रीवा : 31 वर्ष बाद स्कीम नंबर 6 की जमीन होगी वापस -कैबिनेट ने दी मंजूरी- नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त सभाजीत यादव ने घोटाले का आरोप लगाकर उछाला था मामला
रीवा शहर के नगर निगम अंतर्गत स्कीम नंबर 6 का मामला एक बार फिर चर्चा में है ,इस बार सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए अधिग्रहित भूमि वापस करने की मंजूरी दी है। जिस नोटिफिकेशन के जरिए यह भूमि अधिग्रहित हुई थी उसे डिनोटिफाइड किया जाएगा, इस संबंध में कैबिनेट में लाए गए नीतिगत प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है ,सरकार ने निर्णय लिया है कि ऐसे सभी सूचनाएं डिनोटिफाइड की जाएगी, जिन पर कार्य प्रारंभ नहीं हो सका ,इस
फैसले से स्कीम नंबर 6 की तरह दूसरे शहरों में भी इस तरह से अटकी योजनाओं को निरस्त किया जाएगा, मुख्यमंत्री ने 18 मई 2022 को एसएएफ मैदान में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में घोषणा की थी की स्कीम नंबर 6 का विवाद सुलझाया जाएगा, इस क्षेत्र में बड़ी संख्या से मकान बन चुके हैं ,लेकिन भवन स्वामियों के पास भूस्वामीत्व नहीं है, यहां की रजिस्ट्री निरस्त की जा चुकी है, इतना ही नही रजिस्ट्री पर प्रतिबंध भी है ,वर्ष 2019 में कमलनाथ सरकार ने इस योजना की नए सिरे से जांच शुरू की थी, नगर सुधार न्यास बोर्ड द्वारा अधिग्रहित की गई भूमि के डीनोटिफिकेशन के प्रयास इसके पहले कई बार हुए ,लेकिन हर बार कुछ शर्तों की वजह से या राजनैतिक दबाव के चलते यही रुक जाता था.
पूर्व में कलेक्टर ने प्रमुख सचिव को रिपोर्ट भेजी थी, जिसमें उल्लेख किया था कि नगर सुधार न्यास बोर्ड शहर के वरा मोहल्ले में 91.3 75 एकड़ भूमि अधिग्रहित की थी, इसमें से 28 दशमलव 80 एकड़ शासकीय 62.575 एकड़ निजी भूमि है। निजी भूमि में 17.245 एकड़ स्वामियों को मुआवजा या फिर भूमि के बदले भूमि दी जा चुकी है, प्रारंभिक भू अर्जन के समय यहां पर 101 खसरा नंबर थे जो बढ़कर 500 से अधिक हो गए हैं, अधिग्रहण के बाद भी भूमि की बिक्री व बटवारा कैसे होता रहा, परीक्षण करने के समय ही मांग की गई, लेकिन अब तक नहीं हुआ है, आपको यह भी बता दें कि 4 साल पहले नगर निगम ने स्कीम नम्बर6 को लेकर जांच पड़ताल शुरू की थी, जिसमें कई अधिकारियों व कब्जा धारियों को कार्यवाही की चेतावनी दी गई थी, तत्कालीन आयुक्त सभाजीत यादव ने 300 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाकर शासन को पत्र लिखा था, सीमांकन कराने के साथ ही अवैध मकान तोड़ने की अनुमति मांगी थी, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते अनुमति नहीं दी गई थी।
हालांकि जानकारों का कहना है कि यदि कोई नीति बनाई गई है तो लंबा अध्ययन किया जाता है, स्कीम नंबर 6 की बात है तो पूरी योजना को डिनोटिफाइड करना तकनीकी रूप से मुश्किल होगा, योजना की भूमि पर बस स्टैंड बना दिया गया है ,बिल्डर को भी कुछ दिया गया है ,कई कार्य है जिनमें नगर निगम ने करोड़ों खर्चे हैं, गाइडलाइन के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।