विधानसभा अध्यक्ष ने “खरिधारि मीठा पानी” पुस्तक का किया लोकार्पण

विधानसभा अध्यक्ष ने “खरिधारि मीठा पानी” पुस्तक का किया लोकार्पण

 रीवा: विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के मुख्य आतिथ्य में सुमना साहित्य समिति नईगढ़ी द्वारा दिव्य मैरिज गार्डन मऊगंज में सूर्यमणि शुक्ल के बघेली संग्रह “खरिधारि मीठा पानी” पुस्तक का लोकार्पण एवं साहित्यकारों का सम्मान समारोह आयोजित हुआ।

 कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि सूर्यमणि शुक्ल जी की लिखी पुस्तिका बघेली ज्ञान का स्त्रोत है। दिल को छूने वाले शब्द हमारे मन से दिमाग में पैदा होता है। आपने भी ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हुए बेमिसाल पुस्तक लिखी है, जिसका विमोचन करते हुए प्रसन्नता हो रही है।

गौतम ने कहा कि ‘रिमही’ भाषा हमारी मातृ बोली है। यह पिछले 70 सालों में खत्म सी हो चुकी है। मातृ बोली का महत्व समझने की आज हमें जरूरत है। मां का महत्व समझने वाले ही मातृ बोली समझेंगे। संस्कृत भाषा को देव भाषा से जन भाषा में बदलने की आवश्यकता है। बघेली और रिमही बोली प्रदेश के मंच में जानी चाहिए। इसके लिए प्रयास स्वरूप गत दिनों विधानसभा के सदन में रिमही भाषा बोली को जानने समझने वालों को एकत्र कर सम्मानित किया गया था। बघेली और रिमही बोली को बचाने के लिए लगातार प्रयासों की आवश्यकता है। अगर यह बोली बच गई तो समझो बढ़ गई। उन्होंने उपस्थित लोगों से आग्रह करते हुए कहा कि आप सब इसे बचाने का प्रयास करें।

विधानसभा अध्यक्ष ने अंग्रेजी भाषा के पीछे भागने वाले लोगों से हिंदी भाषा को भी प्राथमिकता देने की बात कहते हुए उदाहरण स्वरूप बताया कि हिंदी अक्षर शुरुआत अ से अटल और ज्ञान से ज्ञानी में समाप्त होता है। वही अंग्रेजी अक्षर की शुरुआत ए से एप्पल और जेड से जेब्रा यानी गधा में जाकर खत्म होता है।

 कार्यक्रम में उपस्थित डॉ.लालजी गौतम, डॉ विनय कुशवाहा, डॉ.चंद्रिका प्रसाद चंद्र, अनमोल प्रसाद मिश्र, डॉ.दिनेश कुशवाहा तथा जयराम शुक्ल ने सूर्यमणि शुक्ल जी के बघेली संग्रह पुस्तक के बारे में अपने-अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि बघेली भाषा को प्रोत्साहित करती यह पुस्तक हर घर में होना आवश्यक है।

कार्यक्रम के पूर्व वरिष्ठ साहित्यकार भोलानाथ मिश्र जी का विधानसभा अध्यक्ष ने शाल श्रीफल से सम्मान किया। कार्यक्रम में सूर्यमणि शुक्ल जी को सम्मान पत्र सौंपा गया। शुक्ल ने सम्मान पत्र का वाचन करते हुए पुस्तक पर प्रकाश डाला और बताया कि पुस्तक में 217 सवैया, 62 दोहे सहित कई महापुरुषों पर आधारित कविताएं और सरस्वती वंदना, गणेश वंदना प्रकाशित की गई है। यह पुस्तक बघेली भाषा का संग्रह है। कार्यक्रम का संचालन रामनरेश “निष्ठुर” द्वारा किया गया। इस दौरान साहित्यकारगण एवं बड़ी संख्या में वरिष्ठ नागरिक उपस्थित रहे।

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