रीवा : हनुमना बिजली विभाग कर रहा मनमानी ! किस किसान का काट दिया मोटर पंप कनेक्शन_पढ़िए इस ख़बर में…
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- हनुमना बिजली विभाग मनमानी पर उतारू है
- वि. वि. की मनमानी का खामियाजा भुगत रहे ग्रामीण मोटर पंप कनेक्शन विच्छेद होने के कारण एक किलोमीटर दूर से लाना पड़ रहा पानी
- वि.वि. के तानाशाही रवैए की वजह से पनप रहा ग्रामीणों में आक्रोश
- वि.वि. के अधिकारी अक्सर रहते है कार्यालय से नदारद
- विद्युत संबंधित शिकायतो की नही हो पाती समय रहते समुचित सुनवाई
- वि.वि. में व्याप्त है भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें
- विभाग के कर्मचारियों/अधिकारियों द्वारा की जाती हैं सीधे सीधे रकम की डिमांड
- अक्सर जारी होते रहते है त्रुटि पूर्ण बिल
- समय रहते त्रुटि पूर्ण बिलों का नही हो पाता निराकरण
- विद्युत मेंटिनेंस के नाम पर आए दिन लंबे अवधि के लिए रहती है बिजली गुल
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रीवा : उल्लेखनीय है कि हनुमना बिजली विभाग इन दिनों पूर्ण रूपेण मनमानी पर उतारू है , साथ ही तानाशाही रवैया अपनाए हुए है । सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार विभागिय कार्यालय से अधिकारी दिन दिन भर गायब रहते है । पूछने पर बताया जाता है कि साहब क्षेत्र भ्रमण पर हैं , जबकि ग्रामीणों के अनुसार क्षेत्र में अधिकारी तो छोड़िए , उनकी परछाई भी कही दूर दूर तक दिखाई नही देती है ।
अक्सर बिजली मेंटिनेंस के नाम पर कई कई दिन बिजली गुल कर दी जाती है और यह मेंटिनेंस महीने में कई बार घोषित या अघोषित तौर पर लिया जाता है ।
क्षेत्र में लाइन लॉस , डिम लाइट , कम वोल्टेज आदि तकनीकी समस्या सदैव ही विद्यमान रहती है । कोई सुनवाई नही होती ।
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दुर्भाग्य से अगर हनुमना क्षेत्र में कही भी आंधी – तूफान या अन्य छोटी सी भी प्राकृतिक आपदा आ गई , तो फिर समझ लीजिए कई दिन या फिर कई हफ्ते सजीव बिजली के दर्शन नही होगे , बस अपने घर में लगे बिजली तारो और बिना रोशनी के बल्ब को निहार कर ही संतोष करना पड़ेगा ।
बिजली विभाग द्वारा त्रुटि पूर्ण बिल अक्सर ही ग्रामीणों को थमा दिए जाते है । ऐसे में विभाग और किसी काम में चुस्त तंदुरुस्त हो न हो , परंतु अगर बिजली बिल का भुगतान (भले ही त्रुटि पूर्ण बिल हो , जिसकी ग्रामीण किसान ने शिकायत भी कर रखी हो) समय रहते नही किया तो समझ लीजिए , आपने बहुत बड़ा अपराध कर दिया । भले ही बिल न दे पाने की ग्रामीण/किसान की कोई वाजिब मजबूरी हो , पर इससे विभाग को कोई सरोकार नहीं रहताI
इन त्रुटि पूर्ण बिलों के कारण कई ग्रामीणों को दर दर की ठोकर खानी पड़ रही है , बावजूद इसके विद्युत विभाग के अधिकारी और कर्मचारी सुनने को तैयार नहीं है ।
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गौरतलब है कि ऐसा ही एक मामला जो कि रीवा जिले के हनुमना विद्युत विभाग अंतर्गत हटवा चक नंबर 1 का है , जहां हनुमना विद्युत विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के द्वारा छोटेलाल शर्मा के घर पर जाकर मोटर पंप की मेनलाइन ही काट दी गई । जिस कारण से पीड़ित दर-दर की ठोकर खाने पर मजबूर हो रहा है। जिसकी कही कोई सुनवाई नही हो रही ।
पीड़ित के द्वारा बताया गया कि वह 2 HP का मोटर अपने बोर में लगाया हुआ है , जिसका बिल पूरी तरह से उसके द्वारा समय पर जमा किया गया है । बावजूद इसके हनुमना जे.ई. (junior engineer) व हनुमना विद्युत विभाग के अन्य कर्मचारियों के द्वारा मनमानी पूर्ण ढंग से विद्युत की सप्लाई कट कर दी गई है । जिसके कारण मजबूरन पीड़ित और परिजनों को पानी लेने के लिए 1 किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है ।
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कुल मिलाकर कहें तो पीड़ित और उसके परिजन बिजली बिल का पूर्ण भुगतान समय पर करने के बावजूद भी पानी के एक एक बूंद के लिए तड़प रहे हैं एवं एक एक बूंद पानी प्राप्त करने के लिए जी तोड़ संघर्ष कर रहे हैं । जिससे बिजली विभाग के तानाशाही तुगलकी रवैए को सहज ही समझा जा सकता है ।
वही पीड़ित के द्वारा बताया गया कि उसके बिजली का बिल कई बार ज्यादा आ जाने के कारण , वह कई बार विद्युत विभाग हनुमना में बिल सुधरवाने व मीटर लगवाने के लिए आवेदन दे चुका है , जिससे संबंधित कागज उसके पास मौजूद है , बावजूद इसके अभी तक ना तो बिल में सुधार किया गया और ना ही मीटर लगाया गया । विभाग द्वारा मेरी समस्या का अभी तक निराकरण तो नही ही किया गया अपितु मनमानी पूर्ण ढंग से आकर मोटर पंप की मेनलाइन जरूर कट कर दी गई । जिस कारण से पीड़ित दर दर की ठोकर खा रहा है ।
बावजूद इसके अभी तक पीड़ित को न्याय नहीं मिल पाया ।
वहीं पीड़ित के द्वारा हनुमना जे.ई. पर यह आरोप लगाया गया है , कि लाइन कटने के बाद जब वह हनुमना जे.ई. से मिला और लाइन जोड़ने की फरियाद की तो हनुमना जे.ई. के द्वारा ₹ 20000 (बीस हजार रुपयों) की डिमांड कर दी गई ।
पीड़ित पैसे देने में सक्षम नही है और पीडित जगह जगह पर अधिकारियों के दरवाजों की चौखट खटखटा रहा है , लेकिन अधिकारियों के द्वारा कान बंद कर लिया गया है। उनके कान कुंभकरण की मानिंद पीड़ित की आवाज नही सुन पा रहे हैं और कोई भी सुनवाई नहीं की जा रही है ।
जिससे साफ तौर पर यह पता चलता है कि वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत के कारण ग्रामीणों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । इससे तो यही स्पष्ट होता है कि ग्रामीण/किसान पस्त है , जबकि वि.वि. के कर्मचारी मस्त हैं । कोई कितनी भी फरियाद कर लें , उनके कानों में जूं तक नहीं रेगने वाली ।