हो या अन्य कोई गंभीर बीमारी न हो तो अधिकांश मरीज अंतिम चरण के किडनी फेलियर में ट्रांसप्लांट करा सकते हैं।
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(डिस्क्लेमर: लेख के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।)
by Er. Umesh Shukla @ ‘VIRAT24’ news