विश्व अस्थमा दिवस: अस्थमा को तकलीफ मुक्त बनायें

विश्व अस्थमा दिवस विशेष – अस्थमा को तकलीफ मुक्त बनायें – डॉ. बी.एल. मिश्रा

रीवा . अस्थमा या दमा लंबे समय तक चलनें वाली एलर्जिक बीमारी है। इस बीमारी में लक्षणों से मुक्त होना असंभव है लेकिन तकलीफों को कम किया जा सकता है। मई माह के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का उदेश्य है अस्थमा या दमा के रोगियों में बीमारी से बचाव हेतु जागरूकता अभियान चलाना। वर्ष 2023 में इस दिवस की थीम है-”अस्थमा केयर फार आल“ यानि आम जन में दमा से सुरक्षा उपलब्ध कराना। दुनिया में अस्थमा बीमारी व इससे होनें वाली मृत्यु का सर्वाधिक बोझ विकासशील देशों जैसे नेपाल, भूटान, भारत, पाकिस्तान, बाग्लादेश आदि में है। 
इस बीमारी में मरीजों को श्वास लेनें में तकलीफ होती है। जिसमें खांसी के साथ बुखार भी हो सकता है। दमा में फेफड़ों की नलियों में सूजन हो जाती है व वह सकरी हो जाती हैं यह बीमारी वंशानुगत हो सकती है। एक मरीज से दूसरे मरीज में यह छुआछूत से नही फैलती। यह संक्रामक रोग नही होता। दमा के रोगी को अपना समस्त कार्य करना चाहिये। अस्थमा के रोगियों को ठण्डी, धूल, डस्ट, धुआ आदि से बचनें हेतु मास्क लगाना चाहिये। पीड़ित व्यक्तियों को देर से सो कर उठना, गर्म पानी से स्नान करना व मौसम परिवर्तन में सचेत रहनें की आवश्यकता पड़ती है। दमा रोगियों को रात्रि में दही, अचार, आइसक्रीम व फ्राई चीजों का इस्तेमाल लही करना चाहिये। इन्हे कुनकुना ताजा भोजन व फलों में सन्तरा, नींबू लाभदायक होते हैं।

भारत में अस्थमा की समस्या वायु प्रदुषण के कारण क्रमशः बढती जा रही है। कुछ व्यवसाय जैसे माइंस एवं क्रेशर में कार्य करने वाले श्रमिक, पत्थर तोडने वाले या सिलिका में कार्य करने वाले श्रमिकों को ज्यादा अस्थमा होने की सम्भावना रहती है जो प्रकृति में एलर्जिक होता है। बीडी- सिगरेट- गांजा पीने वालो में भी अस्थमा तकलीफदायक रहता है। इन रोगियों में कोविड का जोखिम या रिस्क ज्यादा होता है व इनमें गंभीरता व मृत्यु ज्यादा रहती है।
दमा या अस्थमा के रोगियों को सलाह दी जाती है कि वे अपने से बाजार की दवा लेकर उपयोग न करें। बिना सलाह के स्टेराइड लेना स्वास्थ्य के लिये हानिकारक रहता है।

मरीजों को चिकित्सकों के परामर्श से नियमित ईलाज लेना चाहिये व कुछ मरीजों में इनहेलर काफी प्रभावशाली साबित हुयें है। दमा के रोगी संतुलित आहार, व्यवस्थित दिनचर्या एवं परहेज करें तो अपना जीवन आमजन की तरह जी सकते है।    
गांव में देशी दवाओं का प्रचलन होता है। इसमें शहद व लौंग के उपयोग से भी लाभ होता है। साथ ही तुलसी के पत्ते, काली मिर्च, अजवाइन एवं अदरक के साथ सुबह शाम चाय लेने से भी फायदा होता है। सभी जनप्रतिनिधियों एवं समाजसेवियों से अपील है कि पीड़ित मानवता की सेवा में दमा या अस्थमा से पीड़ित लोगों को समय-समय में जागरूक किया जाये ताकि उनका जीवन तकलीफ मुक्त बनाया जा सके

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